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Kejriwal का ‘नाटकशास्त्र’: झाड़ू से जेल तक और दिल्ली की सत्ता में BJP की ‘ऐतिहासिक एंट्री

विलियम शेक्सपियर ने "As You Like It" में लिखा था, "All the world is a stage, and all the men and women merely players." दिल्ली की राजनीति किसी थिएटर से कम नहीं रही। मंच वही था, पर स्क्रिप्ट हर पांच साल में बदलती रही। कभी 'आम आदमी' जनता का हीरो बना, तो कभी वही जनता उसे विलेन बनाने लगी।
अरविंद केजरीवाल, जो राजनीति में ‘ईमानदारी की मशाल’ लेकर आए थे, दिल्ली विधानसभा चुनाव में उस मशाल से अपना ही राजनैतिक भविष्य जलाते दिखे। और अंततः  2025 में, यह ड्रामा अपने चरम पर पहुंच गया, जिसमें दिल्ली की जनता ने ‘नाटक मंडली’ को उखाड़ फेंका और नरेंद्र मोदी की ‘विकास गारंटी’ पर मोहर लगा दी।

William Shakespeare की तरह केजरीवाल भी अपने आप को एक ट्रैजिक हीरो समझते थे। कुछ-कुछ ‘हेमलेट’ की तरह, जो अपनी ही उलझनों में फंसकर खुद का विनाश कर बैठा। मगर यहां कहानी थोड़ी अलग थी।
ये ट्रैजिक हीरो भ्रष्टाचार की गर्त में इतने गहरे उतर चुके थे कि ‘दिल्ली दरबार’  ने उन्हें खलनायक का रोल दे दिया। और वर्ष 2025 का चुनावी नतीजा इस ‘राजनीतिक नाटक’ का ग्रैंड फिनाले बन गया।

जब वर्ष 2013 में पहली बार केजरीवाल ‘AAP’ का घोषणापत्र लेकर आए थे, तो दिल्ली की जनता ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया। ‘झाड़ू’ एक प्रतीक बन गया—एक क्रांति, एक आंदोलन, एक बदलाव।
मगर फिर धीरे-धीरे यह झाड़ू जनता की उम्मीदों को ही बुहारने लगी। वादे अधूरे रह गए, सपने टूटने लगे, और दिल्ली की गलियों में ‘फ्री बिजली, पानी’ का नारा ‘भ्रष्टाचार, घोटाले’ में बदल गया।

वर्ष 2020 आते-आते केजरीवाल को सत्ता का स्वाद लग चुका था। उन्हें लगा कि दिल्ली उनकी जागीर बन गई है और वे जो चाहें, वही होगा। शेक्सपियर ने कहा था— "Uneasy lies the head that wears a crown." मगर यहां ताज संभालने की बजाय, यह सिर सिर्फ स्क्रिप्ट लिखने में लगा था—नई-नई नौटंकियों की, नए-नए वादों की, और सबसे ज्यादा, नए-नए झूठों की।

दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक पर विज्ञापन इतना चला कि लोग सच में मानने लगे कि दिल्ली ‘हेल्थ हब’ बन गई। लेकिन हकीकत में, डॉक्टर ढूंढने से भी नहीं मिलते थे और दवाइयां इतनी ‘मुफ्त’ थीं कि अस्पताल खाली ही पड़े रहते।
स्कूलों को लेकर इतना प्रचार हुआ कि मानो दिल्ली के सरकारी स्कूल हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड बन चुके हों। लेकिन, असली परीक्षा के नतीजे बताते थे कि बच्चे पढ़ाई से ज्यादा 'आप' के प्रचार में लगे हुए थे।

दिल्ली की जनता केजरीवाल की हर स्क्रिप्ट को देखती रही. कभी झूठे आँसू, कभी पीड़ित बनने का ड्रामा, कभी मोदी सरकार पर बेबुनियाद आरोप। मगर राजनीति में हर स्क्रिप्ट का एक क्लाइमैक्स होता है। और केजरीवाल की कहानी में यह क्लाइमैक्स आया ‘शराब घोटाले’ से।

"Hell is empty, and all the devils are here." – The Tempest
अरविंद केजरीवाल के करीबी नेताओं पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो उन्होंने वही पुराना पैंतरा आजमाया— ‘मैं सबसे ईमानदार हूँ, ये सब बीजेपी की साजिश है।’ लेकिन इस बार जनता मूर्ख नहीं बनी। शराब घोटाले से लेकर सरकारी विज्ञापनों के फिजूल खर्च तक, हर एक घोटाले में उनका नाम आया। जैसे-जैसे उनके नेता जेल में जाते गए, केजरीवाल के ‘राजनीतिक मंच’ की लाइटें भी बुझती गईं।

2025 के चुनाव में जब प्रचार शुरू हुआ, तो बीजेपी ने एकदम अलग रणनीति अपनाई। मोदी ने केजरीवाल के ड्रामे का जवाब ‘विकास गारंटी’ से दिया। जनता को मुफ्त योजनाओं की आदत पड़ चुकी थी, लेकिन मुफ्त की कीमत जब शहर की बदहाली बन जाए, तो लोग आखिरकार समझने लगते हैं।

मोदी के अभियान में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ का ज़ोर था। दिल्ली को ‘नया रोजगार हब’ बनाने की बात थी, मेट्रो विस्तार, सड़कों का कायाकल्प, प्रदूषण पर सख्ती, और सबसे जरूरी—शुद्ध पेयजल और मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था। केजरीवाल जहां सिर्फ प्रचार कर रहे थे, मोदी वहां असली योजनाओं के साथ खड़े थे।

"Strong reasons make strong actions." – King John
दिल्ली की जनता ने इस बार नाटक नहीं, काम देखा। वोटिंग के दिन लोगों ने ‘आप’ के वादों को याद भी नहीं किया। नतीजे आए, और वही हुआ जो होना था—बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीतकर सत्ता में एंट्री मारी।

केजरीवाल की ‘राजनीतिक नाटक मंडली’ का पर्दा गिर चुका था। उनकी हार किसी ट्रैजिक हीरो की तरह थी, जो अपनी ही गलतियों से मिट गया।

"What’s done cannot be undone." – Macbeth
अब सवाल यह नहीं था कि केजरीवाल ने क्या किया, बल्कि सवाल यह था कि दिल्ली अब कैसे आगे बढ़ेगी? मोदी ने घोषणा की—“अब विकास ही प्राथमिकता है।” दिल्ली में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा, प्रदूषण से लड़ाई और तेज होगी, युवाओं के लिए स्टार्टअप हब बनेगा, और हर नागरिक को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होगी।

दिल्ली ने 2025 में एक स्पष्ट संदेश दिया, "हमें ड्रामा नहीं, हमें विकास चाहिए!" शेक्सपियर ने सही कहा था, "All’s well that ends well."

अब ‘आप’ की नाटक मंडली इतिहास बन चुकी थी, और दिल्ली का भविष्य एक नई दिशा में बढ़ चुका था, मोदी के नेतृत्व में, विकास की ओर।


✍️... रघुनाथ सिंह

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