(29 May 2023)
प्रेस रिव्यू
चीन की ज़रूरत कम करेगा भारत समेत 14 देशों का ये समझौता
New Delhi: दिल्ली से छपने वाले हिंदी और अंग्रेज़ी अख़बारों ने नए संसद भवन के उद्घाटन से लेकर प्रदर्शनकारी पहलवानों को जंतर-मंतर से हटाने और मणिपुर में 30 चरमपंथियों के मारे जाने की ख़बरों को अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
अंग्रेज़ी अख़बार 'हिंदुस्तान टाइम्स' ने अपने अंतरराष्ट्रीय पन्ने पर इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ़्रेमवर्क (आईपीईएफ़) के एक समझौते से जुड़ी विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक़, इस समझौते का मक़सद हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों का आपस में सप्लाई चेन बनाना और चीन पर उनकी निर्भरता को कम करना है.
आईपीईएफ़ में 14 साझीदार देश हैं जिसमें अमेरिका और भारत भी शामिल हैं. इस समझौते में सूचना साझा करना और संकट के समय साथ में उस पर काम करना भी शामिल है.
अमेरिका के डेट्रॉयट में आईपीईएफ़ देशों की दूसरी मंत्रीस्तरीय बैठक हुई जिसमें भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने वर्चुअली लिया.
इस बैठक के बाद पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, "क्षेत्र में विकास को और गति देने के लिए एक लचीले सप्लाई चेन और एक स्वच्छ और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रति भारत अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है."
क्या है आईपीईएफ़
- आईपीईएफ़ का पूरा नाम इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ़्रेमवर्क फ़ॉर प्रोस्पेरिटी है. इस समूह के 14 देश सदस्य हैं.
- इसे मई 2022 में अमेरिका की पहल परशुरू किया गया था. एक तरह से ये अमेरिका की मेज़बानी में बना समूह है.
- इस फ़्रेमवर्क का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के बीच लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास और निष्पक्षता स्थापित करना है.
- आईपीईएफ़ के 14 साझीदार देश पूरी दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 40 फ़ीसदी हैं और वैश्विक वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार का 28 फ़ीसदी इन्हीं देशों में होता है.
- अमेरिका और भारत के अलावा आईपीईएफ़ में ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, फ़िजी, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फ़िलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.
- माना जाता है कि इस फ़्रेमवर्क को चीन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते दबदबे और वैश्विक व्यापार में उसकी भूमिका को सीमित करने के लिए अमेरिका लेकर आया है.
इस समूह ने जो अपना बयान जारी किया है उसमें बताया गया है कि समूह ने आईपीईएफ़ सप्लाई चेन काउंसिल स्थापित करने, सप्लाई चेन क्राइसिस रेस्पॉन्स नेटवर्क बनाने और लेबर राइट एडवाइज़री नेटवर्क बनाने पर सहमति जताई है.
आईपीईएफ़ ने व्यापार में प्रगति, स्वच्छ अर्थव्यवस्था (क्लीन इकॉनमी) और फ़्रेमवर्क के फ़ेयर इकॉनमी पिलर्स के बारे में भी बताया है. क्लीन इकॉनमी फ़्रेमवर्क के तहत इसके इच्छुक सदस्यों ने एक क्षेत्रीय हाइड्रोजन पहल को स्थापित करने में सहमति जताई है.
इस समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा जिसके बाद हर देश इसको अपने क्षेत्रीय क़ानून के अनुसार पास करेगा.
अमेरिका और भारत के अलावा आईपीईएफ़ में ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, फ़िजी, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम सदस्य हैं.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का दबदबा बढ़ता जा रहा है जिसके मद्देनज़र इस समूह की भूमिका काफ़ी अहम है.
इसी वजह से इस समूह में अमेरिका जैसे देश को भी काफ़ी अहम साझीदार समझा जाता है क्योंकि उसी ने इसकी शुरुआत की है.
नेपाल और भारत के बीच हो सकते हैं ये अहम समझौते
इस सप्ताह भारत दौरे पर आ रहे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' कुछ अहम समझौते कर सकते हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक़, प्रचंड के दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौते होने की संभावना है जिनमें एक कॉमन डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म को भी मंज़ूरी दी जा सकती है.
एक कॉमन डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म के तंत्र को भारत और नेपाल के लोगों के बीच आपसी मज़बूत रिश्तों के लिए काफ़ी अहम समझा जा रहा है.
इसके अलावा नेपाल के चांदनी-दोधारा में एक ड्राई पोर्ट के निर्माण और भैरहवा में एक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को बनाने को लेकर भी समझौता हो सकता है.
प्रधानमंत्री प्रचंड 31 मई से 3 जून तक भारत के दौरे पर आ रहे हैं जिसमें उनके साथ उनकी बेटी और कई मंत्री भी होंगे.
आर्मी अफ़सर जाएंगे नौसेना और वायु सेना में
भारतीय सेना में समन्वय और थिएटर कमांड बनाने के मक़सद से अब से आर्मी अफ़सरों को वायु सेना और नौसेना में भेजा जाएगा.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी एक विशेष रिपोर्ट में बताया है कि 40 आर्मी अफ़सरों का एक बैच भारतीय वायु सेना और नौसेना में जाएगा जहां पर वो वही भूमिका निभाएंगे जो वो आर्मी में निभाते हैं.
अख़बार को एक शीर्ष अधिकारी ने जानकारी दी है कि जो भी आर्मी अफ़सर इस क्रॉस-स्टाफ़िंग पोस्टिंग में जा रहे हैं वो मेजर और लेफ़्टिनेंट कर्नल रैंक के हैं.
आर्मी अफ़सरों की तरह ही वायु सेना और नौसेना के अधिकारी इसी तरह की पोस्टिंग के लिए आर्मी में आएंगे.
इन अफ़सरों को मिसाइल यूनिट में यूएवी को हैंडल करने के लिए और लॉजिस्टिक्स, रिपेयर और रिकवरी यूनिट जैसी जगहों पर पोस्टिंग दी जाएगी.
ये पोस्टिंग इसी वजह से दी जा रही है क्योंकि कई यूएवी और वीपन सिस्टम्स, रडार्स, टेलीकॉम्युनिकेशन इक्विपमेंट तीनों सेनाओं में इस्तेमाल होते हैं.
नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-1 आज होगा लॉन्च
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने लॉन्चिंग व्हिकल जीएसएलवी से आज नेविगेशन सैटेलाइट 'नाविक' एनवीएस-1 को लॉन्च करने जा रहा है.
हिंदी अख़बार 'अमर उजाला' के मुताबिक़, सोमवार को सुबह 10:42 बजे श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे छोड़ा जाएगा.
अख़बार के मुताबिक़, इस सैटेलाइट को ख़ासकर सशस्त्र बलों को मज़बूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है.
नाविक को अमेरिका के ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का जवाब माना जा रहा है.
जीपीएस की तरह ही काम करने वाला यह सैटेलाइट भारत और उसकी आसपास की ज़मीन के करीब 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा.
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