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मीडिया और समाज


मीडिया की कहानी एक अजीब कहानी है। एक समय था जब लोग अपने संदेश किसी से आदान-प्रदान करने के लिए कबूतरों और पोस्टमेन के जरिए पत्रों का आदान प्रदान करते थे। मेघदूत में तो यहां तक वर्णन कि उस जमाने में बादलों के माध्यम से ही संदेश भेजे जाते थे।
एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहंचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था। फिर समय में बदलाव आया और आज देश ही नहीं दुनिया के किसी भी कोने में बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। साथ ही, अपना दुःख-दर्द बयां किया जा सकता है।
आज आप मोबाइल पर जैसे चाहे वैसे अपना संदेश भेज सकते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड के मुताबिक, ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशंस जो यूजरों (उपभोक्ताओं) को सामग्रियां तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाए या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करे उसे सोशल मीडिया कहा जाता है।

वीकिपीडिया के अनुसार, सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श है जिसके तहत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं, उन्हें शेयर (साझा) करते हैं या आदान-प्रदान करते हैं। इस प्रकार हम कह सकते है कि सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा इलेक्ट्राॅनिक माध्यम है जिसके जरिए लोग उक्त माध्यम में शामिल सदस्यों के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। एक आंकड़ेे के अनुसार दुनियाभर में लगभग तीन सौ सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं, जिनमें ट्वीटर, फेसबुक, आॅर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर और इंस्टाग्राम है।

 हालांकि ये सबसे अधिक युवाओं में लोकप्रिय हैं। एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में 2061 मिलियऩ फेसबुक यूजर्स फेसबुक इस्तेमाल करने वाले हैं। वहीं, विश्वभर में इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 800 मिलियन जो जोकि दिसंबर 2016 की 200 मिलियन अधिक है। इसके आधे से ज्यादा की उम्र 18 से 29 के बीच है। 41 फीसदी यूजर्स की उम्र 24 वर्ष है। ये युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। लिंक्डइन यूजरों की संख्या 467 मिलियन है, और ये 24 भाषाओं में इस्तेमाल की सुविधा देती है। साथ ही इसकी पहुंच 200 देशों तक है, व्हाट्सएप के के यूजरों की संख्या 1300 मिलियन, यू-ट्यूब के यूजरों की संख्या 1500 मिलियन, फेसबुक मेसेजर के यूजरों की संख्या 1300 मिलियन है और ट्वीटर यूजरों की संख्या 328 मिलियन है।

 सोशल मीडिया का जन्म वर्ष 1995 में माना जाता है। उस समय क्लासमेट्स डॉट कॉम से एक साइट की शुरुआत की गई थी जिसके जरिए स्कूलों, कॉलेजों, कार्यक्षेत्रों और मिलीटरी के लोग एक दूसरे से जुड़ सकते थे। इसके बाद वर्ष 1996 में बोल्ट डॉट कॉम नाम की सोशल साइट बनाई गई। वर्ष 1997 में एशियन एवेन्यू नाम की एक साइट शुरू की गई थी एशियाई-अमरीकी कम्युनिटी के लिए। फेसबुक की शुरूआत 4 फरवरी 2004 में को हुई। मार्क जुकरबर्ग ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए फेसबुक को डेवलप किया था। आज देश के तमाम नेता फेसबुक और ट्वीटर पर सक्रिय हैं। लोगों के संवाद करने के लिए सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

सोशल मीडिया आज बहुत ही जरूरी माध्यम हो गया है। इस माध्यम के जरिए एक बड़ी आबादी से अपने विचार साझा किए जा सकते हैं। हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं-अच्छाई और बुराई। बुरे स्वभाव के लोग येन-केन-प्रकारेण दूसरों के अकाउंट्स को हैक कर गलत तस्वीरें और अन्य सामग्रियां डालकर दुश्मनी निकाल रहे हैं। अब तो छोटे बच्चों ने भी फेसबुक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसका उन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। आज के बच्चे फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर  हर समय चिपके रहते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया उन्हें एक ऐसा समाज देता है जिससे वे अपनी बातें शेयर कर सकते हैं।

मनोरोग चिकित्सकों का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के ज्यादा इस्तेमाल करने से लोग को इसका नशा लग जाता है। सोशल मीडिया एक परोक्ष माध्यम है। इसके इस्तेमाल से लोग परोक्ष  रूप से तो लोगों से जुड़े रहते हैं, लेकिन वो जो असल समाज है उससे वे अलग-थलग पड़ जाते हैं। इसका असर यह होता है कि उनमें सामाजिक गुणों का विकास नहीं हो पाता है। हाल के अध्ययन में एक बात सामने आई है कि लोग फेसबुक पर अपने फोटो डालते है और जब उस पर नकारात्मक कमेंट्स आएं तो उन्हें थोड़े से समय के लिए उनके मन पर भावनात्मक और नकारात्मक असर पड़ता है। और यही असर लम्बे समय समय तक हो जाए तो वे एक तरह भावनात्मक विक्षोव में चले जाते है। यहां तक कि उनके व्यवहार में परिवर्तन देखे जा सकते हैं। हालांकि यहां तक देखने में आया है कि उनका खुद के जीवन के प्रति नजरिया ही बदल जाता है।

आवश्यकता को अभिष्कार की जननी कहा गया है। लेकिन वह अभिष्कार किस काम का जो हमें खुद से ही अलग कर दे। आज आवश्यकता इस बात की है कि इनको उतना ही प्रयोग करे जितना जरूरी है।

रघुनाथ यादव


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