Skip to main content

फीचर लेखन

 

फीचर लेखन के कितने प्रकार है

 परिभाषा,स्वरूप, तत्व, उद्देश्य

 (फीचर लेखन क्या है या रूपक क्या है)

फीचर लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है आकृति चेहरा स्वरूप बनावट या रूपरेखा। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान प्रारंभिक तौर पर उसकी आकृति या बनावट के आधार पर की जाती है। पत्रकारिता के अंतर्गत ऐसे आलेख या लेखन जो पारंपारिक और सामान्य से भिन्न स्वरूप रहता है को फीचर कहते हैं। फीचर का हिंदी पर्याय है- रूपक। पत्रकारिता के तीनों माध्यमों में फीचर तीन भिन्न नामों से जाना जाता है। समाचार पत्र यानी मुद्रित माध्यम में इसे फीचर कहते हैं तो श्रव्य माध्यम अर्थात् रेडियो के लिए रूपक दृश्य श्रव्य माध्यम अर्थात् टेलीविजन के लिए फीचर।

किसी घटना व्यक्ति या वस्तु अथवा स्थिति को केंद्र में रखकर जानकारी पूर्ण और रोचक विवरण प्रस्तुत करना फीचर कहलाता है। कब क्यों कैसे और कौन आदि सभी प्रश्नों को सुस्पष्ट करने वाले समाचार से आगे बढ़कर फीचर उन सभी महत्वपूर्ण और गुड बातों को भी स्पष्ट करता है। जिनकी ओर सामान्यतः लोगों की दृष्टि नहीं जाती। लेकिन, फीचर या रूपक कल्पना लोक में विचरण करने का नाम नहीं है, बल्कि गहराई में जाकर घटना की सच्चाई को रूढ़ निकालना फीचर का महत्व पूर्ण गुण है।

 

फीचर लेखन किसे कहते हैं

डी.आर. विलियमसन के अनुसार: 

फीचर एक ऐसा सर्जनात्मक तथा कुछ अर्थों में स्वानुभूति मूलक लेख है। जिसका गठन किसी घटना स्थिति अथवा जीवन के किसी पक्ष के संबंध में लोगों को सूचना देने अथवा उनके मनोरंजन के उद्देश्य से किया गया हो।

 

जे.जे सिंडलर के अनुसार:

कोई भी घटना या कोई व्यक्ति जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो वह समाचार है, पर जब उस घटना या व्यक्ति के स्थिति के संबंध में समाचार से अलग तथ्यात्मक रूप से आलेख तैयार हो और उसमें जानकारी तथा मनोरंजन रहित तो वह फीचर है।

 

जितेंद्र गुप्त के अनुसार:

जो घटनाएं अलग-अलग समाचारों के प्रकाशित या प्रसारित होकर ही अपना अर्थ स्पष्ट नहीं कर पाते या जिनका भावनात्मक और मार्मिक पक्ष उभर कर सामने नहीं आ पाता, लेकिन वे जीवन के परिवेश को समझने के लिए जरूरी है, उन्हें समेट कर सुव्यवस्थित और सर्जनात्मक रूप से तैयार किये आलेख को फीचर कहते हैं।

 

डॉ मधुभवन के अनुसार:

फीचर लेख एक ऐसा शब्द चित्र है जिसमें तथ्यों का स्पष्ट और प्रमाणिक विश्लेषण होता है जो कुतूहल और सत्य नामक दो आधार स्तंभों पर टिका होता है।

 

विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि समसामयिक विषयों ऐतिहासिक संदर्भ अथवा ज्वलंत समस्याओं पर लिखा गया ऐसा आलेख फीचर कहलाता है जिसकी शैली मनोरंजक हो और जिसमें आश्चर्यचकित एवं आकर्षित करने के साथ जागृत और प्रेरित करने का गुण भी हो।

 

फीचर का स्वरूप

फीचर का स्वरूप समाचार से भिन्न होता है। समाचार तत्काल लिखी जाने वाली पत्रकारिता है, तो फीचर विचार पूर्ण स्थिरता से तैयार होने वाली पत्रकारिता। फीचर में सत्य और तथ्य के साथ कथ्य को जोड़ना संभव है समाचार तथ्यों का विवरण और उससे जुड़े चित्र वक्तव्य और त्वरित प्रतिक्रियाओं को देख कर ही पूर्ण हो जाता है। परंतु फीचर या रूपक उसी घटना से जुड़े परिवेश का उल्लेख करता है। विभिन्न तरीके की प्रतिक्रिया हो टिप्पणी को जुटाते हैं। आवश्यकतानुसार साक्षात्कार प्रस्तुत करता है और इन सबसे आगे बढ़कर उस घटना के पुरोगामी घटनाओं का संकेत भी देता है।

 

फीचर लेखन के कितने प्रकार हैं

विषयों की विविधता और उनके विस्तार की सीमा को ध्यान में रखकर फीचर को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।

न्यूज़ फीचर या समाचार रूपक

2.  व्यक्तिपरक फीचर

3.    पौराणिक फीचर

4.    चित्रात्मक फीचर या फोटो फीचर

5.    लोक रूचि या रुचिपरक फीचर

6.    सोद्देश्य फीचर

7.    वैचारिक फीचर

8.    साहित्यिक फीचर

9.    सर्वकालिक विषयक फीचर

मा   मनोरंजक फीचर

 

१. न्यूज़ फीचर या समाचार रूपक:

किसी विशेष समाचार पर आधारित फीचर को न्यूज़ फीचर यह समाचार रूपक कहा जाता है, जैसे बैंकों या रेलवे की हड़ताल। इसमें सामान्य समाचार में होने वाले सभी का प्रश्नों के उत्तर दे जाने के साथ साथ हड़ताल की पृष्ठभूमि या इतिहास के संदर्भ में जानकारी देते हुए इस स्थिति के प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभावों के विषय में बताया जाएगा लोगों की प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियां ली जाएगी और आवश्यक समाचार परामर्श स्थिति से जुड़े कानूनों को भी प्रस्तुत किया जाएगा।

 

२. व्यक्तिपरक फीचर:

किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व या कृतित्व पर तैयार फीचर इस श्रेणी में रखे जाते हैं। जैसे किसी भी क्षेत्र की बड़ी हस्ती का उपलब्धि की सफलता या उससे संबंधित जानकारी को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना।

 

३. पौराणिक फीचर:

पर्व त्यौहार या किसी धार्मिक अनुष्ठान से संबंधित फीचर को पौराणिक फीचर के अंतर्गत रखा जाता है जैसे सरहुल, रामन बर्मा, होली, दुर्गा पूजा,काली पूजा, छठ पूजा, आगे विशेष मौके पर फीचर तैयार किया जाता है।

 

४. चित्रात्मक फीचर या फोटो फीचर:

इसमें किसी विशेष समारोह या आयोजन के अवसर पर लिए गए चित्रों को क्रमानुसार प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक चित्र के साथ एक पंक्ति का विवरण होता है। पूरे घटनाक्रम को केवल चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है। फोटो फीचर का उपयोग केवल समाचार पत्रों के लिए किया जाता है।

 

५. लोक रूचि या रुचिपरक फीचर:

ट्रैफिक पुलिस रिक्शा चालक सर्कस के कलाकार या मेला जादू के खेल कठपुतली कलाकार आदि विभिन्न लोक रूचियों के विषय पर बनने वाले फीचर इस श्रेणी में आते हैं।

 

६. सोद्देश्य फीचर:

किसी विशेष स्थिति को केंद्र में रखकर तैयार किया गया फीचर 

सोद्देश्य फीचर कहलाता है। इसका एक उद्देश्य निश्चित रहता है जैसे रसोई गैस किल्लत, बढ़ती महंगाई, सड़कों की स्थिति, किसी शिक्षण संस्थान, या अन्य संस्थान के संबंध में जनकारी अथवा पर्यटन स्थालों पर आधारित फीचर।

 

७. वैचारिक फीचर:

किसी व्यक्ति,स्थान, स्थिति या घटना पर तथ्यों के स्थान विचार को केंद्र में रखकर बनाया गया फीचर वैचारिक फीचर कहलाता है इसके लिए फीचर व्यक्ति स्थान यह स्थिति के आधार पर स्वेक्षा से चुना जा सकता है। जैसे आम बजट रेल बजट चुनाव विभिन्न खेलों में भारत की स्थिति प्रतियोगिता पर आधारित फीचर आदि।

 

८. साहित्यिक फीचर:

साहित्यिक विषयों या विधाओं पर लिखा गया फीचर साहित्यिक फीचर कहलाता है, जैसे हिंदी साहित्य में ग्रामीण परिवेश साहित्यिक कृतियों पर आधारित फिल्में, कविता तब और अब आदि।

 

९. सर्वकालिक विषयक फीचर:

कुछ विषय ऐसे होते हैं जिस की प्रसंगिकता पत्रकारिता जगत में हमेशा बनी रहती है, उन्हीं विषयों पर आधारित फीचर इस श्रेणी में रखी जाती है, जैसे विज्ञान, अंतरिक्ष किसी क्षेत्र पर आधारित तैयार फीचर हमेशा पसंद किए जाते हैं।

 

१०. मनोरंजक फीचर:

फिल्म टीवी फैशन मॉडलिंग आदि से जुड़े फीचर इस श्रेणी के फीचर के अंतर्गत आते हैं जैसे फिल्म या टीवी के कलाकारों का संघर्ष या पर्दे के पीछे की उनकी दिनचर्या आदि के विषय में मनोरंजक ढंग से तैयार फीचर।

              फीचर किसी भी विषय अथवा व्यक्ति पर लिखा जाए उसका संदर्भ वर्तमान से जुड़ा होना चाहिए। दूसरे शब्दों में पत्रकारिता के मूल आधार समसामयिकता और नवीनता का ध्यान फीचर लिखते समय रखना पड़ता है। वृत्तचित्र के लिए कुछ छूट दी जा सकती है, पर समाचार पत्र और रेडियो के लिए तैयार फीचर में विषय को सामयिक रखना पड़ता है।

 

फीचर लेखन के तत्व

१.कल्पना 

२.सत्य तथ्य एवं विचार 

३.लेखन कला

 

१.कल्पना:

फीचर लेखन में कल्पना कि प्रयोग की संभावना रहती हैं तथ्यों विचार और प्रमाणिकता के साथ कल्पना नहीं जोड़ी जा सकती परंतु प्रस्तुति में कल्पना का उपयोग दिया जा सकता है, किसी फीचर को रोचक बनाने की यह सबसे बड़ी विशेषता है।

 

२.सत्य तथ्य एवं विचार:

फीचर लेखन सत्य पर आधारित होता है। सत्य एवं तथ्य के साथ साथ उसमें फीचर लेखक अपने विचार एवं मनोभावों को भी जोड़ सकता है। इस प्रकार वह पाठक श्रोता या दर्शक के वैचारिक फलक को विस्तृत करता है।

 

३.लेखन कला:

फीचर लेखन में दिल और दिमाग दोनों का संतुलित उपयोग किया जाता है सहज सरल और रोचक भाषा में सुव्यवस्थित रूप में तैयार फीचर की लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। फीचर लेखन में लोकोक्ति मुहावरे और हास्य व्यंग्य का सहायता लिया जा सकता है। एक अच्छा आरंभ और संवेदनापूर्ण समापन फीचर को सफल बनाते हैं।

 

फीचर लेखन के उद्देश्य

१.ज्ञानवर्धन 

२.मार्गदर्शन 

३.जिज्ञासा का समन 

४.मनोरंजन

 

१.ज्ञानवर्धन:

किसी विशेष विषय समस्या यह संदर्भ पर विचार पूर्ण ढंग से किसी तत्वों को फीचर में प्रस्तुत किया जाता है। जैसे किसी भी लुप्त होती संस्कृतिक भाषा या जीवों की प्रजाति पर जानकारी पूर्ण फीचर।

 

२.मार्गदर्शन:

किसी कहानी या कविता में जिस प्रकार लेखकीय उद्देश्य या संदेश अंतर्निहित रहता है, उसी प्रकार फीचर या रूपक में सूचनाओं के साथ-साथ उचित अनुचित का मार्गदर्शन निहित होता है। जैसे सामाजिक कुरीतियों या सामाजिक समस्या पर तैयार फीचर।

 

३.जिज्ञासा का समन:

समाचारों में यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत किए जाते हैं, किंतु अपनी तथ्यगत सीमाओं के कारण अधिकतर समाचार किसी घटना के संदर्भ के पूर्व वती कारणों या पर्वती परिणामों के निष्कर्ष पर पहुंचने में असमर्थ होते हैं। फीचर पूरी छानबीन के बाद पृष्ठभूमि एवं संभावनाओं को समेट कर लोगों की जिज्ञासा का परतदार परत उद्घाटन का उल्लेख तुष्ट करता है।

 

४.मनोरंजन:

यद्यपि सभी विषयों पर फीचर मनोरंजन नहीं कर सकते पर अधिकांशतः उनमें लोक रूचि एवं स्वस्थ मनोरंजन का ध्यान रखा जाता है। गंभीर विषयों और दुखद स्थितियों पर भी सकारात्मक पक्षों पर भी मनोरंजन से जोड़कर प्रस्तुत किया जा सकता है।


Feature writing

What are the types of feature writing?

Definition, Form, Element & Purpose

(What is feature writing or what is a metaphor)

The feature is a Latin language word that means figure, face, form, texture, or outline, any person or thing is initially identified based on its shape or texture. Under journalism, such articles or writings, which remain in a different form than the traditional and common form, are called features. The Synonym of feature is a metaphor.

Presenting information, and complete and interesting details by keeping an event, person, thing, or situation in the center is called a feature. Going beyond news clarifying all the questions of when, why, how, and who, etc., the feature also explains all those important and good things. To which people generally do not see. But the feature or the metaphor is not the name of wandering in the fantasy world, but going deep into the reality of the event, it is an important quality of the feature.

 Dr. According to Williamson:

The feature is one such creative and in some sense self-reflective article. Which has been formed to give information or entertainment to the people regarding any event, situation, or aspect of life.

 According to J.J. Sindler:

Any event or person in which more and more people are interested in news, but when the article about that event or person's condition is factually different from the news and is devoid of information and entertainment. So that's the feature.

 According to Jitendra Gupta:

Events that are not able to explain their meaning only by publishing or broadcasting different news or whose emotional and poignant side does not emerge, but they are necessary to understand the environment of life, they are organized and organized. And a creatively prepared article is called a feature.

 According to Dr. Madhubhavan:

A feature article is a word picture containing a clear and authentic analysis of facts that rests on two pillars namely curiosity and truth.

 

Based on various definitions, it can be said that an article written on contemporary topics, historical context, or burning problems is called a feature whose style is entertaining and which has the quality of surprising and attracting as well as awakening and motivating.

 The nature

The nature of the feature differs from the news. News is instantly written journalism, then feature thought journalism is prepared with complete consistency. In the feature it is possible to combine the text with the truth and the facts, the description of the news facts and the pictures associated with it is completed by looking at the statement and quick reactions. But feature or metaphor refers to the surroundings associated with the same event. There are different ways of collecting comments. Presents interviews as needed and above all indicates the events leading up to that event.

 Types of feature writing

Keeping in mind the variety of subjects and the extent of their scope, the feature can be divided into the following parts.

1.      News feature or news metaphor

2.      Personal feature

3.      Legendary Feature

4.     Pictorial feature or photo feature

5.      Public interest or interesting feature

6.      Purposeful feature

7.      Conceptual feature

8.      Literary Feature

9.      All-time thematic feature

10.  fun feature

 

 

 

1. News feature or news metaphor: A feature based on a particular news story is called a news feature, such as a bank or railway strike. In this, all the questions that happen in the general news will be answered, as well as the direct and indirect effects of this situation, giving information about the background or history of the strike, people's reactions and comments will be taken and necessary news will be taken. The laws relating to the consultancy status will also be presented.

 2. Subjective feature: Features drawn on the personality or work of an important person are placed in this category. Such as presenting the success of a big personality in any field or the information related to it interestingly.

 3. Mythological feature: A feature related to a festival or a religious ritual is placed under a mythological feature such as Sarhul, Raman Burma, Holi, Durga Puja, Kali Puja, or Chhath Puja, the feature is prepared on special occasions.

4. Pictorial feature or photo feature: In this, pictures taken on the occasion of a particular event or event are presented sequentially. Each picture is accompanied by a line of description. The whole event is depicted through pictures only. The photo feature is used only. for newspapers.

 5. Folk Interest or Interesting Features: Traffic Police Rickshaw Driver, Circus Artists or Fair Magic Games, Puppet Artists, etc. Features on the subject of various folk interests come under this category.

 

6. Purpose Feature:

designed with a focus on a particular situation

It is called an objective feature, its purpose remains fixed, such as lack of cooking gas, rising inflation, condition of roads, an educational institution, or other institution or features based on tourist places.

 7. Conceptual feature: A person, place, situation, or event is called a conceptual feature. Like General Budget, Rail Budget, Election, India's position in various sports, features based on competition, etc.

 8. Literary Feature: written on literary subjects or genres is called literary features such as films based on rural environments literary works in Hindi literature, poetry then and now, etc.

 

9. All-time thematic feature: There are some topics whose relevance is always maintained in the journalism world. Features based on the same topics are kept in this category, such as science, space, and ready-made features based on any field are always preferred.

10. Entertaining feature: Feature: Related to film, TV, fashion modeling, etc. comes under this category of features such as features prepared entertainingly about the struggle of the actors of the film or TV or their behind-the-scenes routine, etc.

              The feature should be written on any subject or person, its context should be related to the present. In other words, the fundamentals of journalism, contemporary and innovative, have to be kept in mind while writing the feature. Some leeway may be given for documentaries, but features prepared for newspapers and radio have to keep the subject current.

Elements of Feature

 1. Imagination:

Thre is a possibility of using imagination in feature writing. Imagination cannot be combined with facts, ideas, and authenticity, but the use of imagination can be given in the presentation, this is the biggest feature of making a feature interesting.

 2. facts and thoughts:

Feature writing is based on truth, along with truth and facts, the feature writer can also add his thoughts and feelings. In this way, the reader broadens the conceptual spectrum of the listener or the viewer.

 3. Writing Art:

Balanced use of both heart and mind in feature writing, and well-crafted features in simple and interesting language are well-liked by the people. The help of proverbial idioms and humorous satire can be taken in feature writing. A good start and a sensitive ending make the feature a success.

 Objectives of Feature

1. Enlightenment: Consideration

of a particular topic problem, context, in a complete manner any elements are presented in the feature. Such as a full feature of information on any extinct cultural language or species of fauna.

 

2. Guidance:

Just as the author's purpose or message is inherent in a story or poem, similarly, a feature or a metaphor contains information as well as the guidance of right and wrong, such as a feature prepared on social evils or social problems.

 3. Summons of Curiosity:

Answers to all questions are presented in the news as far as possible, but due to their factual limitations, most of the news is unable to conclude the preceding causes or mountainous consequences of the context of an event. The feature satisfies the flaky layer opening the curiosity of the people by covering the background and possibilities after a thorough investigation.

 4. Entertainment:

Although features may not entertain on all subjects, most of them take care of public interest and healthy entertainment. Serious topics and sad situations can also be presented on the positive side by adding entertainment.

 

 

Comments

Popular posts from this blog

Farewell to a Gentleman of Wisdom: Professor Anil Verma

The School of Business and Management at Noida International University recently gathered to bid a bittersweet farewell to one of its pillars, Professor Anil Verma. With over 42 years of experience, Professor Verma has left an indelible mark on the hearts and minds of all who have had the privilege of knowing him. Throughout his tenure at the university, Professor Verma embodied the essence of wisdom and grace. Renowned for his genteel nature, boundless generosity, and unparalleled intellect, he has touched the lives of countless individuals, leaving an indelible mark on the community. Transitioning seamlessly from a rich corporate background in HR and strategic planning, where he spent 35 illustrious years at the Steel Authority of India Ltd. (SAIL), Professor Verma brought his wealth of knowledge and experience to the classroom. His passion for teaching and dedication to his students have been unwavering, evident in the countless lives he has touched and transformed over the years. P...

ध्यानी नहीं शिव सारस

!!देव संस्कृति विश्विद्यालय में स्थपित प्रज्ञेश्वर महादेव!! ध्यानी नहीं शिव सारसा, ग्यानी सा गोरख।  ररै रमै सूं निसतिरयां, कोड़ अठासी रिख।। साभार : हंसा तो मोती चुगैं पुस्तक से शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता हैः न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है--विध्वंस है मन का। मन ही संसार है। मन ही सृजन है। मन ही सृष्टि है। मन गया कि प्रलय हो गई। ऐसा मत सोचो कि किसी दिन प्रलय होती है। ऐसा मत सोचो कि एक दिन आएगा जब प्रलय हो जाएगी और सब विध्वंस हो जाएगा। नहीं, जो भी ध्यान में उतरता है, उसकी प्रलय हो जाती है। जो भी ध्यान में उतरता है, उसके भीतर शिव का पदार्पण हो जाता है। ध्यान है मृत्यु--मन की मृत्यु, "मैं" की मृत्यु, विचार का अंत। शुद्ध चैतन्य रह जाए--दर्पण जैसा खाली! कोई प्रतिबिंब न बने। तो एक तो यात्रा है ध्यान की। और फिर ध्यान से ही ज्ञान का जन्म होता है। जो ज्ञान ध्यान के बिना तुम इकट्ठा ...

Eugene Onegin Aur Vodka Onegin: Alexander Pushkin Ki Zindagi Ka Ek Mazahiya Jaam

Eugene Onegin Aur Vodka Onegin: Pushkin Ki Zindagi Ka Ek Mazahiya Jaam Zindagi Ka Nasha Aur Eugene Onegin Ka Afsoos: Socho, tum ek zabardast party mein ho, jahan sabhi log high society ke hain, par tumhare dil mein bas boredom chhaya hua hai. Yeh hai Alexander Pushkin ki 'Eugene Onegin' , jo ek novel in verse hai, romance, tragedy, aur biting satire ka zabardast mix. Humara hero, Eugene Onegin , ek aise top-shelf Vodka ki tarah hai—expensive, beautifully packaged, lekin andar se khali. Aaj hum is classic work ko explore karte hain aur dekhte hain ki kaise Onegin ka jeevan Vodka Onegin ke saath correlate karta hai—dono mein ek hi chiz hai: regret! Jab baat regret ki hoti hai, toh thoda humor aur satire toh banta hai, nahi? Eugene Onegin—Ek Bottle Vodka Jo Koi Kholta Hi Nahi " Eugene Onegin" ka character bilkul aise hai jaise ek exquisite Vodka bottle, jo shelf par toh chamakti hai, par koi bhi usko taste nahi karta. Woh paisa, charm, aur social status ke saath hai,...