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Showing posts from August, 2019

बिना कीमत चुकाए ही मिलता है आनंद

यदि किसी ने जीवन में दु:ख ही दु:ख पाया है, तो उसने बड़ी मेहनत की होगी प्राप्त करने के लिए, कठिन परिश्रम किया होगा, बहुत बड़ी साधना की होगी, तपश्चर्या की गई होगी! ज़िन्दगी में अगर दु:ख ही दु:ख पाया है, तो बड़ी कुशलता अर्जित की होगी! इंसान को दु:ख कुछ ऐसे नहीं मिलता, ये फ्री में नहीं मिलता है।  मनुष्य को दु:ख के लिए बहुत बड़ी कीमत अदा करनी पड़ती है। संसार में आनंद तो यूं ही प्राप्त हो जाता है,  बिना मूल्य चुकाए मिलता है, क्योंकि आनंद स्वभाव है। इंसान को दु:ख अर्जित करना पड़ता है। साथ ही, दु:ख अर्जित करने का पहला नियम क्या है?  यदि इंसान सुख मांगे तो  दु:ख मिलता है।  यदि आप सफलता मांगो, असफलता  मिलेगी। यदि आप सम्मान मांगोगे, तो आपको अपमान, तिरस्कार मिलेगा। आप जो कुछ मांगोगे उससे उल्टा ही मिलेगा। आप जो चाहोगे उससे अक्सर उसके विपरीत घटित होगा। संसार का नियम है कि यह आपकी मर्जी के अनुसार नहीं चलता है। और यह चलता है तो सिर्फ और सिर्फ उस परमसत्ता की मर्जी से। आप अपनी मर्जियों को हटाओ! स्वमं को हटाओ! उसकी मर्जी पूरी होने दो। फिर दु:ख भी अगर हो, तो दु:ख माल...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष: नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की

भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी। भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण प्रेम के प्रतीक हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में कृष्ण का जन्मदिवस जिसे हम जन्माष्ठमी के नाम से मनाते आए हैं। उनका जन्मदिन लोगों में उत्साह, उल्लास और उमंग भर जाता है। वे हमारी संस्कृति की धुरी हैं।  भगवान श्री कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष हैं। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। श्रीकृष्ण सोलह कलाओं से पूर्ण अवतारी हैं। अत्याचार और अनाचार भरे युग में अधर्म के नाश व धर्म की स्थापना के लिए वे माता देवकी व वासुदेव के यहां प्रकट होते हैं। उनका जीवन अनेक पड़ावों से होकर गुजरता है। भारत भूमि पर धर्म की रक्षा के लिए वे जन्म लेते हैं। उन्होंने जीवन की हर कठिनाई से डटकर मुक़ाबला किया। मनुष्य का जीवन जब झंझावतों से भर जाता है, चारों ओर निराशा का माहौल दिखता है, जिंदगी नीरस लगने लगती है, तब उनके उपदेश एक नया रास्ता दिखाते हैं। आज भी उनके आदर्श हमारे जीवन की डूबती पतझार में एक सहारा हैं। भगवान श्री कृ...

जन्मदिन विशेष: आध्यात्मिक क्रांति की पहली चिंगारी थे महर्षि अरविन्द

अरविन्द आध्यात्मिक क्रां‍ति की पहली चिंगारी थे। वे बंगाल के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। क्रांतिकारी महर्षि अरविन्द का जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता केडी घोष एक डॉक्टर तथा अंग्रेजों के प्रशंसक थे। पिता अंग्रेजों के प्रशंसक लेकिन उनके चारों बेटे अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बन गए। उन्हीं के आह्वान पर हजारों बंगाली युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदों को चूम लिया था। सशस्त्र क्रांति के पीछे उनकी ही प्रेरणा थी। श्री अरविन्द जब सात वर्ष के थे, तब उन्हें शिक्षा के लिए अपने भाइयों के साथ इंग्लैंड भेजा गया। यहां पर वे 14 वर्ष तक रहे। वहां उन्होंने ग्रीक, लैटिन, फ्रेंच, जर्मन, इटैलिन स्पेनिश आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया इसके पश्चात उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। वे आईसीएस अधिकारी बनना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने भरपूर कोशिश की, पर वे अनुत्तीर्ण हो गए। बड़ौदा से कोलकाता आने के बाद महर्षि अरविन्द आजादी के आंदोलन में उतरे। कोलकाता में उनके भाई बारिन ने उन्हें बाघा जतिन, जतिन बनर्जी और सुरेन्...

Meditation and its benifits

  conscious realm directing them in such a way that you gradually transcend the everyday level of consciousness. Man today is living a life of utter chaos. After witnessing and encountering achievements of Science as materialistic means to give him utmost satiety as far as sensual pleasure is concerned, he finds himself at crossroads with no relief from dynamics of today giving him stress and strains. Stress is a menace today killing silently maximum no of persons in society through psychosomatic ailments. Stress is inevitable and each and everyone have to face it in day to day life. Stress free life should never be imagined, as man is born out of stress only. Yogis and Sages of east knew this and they devised spiritual disciplines to modify stress, a physiological phenomenon, constructively, into a source of energy by harnessing dormant storehouse of pranashakti- kundalini  (the serpentine fire ) Stress survival is something which eastern mysticism and spirituality me...