इस आधुनिक तकनीक के युग में, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) चंद सेकंडों में कुछ भी रच देती है, जहां सैटेलाइट से धरती के नीचे दबी टंकी भी दिख जाती है, वहीं हमारा मीडिया आज भी अफवाह नामक अति प्राचीन कला को आधुनिक तकनीक के साथ जीवित रखे हुए है। फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र जी अस्पताल से डिस्चार्ज हुए, लेकिन हमारे मीडिया ने उन्हें पहले ही स्वर्गीय घोषित कर दिया! खेद की बात तो यह है कि कुछ चैनलों ने श्रद्धांजलि विशेष चलाया, कुछ ने धर्मेंद्र की के आखिरी शब्द भी खोज निकाले और सोशल मीडिया पर तो श्रद्धांजलियों की बाढ़ ही सुनामी आ गई। सवाल यह है कि कौन मरा और कौन पत्रकार जिंदा? आज के वैरायटी पत्रकार ख़बर नहीं बनाते, ख़बर के बन जाने की जल्दी में रहते हैं। एक दौर था जब रिपोर्टर फील्ड में पसीना बहाता था, अब बस एक ट्वीट या वाट्सऐप मैसेज आ जाए, तो न्यूज़ रूम में घंटियाँ बज उठती हैं.....ब्रेकिंग! पहले हम चला देंगे, बाद में देखेंगे कि सही है या नहीं। इस दौर में ब्रेकिंग न्यूज़ का मतलब हो गया है...पहले तोड़ दो, बाद में जोड़ना देखेंगे। सत्यापन (verification) शब्द अब न्यूज़ डिक्शनरी से लुप्त हो चुका है। जो कभी...
Image: Google बिहार की राजनीति इन दिनों किसी धीमी गति की फिल्म जैसी लग रही है, जहां सारे किरदार डायलॉग बोल चुके हैं, कैमरा चालू है, पर मुख्य अभिनेता अचानक सेट से गायब है। महागठबंधन की गाड़ी पूरी रफ्तार से चल रही थी, इंजन गर्म था, रोड क्लियर था, जनता भी ताली बजा रही थी, तभी राहुल गांधी ने अचानक "ब्रेक" लगा दिए। अब बाकी साथी हैरान हैं, ये हुआ क्या? राहुल गांधी ने चुनावी तैयारी तो मानो किसी ओलंपिक एथलीट की तरह शुरू की थी। बिहार की सड़कों पर रैली, भाषण, पोस्टर, सब तैयार। कांग्रेस के कार्यकर्ता खुश थे कि “इस बार साहब गंभीर हैं।” लेकिन जैसे ही चुनाव का असली वक्त आया, राहुल गांधी ने कहा, अब थोड़ा आराम कर लेते हैं और निकल पड़े विदेश यात्रा पर। शायद उन्होंने सोचा हो कि बिहार के मुद्दे अब Zoom कॉल पर ही निपटा लेंगे। अब स्थिति यह है कि पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर है, यानी सिर्फ दो दिन बाकी हैं। लेकिन महागठबंधन, यानी आरजेडी, कांग्रेस, वामदल और बाकी सहयोगी, अब तक यह तय नहीं कर पाए कि कौन कितनी सीट पर लड़ेगा। उधर एनडीए 12 अक्टूबर को सीट बंटवारे का ऐलान कर चुका है, जेडीयू ...