हाल ही में मीडिया द्वारा आतंकियों के प्रति संवेदना दिखाने और उन्हें मर्मस्पर्शी एंगल से दिखाने की आदत कोई नई नहीं है। खासतौर पर वामपंथी मीडिया के लिए यह आम बात है कि वह कितने भी बड़े आतंकी का चेहरा धो-पोंछकर उसे मानवीय रूप में पेश करने से पीछे नहीं हटती। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब इज़रायल ने हिज़्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतारा। जहां अमेरिका से लेकर सीरिया तक इस कार्रवाई पर लोगों ने खुशी जताई, वहीं वामपंथी मीडिया में मातम जैसा माहौल पसर गया।
"इज़रायल द्वारा हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह को खत्म करने की खबर के बाद, मीडिया में एक अजीब सी होड़ मच गई। नसरल्लाह, जिसे दुनिया के अधिकांश देश एक आतंकी सरगना मानते थे, उसकी मौत के बाद कई मीडिया पोर्टलों ने उसके कुकर्मों का ब्योरा छापने की बजाय उसकी तारीफ करना शुरू कर दी। कुछ ने उसे ‘करिश्माई’ और ‘परोपकारी’ नेता के रूप में पेश किया, तो कुछ ने उसे ‘सम्मानित’ व्यक्ति बताया। नसरल्लाह के आतंकवादी इतिहास को नजरअंदाज करते हुए, मीडिया ने उसे एक सम्मानित और प्रभावशाली शख्सियत के रूप में दिखाने की कोशिश की, जिससे कई लोगों के मन में गहरी नाराजगी पैदा हो गई।"
जैसे ही ख़बर आई कि इज़रायल ने हसन नसरल्लाह का आतंक समाप्त कर दिया, विभिन्न मीडिया पोर्टलों ने उसके कुकर्मों के बजाय उसके जीवन की प्रशंसा में लेख प्रकाशित करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, न्यूयॉर्क टाइम्स, गार्जियन और बीबीसी जैसी प्रमुख समाचार एजेंसियों ने यह साबित करने की होड़ मचा दी कि नसरल्लाह कितना नेकदिल और उदार नेता था जिसने मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाइयों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की।
न्यूयॉर्क टाइम्स का प्रोपगैंडा
न्यूयॉर्क टाइम्स ने हिज़्बुल्लाह के प्रमुख को महान दिखाने के लिए यह दावा किया कि वह हमेशा मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाइयों के लिए एक समान फिलीस्तीन की कामना करता था। इस लेख में नसरल्लाह को एक शक्तिशाली वक्ता और शिया मुस्लिमों में प्रिय बताया गया। इतना ही नहीं, लेख ने उसे लेबनान में सामाजिक सेवाओं का नेतृत्व करने वाला और मिडल ईस्ट में प्रभावशाली नेता के रूप में पेश किया, जिसकी प्रतिष्ठा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने जानबूझकर हिज़्बुल्लाह के आतंकी कृत्यों और नसरल्लाह के हिंसक इतिहास को दरकिनार किया। इसके बजाय, उसके सामाजिक कार्यों और लेबनान में उसकी लोकप्रियता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। हकीकत में, नसरल्लाह ने हिज़्बुल्लाह के माध्यम से अनेक आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया और मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाई, लेकिन इस अखबार ने जानबूझकर इन तथ्यों को छिपाया।
एसोसिएटेड प्रेस: नसरल्लाह का करिश्माई व्यक्तित्व?
न्यूयॉर्क टाइम्स के बाद एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने भी इसी राह पर चलते हुए नसरल्लाह को "करिश्माई और चतुर” कहकर महिमा मंडित किया। लेख में नसरल्लाह के जीवन से जुड़े कुछ व्यक्तिगत किस्सों को भी शामिल किया गया ताकि उसके प्रति सहानुभूति पैदा की जा सके। लेख में उसे एक महान रणनीतिकार बताया गया जिसे लेबनान के लोग बहुत सम्मान देते थे।
हालांकि, इस लेख में भी हिज़्बुल्लाह के आतंकवादी गतिविधियों और नसरल्लाह के अपराधों का जिक्र न के बराबर था।जनता की नाराजगी बढ़ने पर AP ने अपनी हेडलाइन बदलकर “Who was longtime Hezbollah leader Hassan Nasrallah? कर दी, लेकिन तब तक उनकी ओर से नसरल्लाह के प्रति सहानुभूति का प्रचार प्रसारित हो चुका था।
बीबीसी के लिए आंदोलनकारी और परोपकारी नसरल्लाह?
न्यूयॉर्क टाइम्स और AP की तरह बीबीसी ने भी नसरल्लाह को एक प्रभावशाली और सम्मानित व्यक्ति के रूप में दिखाया। लेख में बताया गया कि कैसे नसरल्लाह ने ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाकर हिज़्बुल्लाह को एक बड़ी सैन्य और राजनीतिक शक्ति में बदल दिया। बीबीसी के लेख में हिज़्बुल्लाह को एक मानवतावादी संगठन के रूप में पेश किया गया, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं में लेबनानी जनता की मदद करता था।
हालांकि, बीबीसी ने इस बात को पूरी तरह नजरअंदाज किया कि हिज़्बुल्लाह की स्थापना इज़रायल को कमजोर करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके बावजूद, बीबीसी ने नसरल्लाह और हिज़्बुल्लाह की छवि को सुधारने की कोशिश की, यह बताने में विफल रहे कि यह संगठन क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम करता था।
EURO NEWS: नसरल्लाह “इस्लामी नेता
यूरो न्यूज ने तो यहां तक कि हसन नसरल्लाह को एक “इस्लामी नेता” कहकर उसकी छवि को और भी सुधारा। उन्होंने इज़रायल को आक्रामकता के रूप में प्रस्तुत किया और हिज़्बुल्लाह को एक वैध रक्षक के रूप में दिखाया। यह बताने में नाकाम रहे कि हिज़्बुल्लाह को 60 से अधिक देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है।
हिज़्बुल्लाह का आतंकवाद का इतिहास
हिज़्बुल्लाह की आतंकवादी गतिविधियों का एक लंबा और खौफनाक इतिहास है। 1983 में इस संगठन ने बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर बम विस्फोट किया था जिसमें 49 लोग मारे गए थे। उसी साल, उन्होंने एक और हमले में 240 अमेरिकी सैनिकों की जान ली। 1992 में ब्यूनोस आयर्स में इजरायली दूतावास पर बमबारी की गई, जिसमें 29 लोगों की मौत हुई और 240 से ज्यादा घायल हो गए। हिज़्बुल्लाह ने यहूदी समुदाय केंद्र पर हमला किया जिसमें 85 लोगों की मौत हुई और 300 से अधिक लोग घायल हुए।
इतना स्पष्ट आतंकी इतिहास होने के बावजूद, मीडिया का एक वर्ग नसरल्लाह और हिज़्बुल्लाह की छवि को साफ-सुथरा दिखाने में लगा हुआ है।
मीडिया की भूमिका और ज़िम्मेदारी
यह पहली बार नहीं है जब मीडिया ने आतंकियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है। चाहे ओसामा बिन लादेन हो, हमास के नेता हों, या अब हसन नसरल्लाह, कुछ मीडिया संस्थान हमेशा से ही आतंकियों के अपराधों को ढकने और उनके मानवीय पहलुओं को उजागर करने का काम करते रहे हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है, और आतंकवादी संगठनों को एक वैध स्थान देने की कोशिश की जाती है।
मीडिया का यह कर्तव्य है कि वह आतंकवाद के सच्चे और नंगे स्वरूप को उजागर करे, न कि उसे एक सहानुभूतिपूर्ण नेता के रूप में प्रस्तुत करे। इज़रायल ने जब अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए नसरल्लाह को खत्म किया, तो मीडिया को आतंकवाद के इस खतरे को सही रूप में पेश करना चाहिए था।
नसरल्लाह एक निर्दोष नेता नहीं, बल्कि एक कुख्यात आतंकवादी था, जिसने क्षेत्र में आतंक और अस्थिरता को बढ़ावा दिया। उसे महिमामंडित करने की बजाय, मीडिया को सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए और दुनिया को आतंकवादियों के असली चेहरे से अवगत कराना चाहिए।
✍️... रघुनाथ सिंह
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