अब आ गया समय उठो तुम नारी
21वीं सदी तुम्हारी है
कमजोर न समझो अपने को
उठाओ तलवार दुष्टों को हरने को
जननी हो सम्पूर्ण जगत की
तुम हो गौरव अपनी संस्कृति की
और आहट हो तुम क्रांति की
नया इतिहास तुम्हें अब रचना है
नहीं अब करनी किसी से याचना है
दर्श का दर्प तोड़ना है
नहीं करनी किसी की वंदना है
तुम दुर्गा हो, तुम लक्ष्मी हो
सरस्वती हो, सीता हो तुम
सदा सत्य का मार्ग
दिखलाने वाली
रामायण और गीता हो तुम
बन्धन रूढ़ि विवशताओं के
तोड़ तुम्हें आगे बढ़ना है
अब छोड़ो ममता को तुम
तुम अलख क्रांति की चिंगारी हो
अब नहीं तो कब?
तुम दुर्गा की अवतारी हो
उठाओ तलवार
और युद्ध का करो शंखनाद
अंतिम विजय यहाँ सत्य की है
विधना का ऐसा है विधान
विधना का ऐसा है विधान
#बस#यूँही#रघुनाथ
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