भारत में होली का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है। सभी लोग छोटे-बड़े का भेद भुलाकर पूरे उत्साह, उल्लास और मस्ती से यह रंगों का पर्व मनाते हैं। भारतीय सनातन परम्परा के अनुसार यह एक यज्ञीय पर्व है। इस समय नई फसल पकने लगती हैं, उसके उल्लास में सामूहिक यज्ञ के रूप में होली जलाकर नये अन्न की यज्ञ मे आहुतियां देकर बाद में उपयोग में लाते हैं। कृषि प्रधान देश की यज्ञीय संस्कृति के सर्वथा अनुकूल यह परिपाटी बनाई गई है। होली के पर्व को लेकर उत्साह होना स्वाभाविक है। इसका नाम न केवल सबके मन को अपने रंग से भरता है बल्कि डुबा भी देता है। हृदय के अन्तराल में सहानुभूति और प्रेम के अविरल स्रोत खुलने लगते हैं। ये उमंग की तरंगें जिस के भी दिल को छूती हैं, उसे ऐसा लगता है कि जैसे वह खुशी से झूम रहा है। इस पर्व का उल्लास महासिंधु की तरह हैं जिसमें हर कोई डुबकी लगाने को उत्सुक रहता। कुछ ऐसा लगता है जैसे जीवन में नई उम्मीदों की शाखाएं फूट पड़ी हो। हमारा मन आकुल होने लगता है- मस्ती में उमगते हुए इस उल्लास को बांटने के लिए बस क्या क्या न कर डालूं। होली के पर्व पर यही व्याकुलता सभी को व्याकुल करने लगती है। रंगो की मस्त...
'Stay Curious, Stay Informed' With This E-Magazine