घास की चाय! वाह!वाह "निम्बूक तृणम" से बनी यह चाय पूरी तरह से प्राकृतिक है। इसमें तृण तथा पानी के अलावा और कुछ नहीं है। इसका शानदार अरोमा है। सेहत के लिए भी कई फायदे बताये जाते हैं। दो-तीन दिन पीने से ही आपको फर्क दिखने लगता है। विधि जंगल में घूमने जाएं और अगर यह घास दिखती है तो इसके सिर्फ चार नवतृणों को खींचकर निकाल लें। घर लाकर धोयें और तृणों के निचले हिस्से को धनिये की तरह काट लें। इस बीच केतली में डेढ़ कप पानी उबलने के लिए रख दें। फिर इन टुकड़ों को कैटल के पानी में डाल दें। पूरा किचन एक शानदार हल्की हल्की खुशबू से भर जाएगा। पांच मिनट तक उबलने दें, फिर कप में छान लें। आपकी निम्बूक तृणम चाय तैयार है। इसके फायदे मैं नहीं बताऊंगा। यह बताना रासायनविदों का काम है। हां यह अवश्य बताऊंगा कि किसी को इससे एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए शुरुआत बहुत थोड़ी मात्रा से करें। अगर फायदा महसूस हो तो रोज सुबह एक कप पी सकते हैं। इस चर्चा में एक और बात बताना जरूरी लग रहा है कि "तृणसी" शब्द संस्कृत का है और घास शब्द "प्राकृत" से निकला है। प्राकृत का मूल शब्द है "घस", ...
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