2024 का वर्ष बांग्लादेश के लिए गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट का समय रहा है। शेख हसीना की सरकार का पतन और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक सरकार का गठन, न केवल बांग्लादेश के भीतर बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। लोकतंत्र की बहाली और सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आइए इस संकट की जड़ों और इसके निहितार्थों पर विस्तार से चर्चा करें। 5 अगस्त 2024 को, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका से भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह कदम बढ़ते हुए छात्र आंदोलनों और बीते महीने में हिंसक होते प्रदर्शनों के कारण उठाया गया। इसके कुछ दिन बाद, 8 अगस्त 2024 को, मुहम्मद यूनुस को कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। गौरतलब है कि बांग्लादेश के संविधान में कार्यवाहक सरकार का कोई प्रावधान नहीं है। यूनुस के नेतृत्व वाली इस अंतरिम सरकार को दो अहम जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं. देश में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा जल्द से जल्द चुनाव कराना। हालांकि, अब तक इन दोनों उद्देश्यों में कोई सफलता नहीं मिली है। चुनाव कब होंगे, इसका कोई स्प...
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