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बदला फिल्म रिव्यू: सस्पेंस, थ्रिलर और 'बदला'

सुजॉय घोष की फिल्म बदला सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर है। फिल्म मुख्यतः दो किरदारों नैना सेठी (तापसी पन्नू) और बादल गुप्ता (अमिताभ बच्चन) के इर्दगिर्द घूमती है। इस फिल्म की कहानी यूं कि नैना सेठी एक बच्चे की मां है, हालांकि वह अर्जुन नाम के एक शादीशुदा शख्स के साथ उसके विवाहेतर संबंध भी हैं। दोनों एक दूसरे के परिवार वालों से छिपकर विदेश में जाते हैं और पेरिस शहर में मिलते हैं।
वे दोनों कार से कहीं जाते हैं। रास्ते में अर्जुन के कहने पर नैना गाड़ी को दूसरे रास्ते पर चलाने लगती है। इसी दौरान नैना की गाड़ी सनी नाम के एक लड़के की गाड़ी से टकरा जाती है और उसकी मौत हो जाती है। फिर दोनों अपनी कार से बाहर निकलते हैं और सनी को कार से निकाल कर उसकी मौत का सबूत मिटाते हैं।
ऐसा करने से पहले पहले नैना पुलिस को कॉल  करने लगती है, लेकिन अर्जुन उसको ऐसा नहीं करने देता। फिर नैना वह सब करने लगती है, जैसा वह कहने लगता है।
बदले की कहानी फिर यहां से नया मोड़ लेती है। सनी की मौत को लेकर कोई दोनों को ब्लैकमेल करता है और रुपयों की मांग करता है। फिर दोनों ब्लैकमेलर को रुपए देने के लिए एक होटल में पहुंचते हैं। असली कहानी यहीं से शुरू होती है। नैना अपने को बचाने के लिए वकील के रूप में बादल गुप्ता को नैना चुनती है। बादल गुप्ता एक प्रसिद्ध वकील हैं, जिन्होंने अपने 40 वर्ष के करियर में एक भी केस नहीं हारा है और नैना यह सोचती है कि जेल से बचाने का रास्ता सिर्फ और सिर्फ बादल गुप्ता ही निकाल सकते हैं।
एक दिन बादल गुप्ता नैना के घर मय सबूतों के पहुंचते हैं। दोनों के बीच कॉफी की टेवल पर ही केस पर तीखी चर्चा होती है, ताकि वह सच जानकर नैना को बचा सके।
बातचीत का सिलसिला चलता है। नैना बातों में कई रहस्य बता देती है। पूरी तैयारी के साथ आए बादल गुप्ता नैना से तमाम सवाल करते हैं, जैसे कि नैना को इस केस कौन फंसा रहा है? अर्जुन की हत्या किसने की आदि।
बॉलीबुड की फिल्मों के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि वे बिना गानों और रोमांस के दर्शकों को नहीं बांध सकतीं। लेकिन, इस फिल्म की कहानी इतनी दमदार है कि दर्शक पूरे समय बंधे रहते हैं। ये सब नैना-बादल के बीच सशक्त संवादों के जरिए ही होता है।
पूरी फिल्म में एक्शन कम और संवाद ज्यादा हैं। और इन्हीं संवादों के जरिए ही बादल गुप्ता केस की सच्चाई तक जा पहुंचते हैं। फिल्म के एक संवाद में बादल गुप्ता कहते हैं कि जो साबित होता है, उसे ही कानून सच मानता है। जोकि कानूनी तौर पर सौ फीसदी सच है। फिल्म में नैना अपने वकील उतना ही बताना मुनासिब समझती है, जितना कि आवश्यक है।
संवादों के जरिए इस तरह की कहानी को परदे पर पेश काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इस कार्य को सुजॉय ने कर दिखाया है। अगर फिल्म के संपादन की बात करें तो वह भी उत्तम है।
तापसी पन्नू और अमिताभ बच्चन की एक्टिंग दमदार है। अमिताभ ने यह साबित कर दिया है कि उम्र तो महज एक गिनती है। एक्टिंग के प्रति उनका जज्वा देखते ही बनता है। पिंक के बाद अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू फिर साथ दिखे हैं। अमिताभ ने अपने अभिनय से यह सिद्ध कर दिया है कि कैसे किसी का विश्वास जीतते हैं। फिल्म में उन्होंने तापसी का विश्वास जीत कर अपने किरदार को काबिल-ए-तारीफ बना दिया है।
तापसी इससे पहले पिंक, मनमर्जियां, मुल्क जैसी फिल्मों के जरिए अपनी एक्टिंग का लौहा मनावा चुकी हैं। इस सूची में अब बदला फिल्म का नाम भी जुड़ गया है। वह अमिताभ से कहीं कमतर साबित नहीं हुईं हैं। अन्य किरदारों की बात करें तो अमृता सिंह भी अपनी छाप छोड़ती हैं। साथ ही, टोनी ल्यूक व मानव कौल का अभिनय भी सराहनीय है।
रघुनाथ  यादव

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