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भारत का स्पष्ट संदेश: अब केवल PoK वापस लेना बाकी, जयशंकर ने UN में पाकिस्तान की आतंकवादी नीतियों पर कड़ा प्रहार किया


भारत का स्पष्ट रुख: अब सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को वापस लेना ही बचा है, जयशंकर का दो-टूक जवाब

आतंकवाद के परिणाम: पाकिस्तान अपने ही पाले आतंकवाद से तबाह हो रहा है, भारत ने UN में दी चेतावनी।
पाकिस्तान की दोहरी नीति का पर्दाफाश: कश्मीर और आतंकवाद पर भारत का विश्व मंच से करारा जवाब।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक सशक्त और स्पष्ट भाषण के माध्यम से पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों की आलोचना करते हुए भारत की कश्मीर नीति को पूरी दुनिया के सामने रखा। जयशंकर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब एकमात्र मुद्दा है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को वापस लेना। यह बयान तब आया जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर मुद्दे को एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में उठाने की कोशिश की थी। जयशंकर के इस कड़े बयान ने न केवल भारत के रुख को स्पष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान के पाखंड और आतंकवाद को बढ़ावा देने की उसकी नीति को भी दुनिया के सामने उजागर किया।

भारत का PoK पर स्पष्ट रुख:
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि भारत की एकमात्र प्राथमिकता अब PoK को वापस लेना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कोई और विवाद नहीं है और यह कि पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि उसकी सीमा पार आतंकवाद की नीति नाकाम रही है। हमारे बीच सुलझाया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है. भारत के इस बयान से साफ है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ संबंधों को केवल PoK तक सीमित करके देख रहा है। मोदी सरकार के तहत भारत ने कश्मीर पर अपने रुख को और भी मजबूत किया है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भारत ने यह संदेश दिया है कि कश्मीर पर अब कोई समझौता नहीं होगा और पाकिस्तान की किसी भी प्रकार की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों के परिणाम
जयशंकर ने अपने भाषण में पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान ने वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा देकर अपने और पड़ोसी देशों के लिए विनाश का मार्ग चुना है। पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के परिणाम उसे भुगतने होंगे। यह कल्पना करना कि वह अपने कृत्यों से बच जाएगा, गलतफहमी है।

पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भारतीय क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में यह भी कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति अब उसी के समाज को तबाह कर रही है। हम देख रहे हैं कि जो बुराइयाँ पाकिस्तान ने दूसरों पर थोपने की कोशिश की थी, वे अब उसके अपने समाज को निगल रही हैं। आतंकवाद का समर्थन करना केवल पाकिस्तान के लिए ही आत्मघाती साबित हो रहा है.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही गंभीर संकट में है, आतंकवाद और कट्टरपंथ के कारण और भी बदहाल होती जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं से वित्तीय सहायता लेने के बावजूद, पाकिस्तान की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है। जयशंकर ने यह इंगित किया कि पाकिस्तान अब अपने द्वारा पाले गए आतंकवाद का शिकार हो रहा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को तहस-नहस कर रहा है।

पाकिस्तान की कश्मीर पर दलीलों का पर्दाफाश:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने UNGA भाषण में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए भारत पर आरोप लगाया था कि उसने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन किया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से करते हुए कहा था कि जैसे फिलिस्तीन के लोग अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वैसे ही कश्मीर के लोग भी आत्म-निर्णय के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं।

जयशंकर ने शहबाज शरीफ की इस तुलना को नकारते हुए इसे पूरी तरह से हास्यास्पद और पाखंडपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, जो खुद आतंकवाद को प्रायोजित करता है और अपने ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है, उसे मानवाधिकारों पर बोलने का कोई हक नहीं है। यह हास्यास्पद है कि एक ऐसा राष्ट्र, जिसने 1971 में नरसंहार किया, वह आज मानवाधिकारों और असहिष्णुता के बारे में बोलने की हिम्मत करता है.

भारत ने बार-बार यह बात कही है कि पाकिस्तान, जो खुद आतंकवादी गतिविधियों का गढ़ है, कश्मीर पर बात करने का नैतिक अधिकार नहीं रखता। कश्मीर में भारत सरकार की नीतियों को लेकर पाकिस्तान की आलोचना को भारत ने खारिज कर दिया है और इसे पाकिस्तान की विफल विदेश नीति का हिस्सा बताया है।

भारतीय राजनयिक का जवाब:
जयशंकर के संबोधन से पहले, संयुक्त राष्ट्र में भारत की युवा राजनयिक भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान के कश्मीर पर दिए गए बयान का तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद का इस्तेमाल अपने पड़ोसियों के खिलाफ एक हथियार के रूप में करता आ रहा है। पाकिस्तान ने हमारी संसद, मुंबई, बाजारों और तीर्थस्थलों पर हमला किया है। यह पाखंड है कि एक ऐसा देश, जिसने खुद आतंकवाद का निर्यात किया है, वह आज हिंसा और असहिष्णुता पर बात कर रहा है।

भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान के मानवाधिकारों के दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। एक राष्ट्र, जो अपने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है, उसे मानवाधिकारों की दुहाई देने का कोई हक नहीं है. आतंकवाद पर पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए भाविका मंगलनंदन ने कहा, “पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के परिणाम उसे निश्चित रूप से भुगतने होंगे। यह हास्यास्पद है कि एक राष्ट्र जिसने 1971 में नरसंहार किया और जो आज भी अपने अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार करता है, वह असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिम्मत करता है.

जयशंकर ने अपने भाषण में यह भी कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद को प्रायोजित करने की नीति ने अब उसके अपने समाज को कट्टरवाद की चपेट में ला दिया है। उन्होंने कहा कि जब किसी देश की राजनीति में कट्टरवाद और आतंकवाद इस हद तक घुल-मिल जाते हैं, तो उसका परिणाम केवल विनाशकारी ही हो सकता है। “जब राजनीति में कट्टरता इस हद तक बढ़ जाती है, तो उसकी अर्थव्यवस्था केवल कट्टरवाद और आतंकवाद के निर्यात से मापी जा सकती है.

जयशंकर ने पाकिस्तान के उदाहरण को दुनिया के लिए एक सबक बताया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश अंततः खुद भी उसकी आग में जलते हैं। “जो उन्होंने दूसरों के लिए तैयार किया था, वही अब उन्हें खुद निगल रहा है,” उन्होंने कहा। पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कट्टरपंथी और आतंकवादी तत्व अब पाकिस्तान के समाज को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप देश अराजकता और अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है।

डॉ. एस. जयशंकर का संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया गया भाषण न केवल भारत की कश्मीर नीति को स्पष्ट करता है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक कड़ी चेतावनी भी है कि आतंकवाद और कट्टरपंथ को प्रोत्साहन देने वाले देश अंततः खुद को भी विनाश की ओर धकेलते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों को बर्दाश्त नहीं करेगा और अब केवल PoK को वापस लेना ही भारत की प्राथमिकता है।

भारत के इस स्पष्ट रुख से यह भी संदेश जाता है कि कश्मीर मुद्दे पर अब कोई समझौता नहीं होगा और पाकिस्तान की किसी भी प्रकार की गतिविधियों को सख्ती से निपटा जाएगा। जयशंकर का यह भाषण भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कूटनीतिक संघर्ष का एक और महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें भारत ने एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान के पाखंड और आतंकवाद के समर्थन को उजागर किया है।

✍️... रघुनाथ सिंह

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