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त्राटक ध्यान (Tratak Meditation)




!!त्राटक ध्यान (Tratak Meditation)!!
त्राटक ध्यान (Tratak Meditation) त्राटक शब्द की उत्पत्ति ‘त्रा’ से हुयी है, जिसका अर्थ है मुक्त करना। यह क्रिया आँखों को साफ करने एवं आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए की जाती है। इस क्रिया में आप नेत्रों को सामान्य रूप से किसी निश्चित वस्तु पर केंद्रित करते हैं, जो दीपक या जलती हुई मोमबत्ती की लौ या जलता हुआ दीपक हो सकता है, चुनी हुई वस्तु को तब तक देखते रहें जब तक आंखों में पानी नहीं आ जाए या आपके आँख दर्द न करने लगे। जब पानी आ जाए या दर्द करने लगे तो आँखों को बंद करे और फिर सामान्य स्थिति में आकर इसे खोलें. अगर सही माने में देखा जाए तो आँखों को सेहतमंद रखने के लिए यह एक उम्दा योगाभ्यास है।
त्राटक मैडिटेशन त्राटक योगाभ्यास का एक उच्चतर स्तर है। यहाँ पर भी आप बेशक किसी निश्चित बिंदु पर अपना ध्यान को केंद्रित करते हैं. दुनिया की चीजों को अपने तन मन से निकाल कर आप सिर्फ एवं सिर्फ उस खास बिंदु को फोकस करते हैं. आप अपने शरीर के मांसपेशियों तथा नसों को आराम कराते हुए उस खास बिंदु पर अपने ध्यान को ज़माने की कोशिश करते है और धीरे धीरे इस प्रक्रिया की गहराई पर जाने की कोशिश करते हैं। त्राटक मैडिटेशन से आप सिर्फ अपने आँखों को ही ठीक नहीं करते बल्कि पुरे शरीर को बीमारियों से दूर रखते हैं।

त्राटक योग की विधि
सबसे पहले आप सिर, गर्दन एवं पीठ को सीधा रखते हुए किसी अंधेरे कमरे में ध्यान की मुद्रा में बैठें और आँखों को बंद कर लें।
जिस वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना हो उसे नेत्रों के समांतर ऊंचाई पर रखा होना चाहिए.आप मिट्टी के दीपक में घी से जली ज्योति को प्रकाश ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
जलती हुई मोमबत्ती अथवा जलते हुए मिट्टी के दीपक को आंखों से लगभग डेढ़ गज अथवा ढाई फुट की दूरी पर आंखों के ही समांतर ऊंचाई पर रखीं होनी चाहिए।
अब आप बंद आखों को खोलें और जलते हुए मिट्टी के दीपक की ज्योति को तब तक देखते रहे जब तक आंखें थक नहीं जातीं या आंसू नहीं निकल आते। अब आंखें बंद कर लें और विश्राम करें।
इस क्रिया को 3 या 4 बार दोहराएं, जब तक कि व्यक्ति बिना पलक झपकाए 10 या 15 मिनट के लिए दृष्टि जमाने का अभ्यस्त नहीं हो जाता।
ध्यान रहे जब आप ज्योति को देखते हैं तो पलक को नहीं झपकनी चाहिए।

त्राटक ध्यान के लाभ
हठप्रदीपिका के अनुसार त्राटक से नेत्र के सभी विकार, थकान एवं सुस्ती दूर होती है और यह भी कहा गया है कि इसे किसी खजाने की तरह सावधानीपूर्वक गोपनीय रखना चाहिए. इसके बहुत सारे लाभ हैं लेकिन यहां पर कुछ महत्वपूर्ण फायदे का जिक्र किया जा रहा है:
1-यह आंखों को साफ और चमकदार बनाता है।

2- नेत्र विकारों की चिकित्सा में यह उपयोगी है, और  आँखिनआँखिकी सुस्ती दूर करने में मददगार है।

3- यह आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करती है एवं मस्तिष्क के विकास में लाभकारी होती है।

4- यह आंतरिक ज्योति को प्रज्वलित करती है।
5- यह स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ाती है।

6।इसके अभ्यास से अल्फा तरंगें बढ़ती हैं, जो मस्तिष्क के विश्रामावस्था में होने का संकेत हैं.इस अवस्था में मस्तिष्क के निश्चित भाग काम करना बंद कर देते हैं तथा मस्तिष्क की प्रक्रियाएं रुक जाती हैं, इस प्रकार मस्तिष्क को अत्यावश्यक विश्राम प्राप्त होता है।

रघुनाथ यादव

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