इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में देश का प्रत्येक नागरिक जानना चाहता है आखिर इन राजनैतिक पार्टियों के पास इतना पैसा आता कहाँ से है? मुझे आज तक ऐसा आदमी नहीं मिला जिसने किसी नेता या पार्टी को चंदा दिया हो। पार्टियां इलेक्टोरल बॉन्ड को पारदर्शी नहीं बनाना चाहती। इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा मिलता है। इसे लेकर विवाद होता रहा है। दरअसल किसी भी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे को इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है। पार्टियां एक हज़ार, दस हज़ार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपए तक का बॉन्ड ले सकती हैं। लेकिन, नागरिकों को पूरी जानकारी नहीं देना चाहती। मजेदार बात यह है कि दान देने वालों की पहचान तक गुप्त रखी जाती हैं। पुराने लोग बताते हैं कि पहले सभी दलों के कार्यकर्त्ताओं को रसीद बुक दी जाती थी। फिर उनके समर्थक घर-घर जाकर आम लोगों से चंदा मांगा करते थे और उस समय छोटी-छोटी राशि में मिलने वाले चंदे की काफी अहमियत होती थी। समय बदला। चंदा देने वालों की सोच बदली, फिर उन्होंने सोचा क्यों न हम नेतागीरी में साथ आजमाएं। फिर यहीं से धनवानों का राजनीतिक मैदान में पदार्पण हु...
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