जीवन और मौत का विधान है
हर इनसान के लिए फरमान एक है
हर किसी के पोर पोर में बसा भगवान एक है
इस धरा पर सबका खुदा एक है
सबके अन्दर रक्त, मास और खाल एक है
हर इनसान के दिल की धड़कन एक है
आखिर कौन इंसानियत का खून का प्यासा बना है
कौन बर्बादी का सरताज बनना चाह रहा है
दुराचारियों का मददगार कौन है
संस्कृति का भक्षक कौन है
जानते हम सब हैं लेकिन ज़ुबान बंद है
आज देखते हुए भी सबकी आँख क्यों बंद है
रघुनाथ यादव
Comments
Post a Comment