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Showing posts from 2020

कृषि अधिनियम: संवैधानिक स्थिति और किसान

केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन कृषि विधेयकों को पारित किया है। इस विधेयक को लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है। यहां तक कि बीजेपी के साथ गठबंधन वाली पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं। सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लग रहा है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन की वरिष्ठ मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इनके विरोध में इस्तीफा दे दिया। किसान सड़कों पर उतरकर इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में तीनों विधेयक क्या हैं और इसका विरोध क्यों किया जा रहा है इसे समझने की कोशिश करते हैं। संसद द्वारा पारित तीन कृषि अधिनियमों ने पूरे देश में संवैधानिक वैधता पर बहस छेड़ दी है। ये अधिनियम ‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्‍य आश्‍वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 हैं। इन अधिनियमों की उपयोगिता बताते हुए सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों की आय़ बढ़ाने में मदद करेंगे, पहले किसानों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब से ऐसा नहीं होगा। आपको बता दें कि देश भर के किसान संगठन, मंडी समितियों से...

RamLeea

  Ravan Our difficulty is that our understanding is to choose. If we choose Lord Rama, Ravana becomes an enemy. If we choose Ravana, Rama became an enemy. And we cannot choose both, because we feel that both are great opponents, how should we choose them! And whoever chooses both, he understood the essence of Ramleea, because Ramleea is not Ram's Leela alone, it cannot exist without Ravana. Remove a little Ravana from Ramleela, then Ramleela will come to a complete halt, and it will fall there itself. All will crumble with support.  Lord Ram will not be able to stand without Ravana. Rama has the support of Ravana. Light cannot exist without darkness. Darkness is great support for light. Life cannot happen without death. Life rests in the hands of death. Life is going in reverse. The real question is to do the part well. It is not meant that Ram is Ravan. Be completed in a manner, completed efficiently. When the acting is complete, then you become a mythological person. Fight w...

THE UNSEEN INFINITE

THE UNSEEN INFINITE : POEM BY SRI SRI AUROBINDO    Arisen to voiceless unattainable peaks I meet no end, for all is boundless He, An absolute joy the wide-winged spirit seeks, A Might, a Presence, an Eternity. In the inconscient dreadful dumb Abyss Are heard the heart-beats of the Infinite. The insensible midnight veils His trance of bliss, A fathomless sealed astonishment of Light. In His ray that dazzles our vision everywhere, Our half-closed eyes seek fragments of the One: Only the eyes of Immortality dare To look unblinded on that living Sun. Yet are our souls the Immortal's selves within, Comrades and powers and children of the Unseen. -Sri Aurobindo  (4 October 1939)

नई शिक्षा नीति को मंजूरी

जुलाई 20, 2020 *नई शिक्षा नीति को मिली मंजूरी, समझिए शिक्षा नीति में क्या है नया?*  *नई दिल्ली।* *केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है और बुधवार शाम 4 बजे इसकी औपचारिक रूप से घोषणा कर दी गयी है। औपचारिक घोषणा केंद्रीय मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और डॉ रमेश पोखरियाल निंशक ने संयुक्त रूप से की। घोषणा के दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता आज कैबिनेट की बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गयी है। पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित ब्रीफिंग कार्यक्रम में मंत्रियों के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।* *■  विद्यालय शिक्षा में ये सुधार* *अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा। बुनियाद शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा। पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वी...

हिन्दी पत्रकारिता दिवस: आज के ही दिन छपा था पहला हिन्दी समाचार पत्र

✍️...रघुनाथ यादव हिंदी भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' के नाम से पहला समाचार पत्र आज के ही दिन 30 मई 1826 में निकाला गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उस समय पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वह ही थे। इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता के जगत में विशेष सम्मान है। जुगल किशोर शुक्ल जाने-माने वकील भी थे और कानपुर के रहने वाले थे। लेकिन, उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मस्थली बनाया। अंग्रेजों के खिलाफ परतंत्र भारत में हिंदुस्तानियों के हक की बात करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका था। इसीलिए उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से साप्ताहिक 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन शुरू किया। यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। परतंत्र भारत की राजधानी कलकत्ता में अंग्रजी शासकों की भाषा अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव...

डोंडा वाला बाग: गांव के मेले की कहानी भाग-1

!!श्रीश्री 1008 रामानंद जी महाराज!!      Photo Credit: Raju ✍️... रघुनाथ यादव गर्मियों के दिन थे। सुबह का वक़्त था। तिथि थी आधे बैसाख अख़तीज। गांव के सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कान- कुछ करने की। कुछ खरीदने की। सभी बच्चों ने पहले से ही निर्णय कर लिया था कि क्या करना है, क्या खरीदना है, क्या खाना है, घर क्या लाना है- आदि आदि। छोटे भइया के लिए क्या लाना है, बहन के लिए क्या लाना है.....उनके चेहरे पर खुशियां कई दिनों से तैर रही थीं। और तैरें भी क्यों न क्योंकि, साल में यह तिथि एक ही दिन तो आती है। जी हां... हम बात कर रहे हैं अपने गांव के डोंडा वाले बाग़ की। बाग़ को श्रीश्री 1008 रामानंद जी महाराज ने पुष्पित-पल्लवित किया। भले ही महाराज जी आज हमारे बीच स्थूल रूप में न हो, लेकिन सूक्ष्म रूप से उनकी उपस्थिति आज भी बाग़ में महसूस की जा सकती है। उनके सद वाक्य आज भी हमारे कानों में गूंजते हैं। आज बात महाराज जी पर नहीं, महाराज जी पर अलग से किसी दिन चर्चा करेंगे। दूसरी कहानी आप को बताते हैं...ये बात वर्ष 1990 की है। इस बात को 30 बरस हो गए, लेकिन आज भी वैसी ही नयी है- जैसी कि तब थ...

ऋषि कपूर न चाॅकलेटी थे न चिंटू।

ऋषि कपूर आज हमारे बीच में नहीं है। बॉलीवुड का वह सितारा जो बाप के बचपन से लेकर सैकड़ा पार बुजुर्ग तक का किरदार। डिंपल से लेकर दिव्या भारती तक के साथ रियल लगता रोमांस। और फिर लवर ब्वाय से लेकर डी कंपनी के डाॅन तक का चरित्र ….एक ट्वीट से नेताओं तक की नींद छीन लेने वाले ऋषि कपूर सदा के लिए सो गये। दुनिया ने हर बार लेबल चिपकाने की कोशिश की, पर आखिरकार साबित कर दिया कि वे न चाॅकलेटी थे न चिंटू। मेरा नाम जोकर में राजकपूर जैसे बाप के बचपन का किरदार निभाकर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल किया। पर जोकर के सच को दुनिया ने दुत्कार दिया। बदहाली के साथ साथ पिता राज के शोमैन होने की कूवत पर दुनिया सवाल उठाने लगी। बेटा फिर बाप के लिए सामने आया- ‘बाॅबी’ का ब्वाॅयफ्रैंड बनकर। बाप-बेटे ने दुनिया को बता दिया कि मिस वल्र्ड! तुमसे ज्यादा जानता हू कि तुम्हें क्या पसंद है? और फिर सिर्फ गुदगुदाते, दिल लुभाते किरदार। डिंपल से दिव्या भारती तक और पद्मिनी से श्रीदेवी के अपोजिट नजर आये। पर्दे पर करने को कुछ खास नहीं, पर दर्शक एक झलक से ही खुश। वीमन डॉमिनेटेड फिल्में करने का साहस कम नहीं होता। ‘दामिनी’ स...

इस फ़िल्म ने हिला दी थी सरकार

राजनीतिक फिल्म:  ‘किस्सा कुर्सी का’ ने हिला दी थी इंदिरा सरकार, फिल्म के प्रिंट गुड़गांव में जलाए गए, संजय गांधी को जाना पड़ा था तिहाड़ जेल * वर्ष 1974 में बनी अमृत नाहटा की फिल्म कभी रिलीज नहीं हुई, 1977 के चुनाव में बनी थी मुद्दा * फिल्म बनाने वाले नाहटा दो बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी से सांसद रहे *किस्सा कुर्सी का’ फिल्म में राजनीतिक पार्टी का चुनाव चिह्न ‘जनता की कार’ था उस वक्त मारुति कार संजय गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसे जनता की कार बताया गया था पहले मैं फिल्में कम ही देखता था। लेकिन, अब थोड़ी बहुत देखने लगा हूं। इसलिए पुरानी फिल्मों से ही शुरुआत करनी चाहिए। किसी ने बताया कि 'किस्सा कुर्सी' फ़िल्म देखो। फिर क्या था... मैंने लैपटॉप खोला और फ़िल्म देख डाली।  आपको बताऊं 'किस्सा कुर्सी' पॉलटिक्स पर बनी फिल्म भारतीय सिने इतिहास की सबसे विवादास्पद फिल्म मानी जाती है। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार हिलाने से लेकर इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में यह फिल्म बहुत बड़ा मुद्दा बनी थी। वर्ष 1974 में अमृत नाहटा द्वारा बनाई गई इस फिल्म पर वर्ष 1975 में रोक ...

त्राटक ध्यान (Tratak Meditation)

!! त्राटक ध्यान (Tratak Meditation)!! त्राटक ध्यान (Tratak Meditation) त्राटक शब्द की उत्पत्ति ‘त्रा’ से हुयी है, जिसका अर्थ है मुक्त करना। यह क्रिया आँखों को साफ करने एवं आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए की जाती है। इस क्रिया में आप नेत्रों को सामान्य रूप से किसी निश्चित वस्तु पर केंद्रित करते हैं, जो दीपक या जलती हुई मोमबत्ती की लौ या जलता हुआ दीपक हो सकता है, चुनी हुई वस्तु को तब तक देखते रहें जब तक आंखों में पानी नहीं आ जाए या आपके आँख दर्द न करने लगे। जब पानी आ जाए या दर्द करने लगे तो आँखों को बंद करे और फिर सामान्य स्थिति में आकर इसे खोलें. अगर सही माने में देखा जाए तो आँखों को सेहतमंद रखने के लिए यह एक उम्दा योगाभ्यास है। त्राटक मैडिटेशन त्राटक योगाभ्यास का एक उच्चतर स्तर है। यहाँ पर भी आप बेशक किसी निश्चित बिंदु पर अपना ध्यान को केंद्रित करते हैं. दुनिया की चीजों को अपने तन मन से निकाल कर आप सिर्फ एवं सिर्फ उस खास बिंदु को फोकस करते हैं. आप अपने शरीर के मांसपेशियों तथा नसों को आराम कराते हुए उस खास बिंदु पर अपने ध्यान को ज़माने की कोशिश करते है और धी...

ध्यानी नहीं शिव सारस

!!देव संस्कृति विश्विद्यालय में स्थपित प्रज्ञेश्वर महादेव!! ध्यानी नहीं शिव सारसा, ग्यानी सा गोरख।  ररै रमै सूं निसतिरयां, कोड़ अठासी रिख।। साभार : हंसा तो मोती चुगैं पुस्तक से शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता हैः न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है--विध्वंस है मन का। मन ही संसार है। मन ही सृजन है। मन ही सृष्टि है। मन गया कि प्रलय हो गई। ऐसा मत सोचो कि किसी दिन प्रलय होती है। ऐसा मत सोचो कि एक दिन आएगा जब प्रलय हो जाएगी और सब विध्वंस हो जाएगा। नहीं, जो भी ध्यान में उतरता है, उसकी प्रलय हो जाती है। जो भी ध्यान में उतरता है, उसके भीतर शिव का पदार्पण हो जाता है। ध्यान है मृत्यु--मन की मृत्यु, "मैं" की मृत्यु, विचार का अंत। शुद्ध चैतन्य रह जाए--दर्पण जैसा खाली! कोई प्रतिबिंब न बने। तो एक तो यात्रा है ध्यान की। और फिर ध्यान से ही ज्ञान का जन्म होता है। जो ज्ञान ध्यान के बिना तुम इकट्ठा ...

आ गया समय उठो तुम नारी

अब आ गया समय उठो तुम नारी 21वीं सदी तुम्हारी है कमजोर न समझो अपने को उठाओ तलवार दुष्टों को हरने को जननी हो सम्पूर्ण जगत की तुम हो गौरव अपनी संस्कृति की और आहट हो तुम क्रांति की नया इतिहास तुम्हें अब रचना है नहीं अब करनी किसी से याचना है दर्श का दर्प तोड़ना है नहीं करनी किसी की वंदना है तुम दुर्गा हो, तुम लक्ष्मी हो सरस्वती हो, सीता हो तुम सदा सत्य का मार्ग दिखलाने वाली रामायण और गीता हो तुम बन्धन रूढ़ि विवशताओं के तोड़ तुम्हें आगे बढ़ना है अब छोड़ो ममता को तुम तुम अलख क्रांति की चिंगारी हो अब नहीं तो कब? तुम दुर्गा की अवतारी हो उठाओ तलवार और युद्ध का करो शंखनाद अंतिम विजय यहाँ सत्य की है विधना का ऐसा है विधान विधना का ऐसा है विधान #बस#यूँही#रघुनाथ