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Showing posts from April, 2019

तकनीक के पंख लगा कर सुदूर इलाकों में पहुंच रही है शिक्षा

ग्रेटर नोएडा, 22 अप्रैल । संचार तकनीक ने शिक्षा को पंख दे दिए हैं। इसके जरिए ज्ञान देश के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच रहा है। लोग अपने अपने मनचाहे शिक्षक से घर बैठे विधिवत ज्ञान पा रहे हैं। विजुअल्स (दृश्य कथ्य) के कारण आम लोगों की इस ज्ञान में रुचि बढ़ी है। लोगों की भागीदारी के चलते देश में ऑन लाइन शिक्षण प्रदान कर रहा ‘स्वयं’ (स्टडी वेब्स फॉर एक्टिव लर्निंग ऑफ यंग एंड एस्पायरिंग माइंड्स) आज विश्व में पहले स्थान पर आ गया है।  यह बात सोमवार को नोयडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एजुकेशन और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक कार्यशाला में एनआईओएस के चेयरमैन प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने कही। मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने बताया कि यह मैसिव ओपन ऑन लाइन कोर्सेस (मूक) के जरिए विद्यार्थी ही नहीं शिक्षक भी लाभान्वित हो रहे हैं। ‘स्वयं’ इसका सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। हाल ही में एनआईओस ने ‘स्वयं’ के जरिए 15 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण दे कर कीर्तिमान स्थापित किया है। ऑन लाइन शिक्षण पर आयोजित इस कार्यशाला में विवि के कुलपति डॉ आर डी ...

शक्ति व स्वास्थ्य प्राप्त करो

इस प्रकार के कितने ही मनुष्य हैं जो दूसरों की भलाई करते हैं पर स्वयं अपना भला नहीं चाहते। वे न तो अपने शरीर और स्वास्थ्य की ही परवाह करते हैं और न अपनी शक्तियों का सदुपयोग। वे दूसरे के मित्र बनना चाहते हैं पर अपने शत्रु बने हुए हैं। दूसरों के साथ भलाई करना अच्छा है पर अपने साथ भलाई करना उससे भी अच्छा है। हर एक व्यक्ति का धर्म है कि मैं ईश्वर की सन्तान हूँ-उसी का प्रतीक हूँ। ऐसे बहुत से मनुष्य हैं जो चाहें तो बहुत बड़े काम कर सकते हैं परन्तु कर नहीं पाते। उनका जीवन निराशा के झूले में झूलता हुआ उन छोटे कामों में ही व्यतीत हो जाता है। कारण यह है कि उनमें इतनी शक्ति नहीं रही कि वे अपनी कठिनाइयों को दूर कर सकें और विघ्न -बाधाओं को हटा सकें। उन्होंने अपने शरीर की रक्षा नहीं की है और इसी कारण उनका हृदय दुर्बल हो गया है तथा इन्द्रियाँ शिथिल पड़ गई हैं ज़रा ज़रा से कामों के करने पर वे थक जाते हैं। हमारी शक्ति का बहुत बड़ा भाग क्रोधादि दुर्गुणों से नष्ट हो जाता है। शरीर को भस्म कर देने के लिये क्रोध से बढ़कर कोई चीज़ नहीं। क्रोधी मनुष्य रात-दिन अपने को जलाता रहता है । चिन्ता की उपमा चिता ...