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Showing posts from September, 2019

I Wandered Lonely as a Cloud (Daffodils)

     "I Wandered Lonely as a Cloud"            By William Wordsworth "I Wandered Lonely as a Cloud"  (Also commonly known as 'Daffodils' is a lyric poem Written by William Wordsworth. It is Wordsworth's most famous work in the Galaxy of English Poetry. I wandered lonely as a cloud That floats on high o'er vales and hills, When all at once I saw a crowd, A host, of golden daffodils; Beside the lake, beneath the trees, Fluttering and dancing in the breeze. Continuous as the stars that shine And twinkle on the milky way, They stretched in never-ending line Along the margin of a bay: Ten thousand saw I at a glance, Tossing their heads in sprightly dance. The waves beside them danced; but they Out-did the sparkling waves in glee: A poet could not but be gay, In such a jocund company: I gazed—and gazed—but little thought What wealth the show to me had brought: For oft, when...

हारिये न हिम्मत

हारिये न हिम्मत: पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य https://youtu.be/4HgiwE5s794 दूसरे के छिद्र देखने से पहले अपने छिद्रों को टटोलो। किसी और की बुराई करने से पहले यह देख लो कि हम में तो कोई बुराई नहीं है। यदि हो तो पहले उसे दूर क रो। दूसरों की निन्दा करने में जितना समय देते हो उतना समय अपने आत्मोत्कर्ष में लगाओ। तब स्वयं इससे सहमत होंगे कि परनिंदा से बढऩे वाले द्वेष को त्याग कर परमानंद प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हो। संसार को जीतने की इच्छा करने वाले मनुष्यों! पहले अपने केा जीतने की चेष्टा करो। यदि तुम ऐसा कर सके तो एक दिन तुम्हारा विश्व विजेता बनने का स्वप्न पूरा होकर रहेगा। तुम अपने जितेंद्रिय रूप से संसार के सब प्राणियों को अपने संकेत पर चला सकोगे। संसार का कोई भी जीव तुम्हारा विरोधी नहीं रहेगा

आज के ही दिन 11 सितंबर 1893 को अमेरिका में स्वामी विवेकानंद ने दिया था ऐतिहासिक भाषण

गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर ने कहा था कि अगर भारत को समझना हो तो स्वामी विवेकानंद को पढ़ना पड़ेगा।  11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शहर शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन हुआ।  इस सम्मेलन में भारत से स्वामी विवेकानंद भी शामिल हुए। अंग्रेजों के गुलाम देश भारत के बारे में पश्चिमी देशों को बेहद कम जानकारी थी। (तब गूगल नहीं था) स्वामी विवेकानंद के उस संबोधन ने भारत और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कुछ ऐसे किया कि आज 126 साल बीत जाने के बाद भी हम उसकी चर्चा कर रहे हैं. दुनिया के संभवत: सबसे ज्यादा पसंद किए गए और प्रभावी भाषणों में स्वामी विवेकानंद का यह भाषण शीर्ष पर विराजमान है.  11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद का पूरा भाषण  पढ़िए. “अमेरिका के बहनो और भाइयो , आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओ...

फिल्म समीक्षाः मनोरंजन के साथ समाज को संदेश भी देती है फिल्म "छिछोरे"

✍️...रघुनाथ यादव इनसान की ज़िन्दगी में हार और जीत में अधिक अंतर नहीं होता। जीवन में विजेता बनने की सभी कोशिश करते हैं। और करनी भी चाहिए। एक हार से ज़िन्दगी खत्म नहीं होती। विफलता का सामना करने का साहस होना चाहिए। लेकिन कहानी घर परिवार से लेकर सगे-संबंधी एक ही पक्ष पर बातें करते हैं। साहस के साथ विफलता का सामना कैसे करें इस बात पर चर्चा नहीं होती। इसके बाद जो परिणाम होते हैं , उस सब से हम बाकिफ हैं। निर्देशक नितेश तिवारी की " छिछोरे " फिल्म यही संदेश देती है। फिल्म " छिछोरे " की कहानी हॉस्टल लाइफ की है , जिसमें कई परतें हैं। और इन्हीं परतों से हर कोई अपने आप को किसी न किसी लेयर के साथ कनेक्ट करेगा। चाहे वह स्कूली दिनों की छिछोरी यादें हों , साथियों पर मर-मिटने की बात हो , बच्चों के लालन-पालन की बात हो , मेधावी छात्रों पर प्रतियोगी परीक्षा में सिलेक्ट होने का प्रेशर हो या तलाकशुदा पति-पत्नी के बीच का ईगो। फिल्म में सात दोस्तों की कहानी है , जो स्कूली दिनों से ही दोस्त हैं। लम्बे समय से जुदा रहने के बाद भी उनका दोस्ताना कायम है। हॉस्टल लाइफ ...

आँख क्यों बन्द है?

जीवन और मौत का विधान है हर इनसान के लिए फरमान एक है हर किसी के पोर पोर में बसा भगवान एक है इस धरा पर सबका खुदा एक है सबके अन्दर रक्त, मास और खाल एक है हर इनसान के दिल की धड़कन एक है आखिर कौन इंसानियत का खून का प्यासा बना है कौन बर्बादी का सरताज बनना चाह रहा है दुराचारियों का मददगार कौन है संस्कृति का भक्षक कौन है जानते हम सब हैं लेकिन ज़ुबान बंद है आज देखते हुए भी सबकी आँख क्यों बंद है रघुनाथ यादव

शिक्षक दिवस विशेष:

विद्यार्थी किसी भी राष्ट्र की अमूल्य निधि होते हैं। उनका सही मार्गदर्शन करना शिक्षकों का दायित्व है। छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता होते हैं। उनमें नैतिक, सामाजिक और आद्यात्मिक मूल्यों का विकास करना शिक्षकों की ही कर्तव्य हैं 1962 में जब राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था। उसी साल से उनके सम्मान में उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । हमारे देश में 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन राष्ट्र निर्माण में टीचर्स के योगदान के लिए उनके सम्मान में सेलिब्रेट किया जाता है। हर कोई अपने-अपने तरीके अपनी जिंदगी में शिक्षकों के योगदान के लिए उन्हें आभार जताता है। हमारे देश में वर्ष 1962 से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षक दिवस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर,1888 में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की सीमा के पास मद्रास प्रेसीडेंसी में एक मध्यम वर्ग के तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे एक जमींदारी में तहसीलदार, वीरा समैया के दूस...