Skip to main content

ये दिल्ली है मुश्किल: कोहरा और प्रदूषण की एक शेक्सपीरियन कॉमेडी का पर्दाफाश

प्रसिद्ध धुंध और मनमोहक वायु गुणवत्ता रीडिंग की भूमि दिल्ली सीधे शेक्सपियर की कॉमेडी के एक मंच में बदल गई है, जिसमें बॉलीवुड के मेलोड्रामा का तड़का है। शहर के निवासी अब इसे प्यार से "ये दिलही है मुश्किल" के नाम से बुलाते हैं - यह शहर के अंधेरे आसमान को भी एक व्यंग्यात्मक उत्कृष्ट कृति में बदलने की क्षमता के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।

केजरीवाल की दिल्ली की मनमोहक भूमि जहां की हवा बॉलीवुड कथानक की तरह साफ है और सड़कें विलियम शेक्सपियर की कॉमेडी की तरह चिकनी हैं। हम खुद को एक विशाल धुंधले दृश्य के बीच में विशाल लोक में पाते हैं।

यह शहर, जो अपनी वायु गुणवत्ता के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है। "दिल वालों" के शहर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उदार उपस्थिति से गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने स्मॉग से निपटने के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूले को एक शानदार सर्कस एक्ट की तरह तैयार किया है, और यह शो शेक्सपियरियन कॉमेडी से तो बिल्कुल कम नहीं है। इस नाटक से लोगों को ताजी हवा ख़ूब मिल रही है। पर्यटक भी कश्मीर की वादियों का रुख न करके "दिल वालों" के शहर की ओर ताजी हवा में अपने फैफडे़ डिटाॅक्स करने चले आ रहे हैं।

मजेदार बात ये है कि दिल्ली के लोग  ताजी हवा के लिए पहाड़ों पर नहीं जा रहे रहे हैं।

हमारे केजरीवाल एक बुद्धिमान नेता हैं, जिन्होंने एक ऐसी योजना तैयार की है जिससे टाइटेनिया (शेक्सपियर के नाटक "ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम्स" की एक पात्र) भी भौंहें चढ़ाने पर मजबूर हो जाएगी।

ऑड-ईवन फॉर्मूला केजरीवाज की प्रतिभा का एक नमूना है। हमें बताया गया है कि यह एक मास्टरस्ट्रोक है, जिसने दिल्ली की हवा को गुलमर्ग की हवा जैसा कर दिया है। यहां के लोगों ने किसी ‘परी लोक’ या ‘अप्सरा लोक’ के वारे में चिंतन करना बंद कर दिया है, क्योंकि ‘परी’ यहां की बहू बन के आ चुकी हैं।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता इतनी नाटकीय ऊंचाई पर पहुंच गई है कि बॉलीवुड गाने भी इस पर बनने लगे हैं। अफवाह यह है कि अगले बड़े हिट गीतों में "तुझे देखा तो ये स्मॉग लगा" और  "कभी एक्यूआई, कभी दिवाली, कभी-मस्ती कभी सजा" जैसे गीत यहां के बाशिंदों की जुबां पर हैं।

नाटक में एक अतिरिक्त एपिसोड जोड़ने के लिए, दिल्ली ने अब ट्रैफिक सिग्नलों पर "रियल-टाइम कॉमेडियन" पेश किए है। "गैस मास्क" और कभी-कभार खांसी के साथ प्रदर्शन करने वाले इन "स्टैंड-अप कॉमेडियन" का उद्देश्य यात्रियों का मनोरंजन करना है, जबकि वे सिग्नल बदलने तक लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। वे प्रदूषण-आधारित चुटकुले सुनाते हैं जैसे, धुआं सड़क पार क्यों कर गया? दूसरी तरफ जाने के लिए... 

आने वाले दिनों में "दिलवाले दुल्हानियां ले लाएंगे" जैसे गाने नहीं ‘दिलवाले स्मॉग ले जाएंगे’ और ‘स्मॉग हो तुम, स्मॉग में आए’ जैसी सॉन्ग होंगे। सचमुच में प्रदूषण इतना मधुर हैं, जिसने शहर के लोगों को सांस लेने में आसान कर दिया।

इस ट्रैफिक टैंगो के बीच हमारे माननीय मुख्यमंत्री अपने आंदोलन के समय से ही आश्चर्यजनक बातों के लिए जाने जाते रहे हैं। ‘परी’ के बॉलीवुड गीतों पर लोग अपने को ‘वार्म अप’ करेंगे।

फिर मुख्यमंत्री योग की प्राचीन परम्परा के वारे में बताएंगे और लोगों से कहेंगे कि हमारे प्राचीन ऋषियों ने योग को स्मॉग से निपटने के लिए डिजाइन किया था।

कल्पना कीजिए कि दिल्ली की सड़कें एक खुली हवा वाले योग स्टूडियो में तब्दील हो गई हैं, जहां लोग सम-विषम वाहनों की आपाधापी के बीच तरह-तरह की योग मुद्राएं बना रहे हैं।

जब आप धुंध में हवा के लिए हांफ रहे हों, तो ऑटो-रिक्शा और कभी-कभार आने वाली गाय से बचते हुए अपने फेफड़ों को शुद्ध करने लिए प्राणायाम और मन को शांत करने के लिए "ओम" का जाप करना याद शुरू कर देगा।

यह "योग स्मॉग-ऑल्यूशन" है और यह किसी पारलौकिक अनुभव से कम नहीं है। इस कॉमेडी का ग्रैंड फिनाले अभी सामने नहीं आया है। 

मुख्यमंत्री लोगों से कहेंगे स्मॉग को अंदर लें, शांति को बाहर निकालें। इससे आप अपने चक्रों को संतुलित कर सकते हैं। अब दिल्ली वाले ट्रैफिक योग का अभ्यास कर रहे हैं।

यह एक नए प्रकार का योग है, जिसमें आप अपनी कार में घंटों बैठकर अपने शरीर को फिट कर रहे हैं। वास्तव में, यह इतना प्रभावी है कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स वाले "ट्रैफिक योग" को एक नई श्रेणी में जोड़ने का विचार कर रहे हैं।

योगा एक्सपर्ट देश में आपको खोजने से भी नहीं मिलेंगे वे सभी यहां की हवा को शुद्ध कर रहे होंगे। केजरीवाल सभी योग एक्सपर्ट को एडवांस में सैलरी उनके अकाउंट में भेज चुके होंगे। 

फिर केजरीवाल शेक्सपियर की पोशाक पहनेंगे और खांसते हुए घोषणा करेंगे, "सारी दुनिया एक मंच है और सभी दिल्लीवासी मेरी भव्य प्रदूषण कॉमेडी के खिलाड़ी मात्र हैं!" और जैसे ही इस धुँधली गाथा का पर्दा गिरता है, हमारे पास एक स्थायी सबक रह जाता है। दिल्ली में बॉलीवुड की थोड़ी सी झलक, शेक्सपियर की कॉमेडी की एक चुटकी और बहुत सारी ख़राब समस्याओं को भी हल किया जाएगा।

तो प्रिय दिल्लीवासियों, अपने इनहेलर्स को संभाल कर रखें अपने बॉलीवुड डांस मूव्स को ध्यान में रखें और अपनी योगा मैट को सड़कों पर बिछाकर रखें। ये शो अवश्य चलना चाहिए...

✍️... रघुनाथ सिंह


Comments

Popular posts from this blog

व्यंग्य: सपनों का पेट, हकीकत का गिटार? कब बजेगी फिटनेस की तार?

हमारे समाज में फिटनेस अब एक नए 'संस्कार' के रूप में लोगों के दिमाग बैठ चुकी है। हर व्यक्ति इस राह पर चलने लगा है, जहां "प्रोटीन शेक्स" को आशीर्वाद की तरह लिया जाता है और वजन घटाने वाले डाइट प्लान को किसी शास्त्र की तरह माना जाता है। लेकिन हम सब जानते हैं कि फिटनेस की इस धारणा में कुछ बातें इतनी सरल नहीं हैं जितनी कि ये दिखती हैं। । खासकर जब हम 'पेट' जैसे जटिल विषय पर बात करें। तो आज हम इसी पेट के इर्द-गिर्द एक मजेदार और व्यंग्यपूर्ण यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें फिटनेस की बात होगी, लेकिन चुटीले अंदाज में!  बढ़ता हुआ पेट और समाज का प्यारभरा आशीर्वाद सबसे पहले तो एक सवाल– क्या आपने कभी सोचा है कि पेट बढ़ता क्यों है? यह हमारे समाज का आशीर्वाद है। हां, यही बात है। शादी के बाद लोग तुरंत पूछते हैं, "अरे! पेट कब आएगा?" जब आपके पेट पर थोड़ा सा भी 'संकेत' मिलता है, तो समाज में हर व्यक्ति फिटनेस गुरू बन जाता है। पड़ोसी आंटी से लेकर ऑफिस के सहकर्मी तक, सब आपको हेल्दी डाइट प्लान और व्यायाम के सुझाव देने लगते हैं। और अगर आप जिम जाने का इरादा भी करते हैं,...

ध्यानी नहीं शिव सारस

!!देव संस्कृति विश्विद्यालय में स्थपित प्रज्ञेश्वर महादेव!! ध्यानी नहीं शिव सारसा, ग्यानी सा गोरख।  ररै रमै सूं निसतिरयां, कोड़ अठासी रिख।। साभार : हंसा तो मोती चुगैं पुस्तक से शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता हैः न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है--विध्वंस है मन का। मन ही संसार है। मन ही सृजन है। मन ही सृष्टि है। मन गया कि प्रलय हो गई। ऐसा मत सोचो कि किसी दिन प्रलय होती है। ऐसा मत सोचो कि एक दिन आएगा जब प्रलय हो जाएगी और सब विध्वंस हो जाएगा। नहीं, जो भी ध्यान में उतरता है, उसकी प्रलय हो जाती है। जो भी ध्यान में उतरता है, उसके भीतर शिव का पदार्पण हो जाता है। ध्यान है मृत्यु--मन की मृत्यु, "मैं" की मृत्यु, विचार का अंत। शुद्ध चैतन्य रह जाए--दर्पण जैसा खाली! कोई प्रतिबिंब न बने। तो एक तो यात्रा है ध्यान की। और फिर ध्यान से ही ज्ञान का जन्म होता है। जो ज्ञान ध्यान के बिना तुम इकट्ठा ...

व्यंग्य: राजधानी दिल्ली की हवा हुई और खराब, राजनेताओं की बातों में कुछ नहीं 'खरा' अब

देश की राजधानी  दिलवालों की   दिल्ली  आजकल  किसी और  के लिए ही जानी जा रही है - वो है यहां की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स । यहां की हवा में अब ऐसा जहर घुल चुका है कि सांस लेना किसी कारनामे से कम नहीं लगता। ख़राब एयर क्वॉलिटी से हालात इतने दयनीय हैं कि लोग गहरी सांस लेने की बजाय William Shakespeare के “Hamlet” की तरह सोच रहे हैं- "To breathe or not to breathe, that is the question." यहां की वायु में घुला यह धुआं किसी त्रासदी से कम नहीं, लेकिन सफेद कुर्ताधारियों के लिए यह बस राजनीति का नया मुद्दा ही अपितु एक पॉलिटिकल डायलॉग और लफ्फाजी का अखाड़ा बन चुका है। दिल्ली की ज़हरीली हवा में अब सांस लेना किसी बॉलीवुड के फिल्मी विलेन से लड़ने जैसा हो गया है। यहां के हालात देखकर “Hamlet” का एक अन्य संवाद याद आती है- "Something is rotten in the state of Denmark." बस, ‘डेनमार्क’ की जगह आप दिल्ली लिख लें, बाकी सब वैसा ही है। देश राजधानी की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स का हाल पूछिए, तो जवाब आता है—जहांगीरपुरी 458, मुंडका 452, और आनंद विहार 456। अब यह AQI नहीं, जैसे कोई IPL Cricket Match का...