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Showing posts from October, 2019

अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर

राम की शक्ति पूजा रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर। आज का तीक्ष्ण शरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेल सम्वरणशील, नील नभगर्जित स्वर, प्रतिपल परिवर्तित व्यूह भेद कौशल समूह राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह, क्रुद्ध कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि राजीवनयन हतलक्ष्य बाण, लोहित लोचन रावण मदमोचन महीयान, राघव लाघव रावण वारणगत युग्म प्रहर, उद्धत लंकापति मर्दित कपि दलबल विस्तर, अनिमेष राम विश्वजिद्दिव्य शरभंग भाव, विद्धांगबद्ध कोदण्ड मुष्टि खर रुधिर स्राव, रावण प्रहार दुर्वार विकल वानर दलबल, मुर्छित सुग्रीवांगद भीषण गवाक्ष गय नल, वारित सौमित्र भल्लपति अगणित मल्ल रोध, गर्जित प्रलयाब्धि क्षुब्ध हनुमत् केवल प्रबोध, उद्गीरित वह्नि भीम पर्वत कपि चतुःप्रहर, जानकी भीरू उर आशा भर, रावण सम्वर। लौटे युग दल। राक्षस पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज पति चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर सकल रघुनायक आगे अव...