हाल ही में मीडिया द्वारा आतंकियों के प्रति संवेदना दिखाने और उन्हें मर्मस्पर्शी एंगल से दिखाने की आदत कोई नई नहीं है। खासतौर पर वामपंथी मीडिया के लिए यह आम बात है कि वह कितने भी बड़े आतंकी का चेहरा धो-पोंछकर उसे मानवीय रूप में पेश करने से पीछे नहीं हटती। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब इज़रायल ने हिज़्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतारा। जहां अमेरिका से लेकर सीरिया तक इस कार्रवाई पर लोगों ने खुशी जताई, वहीं वामपंथी मीडिया में मातम जैसा माहौल पसर गया। "इज़रायल द्वारा हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह को खत्म करने की खबर के बाद, मीडिया में एक अजीब सी होड़ मच गई। नसरल्लाह, जिसे दुनिया के अधिकांश देश एक आतंकी सरगना मानते थे, उसकी मौत के बाद कई मीडिया पोर्टलों ने उसके कुकर्मों का ब्योरा छापने की बजाय उसकी तारीफ करना शुरू कर दी। कुछ ने उसे ‘करिश्माई’ और ‘परोपकारी’ नेता के रूप में पेश किया, तो कुछ ने उसे ‘सम्मानित’ व्यक्ति बताया। नसरल्लाह के आतंकवादी इतिहास को नजरअंदाज करते हुए, मीडिया ने उसे एक सम्मानित और प्रभावशाली शख्सियत के रूप में दिखाने की कोशिश की, जिससे कई लोगों...
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