बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने की योजना 2019 से ही बन रही थी, और इसमें कई अमेरिकी एजेंसियाँ शामिल थीं। द सन्डे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के लिए लाखों डॉलर खर्च किए गए और इस साजिश में कई अमेरिकी संस्थाओं ने हाथ आजमाया।
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टिट्यूट (IRI) ने बांग्लादेश में सत्ता बदलने के प्रयास में प्रमुख भूमिका निभाई। IRI ने अमेरिका की USAID और NED से फंड प्राप्त किया और 2020 की शुरुआत में एक कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन लोगों को समर्थन देना था जो हसीना की दमनकारी सत्ता के खिलाफ खड़े हो सकें। IRI ने LGBT, बिहारी और अन्य समुदायों के 77 एक्टिविस्टों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की।
IRI ने सत्ता परिवर्तन के लिए कई विकल्पों पर विचार किया। एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि बांग्लादेश की सेना और व्यापारिक समूहों का समर्थन हसीना के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, IRI ने पाया कि अधिकांश बड़े कारोबारी हसीना के आवामी लीग का समर्थन करते हैं और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी सरकार के प्रति असंतुष्ट नहीं हैं। इसके अलावा, BNP को भी सत्ता परिवर्तन के लिए उपयुक्त नहीं माना गया क्योंकि इसकी छवि खराब हो गई थी और इसमें आंतरिक गुटबाजी थी।
IRI ने COVID-19 महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों का उपयोग करके हसीना की सत्ता को अस्थिर करने की कोशिश की। हालांकि, बांग्लादेश में कम मृत्यु दर और आर्थिक सुधार ने इस योजना को विफल कर दिया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि IRI को भारत से भी समस्या थी। IRI ने भारत के समर्थन को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस समर्थन ने आवामी लीग को राजनीतिक रूप से मजबूत और भ्रष्ट बना दिया। IRI ने बांग्लादेश में भारत के प्रभाव को कम करने की आवश्यकता व्यक्त की और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बनाए रखने की सिफारिश की।
शेख हसीना ने इस खतरे को समय रहते भांप लिया था। अप्रैल 2023 में, उन्होंने संसद में चेतावनी दी थी कि अमेरिका किसी भी देश की सरकार को पलट सकता है। इसके पहले, अमेरिका ने हसीना की सरकार पर दबाव डालना शुरू कर दिया था और कुछ अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगाए थे।
आखिरकार, 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सत्ता समाप्त हो गई। आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों और हिंसा के चलते हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत भागना पड़ा। इन प्रदर्शनों में जमात ए इस्लामी और अन्य कट्टरपंथी संगठनों की भागीदारी ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
यह खुलासा अमेरिकी एजेंसियों द्वारा बांग्लादेश की राजनीति में किए गए गहरे हस्तक्षेप को उजागर करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विदेशी प्रभाव की जटिलताओं को दर्शाता है।
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