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PM Modi-Donald Trump की मुलाकात पर अमेरिकी मीडिया में क्या कहा जा रहा है? आइए जाने...


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12 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाक़ात की, जिसमें दोनों नेताओं के बीच व्यापार, रक्षा सहयोग, ऊर्जा सौदे और अवैध प्रवासियों की वापसी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस लेने की प्रतिबद्धता जताई, वहीं राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार घाटा कम करने, टैरिफ़ से जुड़ी चिंताओं और भारत द्वारा अमेरिका से तेल व गैस की ख़रीद पर जोर दिया। बैठक में रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर भी सहमति बनी। यह मुलाक़ात ऐसे समय में हुई जब ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासियों को वापस भेजने और नए टैरिफ़ लागू करने को लेकर सख्त नीति अपना रहा है, जिससे यह वार्ता द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई दिशा मिल सकती है, लेकिन अब देखना होगा कि इन समझौतों को ज़मीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाता है।

Washington Post (वॉशिंगटन पोस्ट) की रिपोर्ट
अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने "Trump, Modi aim to cut U.S. trade gap with India amid global tariff concerns" शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की है. अख़बार ने अपने लेख में लिखा है कि वैश्विक स्तर पर टैरिफ़ को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाक़ात हुई। ट्रंप इस बैठक में भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करने पर जोर देना चाहते हैं।
अख़बार के अनुसार, "ट्रंप के कार्यभार ग्रहण करने के बाद यह किसी शीर्ष वैश्विक नेता की चौथी अमेरिका यात्रा है, जो इस ओर संकेत करता है कि ट्रंप प्रशासन नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहता है।" अख़बार ने लिखा कि भारत और अमेरिका की यह साझेदारी वॉशिंगटन की हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हालांकि, अवैध आप्रवासन, वीज़ा नीतियां, व्यापार असंतुलन और अमेरिका में सिख कार्यकर्ता की हत्या की कोशिश जैसे मुद्दे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव के कारक बने हुए हैं। संयुक्त प्रेस वार्ता में ट्रंप ने भारत-अमेरिका मित्रता को प्रमुखता से रखा, लेकिन इसी वार्ता से एक दिन पहले उन्होंने प्रतिस्थानी टैरिफ़ (Reciprocal Tariff) लगाने की घोषणा कर दी थी।
अख़बार ने मोदी को पहला ऐसा विदेशी नेता बताया, जिन्होंने ट्रंप के साथ व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करने की बात कही। इस दौरान मोदी ने ट्रंप के नारे "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) से प्रेरित होकर "मेक इंडिया ग्रेट अगेन" (MIGA) का नारा भी दिया।

अख़बार के अनुसार, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जहां भारत अपने कुल निर्यात का 18 प्रतिशत से अधिक भेजता है। भारत, अमेरिका से जितना आयात करता है, उससे लगभग 45 अरब डॉलर अधिक निर्यात करता है, और ट्रंप इस अंतर को कम करने के पक्षधर हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में व्यापारिक समझौते पर सफलता नहीं पाई थी और चुनाव प्रचार के दौरान भारत को टैरिफ़ के "सबसे बड़े दुरुपयोग करने वाले देश" के रूप में प्रस्तुत किया था। लेकिन, भारत ने रक्षा, तेल-गैस और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अमेरिका को रियायतें देने पर सहमति जताई है, जिसे ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।

हालांकि, अख़बार ने यह भी लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने फ़्रांस के साथ एक प्रमुख टेक्नोलॉजी समझौता किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में अमेरिका अकेला खिलाड़ी नहीं है।

एक विश्लेषक के हवाले से अख़बार ने लिखा कि ट्रंप का एफ-35 फाइटर जेट को लेकर दिया गया बयान उनके भरोसे को दर्शाता है, जो भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत कर सकता है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट 
न्यूयॉर्क टाइम्स ने ने मोदी के दौरे पर "Trump and Modi Shove Disputes Into Background in White House Visit" शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की, जबकि ट्रंप ने  भारत पर भारी टैरिफ़ का दबाव बनाए रखा।
अख़बार के अनुसार, मोदी ने अपने दौरे में विवादित मुद्दों को हावी नहीं होने दिया और मुलाक़ात के दौरान ट्रंप के साथ मैत्रीपूर्ण माहौल बनाए रखने पर जोर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कुछ घंटे पहले ही 'रेसिप्रोकल टैरिफ़' लगाने की घोषणा की थी, लेकिन फिर भी दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एकता का संदेश देने की कोशिश की। मोदी ने इस दौरान अपना अधिकांश वक्तव्य अनुवादक के माध्यम से दिया।
हालांकि व्हाइट हाउस में टैरिफ़ वृद्धि चर्चा का अहम मुद्दा था, मोदी ने अन्य वैश्विक नेताओं की तरह ही ट्रंप की व्यापारिक मांगों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति दर्शाई।
अख़बार ने लिखा कि ट्रंप के करीबी माने जाने वाले उद्योगपति एलन मस्क से मोदी की मुलाक़ात भी चर्चा में रही। दोनों ने साझा तस्वीरें भी खिंचवाईं।
एलन मस्क, जो दुनिया के सबसे अमीर शख़्स हैं, स्टारलिंक समेत कई कंपनियों के मालिक हैं और उनकी कंपनी भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए अनुमति लेने के प्रयास में है।  

अख़बार ने बताया कि हाल ही में ट्रंप के कार्यकारी आदेशों की वजह से भारत-अमेरिका व्यापार और आप्रवासन पर तनाव रहा, लेकिन दोस्ती के ऊपरी दिखावे की वजह से यह स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ट्रंप ने यह कहकर विवाद को और हवा दी कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर है, जबकि 2024 के वास्तविक आंकड़ों के अनुसार यह लगभग 50 अरब डॉलर था।
ट्रंप ने कहा, "हम पहले कार्यकाल में भारत से टैरिफ़ नहीं हटा पाए, लेकिन अब हम कह रहे हैं कि जितना शुल्क आप लगाएंगे, उतना ही हम भी लगाएंगे।"
अख़बार के मुताबिक, मोदी ने 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का संकल्प लिया और संकेत दिया कि शीघ्र ही दोनों देशों के बीच एक व्यापारिक समझौता हो सकता है। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से भारत भेजने के ट्रंप प्रशासन के निर्णय ने भारत में गहरी नाराजगी पैदा की थी। जब इस मुद्दे पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मोदी से सवाल पूछा गया**, तो उन्होंने इसका सीधा उत्तर देने के बजाय कहा, "यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से किसी देश में प्रवेश करता है, तो उसे वहां रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।"  

ट्रंप से मुलाक़ात से पहले मोदी ने एलन मस्क और उनके बच्चों से भी मुलाक़ात की और इस दौरान ली गई तस्वीरें मस्क के ट्रंप प्रशासन में प्रभाव को दर्शाती हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मोदी और मस्क की मुलाक़ात के दौरान उनके सामने भारत और अमेरिका के झंडे रखे गए थे, जो यह संकेत देता है कि मस्क का प्रभाव केवल व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

CNN की रिपोर्ट: प्रधानमंत्री मोदी, एलन मस्क और ट्रंप की मुलाक़ात

सीएनएन, अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार चैनल ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाक़ात को अपने प्रसारण में शामिल किया। साथ ही, चैनल ने मोदी और अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की मुलाक़ात को भी प्रमुखता दी।  

कार्यक्रम के दौरान एंकर एरिन बर्नेट ने कहा, "जब राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि क्या उन्हें पता था कि एलन मस्क भारतीय प्रधानमंत्री से एक निजी कंपनी के सीईओ के रूप में मिले थे, या फिर अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) के प्रमुख के रूप में? तो ट्रंप ने जवाब दिया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।"
जब ट्रंप से यह सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में नहीं पता। वे मिले थे और मेरा मानना है कि मस्क भारत में व्यापार करना चाहते हैं क्योंकि वह एक कंपनी चला रहे हैं।"
एंकर बर्नेट ने विश्लेषण करते हुए कहा कि एलन मस्क भारत में टेस्ला की फ़ैक्ट्री स्थापित करना चाहते हैं और इसके लिए स्वीकृति प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, ऐसी खबरें भी हैं कि उनकी स्पेस एक्स कंपनी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ साझेदारी करना चाहती है।
इस चर्चा के दौरान बर्नेट ने सवाल उठाया, "एलन मस्क वर्तमान में अमेरिकी सरकार के बेहद प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते हैं। क्या वह अपने व्यावसायिक हितों को बढ़ाने के लिए सरकार में अपनी स्थिति का लाभ उठा रहे हैं? क्या यह हितों का टकराव नहीं है?"
इस विषय पर डेमोक्रेटिक रणनीतिकार पॉल बगाला ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "एलन मस्क केवल एक सीईओ नहीं हैं, बल्कि वह अमेरिकी सरकार के एक विशेष सरकारी कर्मचारी भी हैं, क्योंकि वह डीओजीई के प्रमुख हैं। इसलिए, उन्हें अपने निजी आर्थिक हितों को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें नहीं पता कि प्रधानमंत्री मोदी और एलन मस्क के बीच क्या बातचीत हुई, लेकिन इस बैठक के नोट्स सार्वजनिक किए जाने चाहिए। यह सरकार केवल अरबपतियों की है, अरबपतियों द्वारा चलाई जा रही है और अरबपतियों के ही हितों के लिए कार्य कर रही है।"  

हालांकि, इसी कार्यक्रम में मौजूद रिपब्लिकन रणनीतिकार शेरमाइकल सिंगल्टन ने ओवल ऑफ़िस में प्रधानमंत्री मोदी और एलन मस्क की मुलाक़ात का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "एलन मस्क दुनिया के सबसे नवाचारशील व्यक्तियों में से एक हैं। वह एक अमेरिकी नागरिक हैं और भारत में व्यापार का विस्तार करना चाहते हैं। यदि वह व्यावसायिक कारणों से ओवल ऑफ़िस में प्रधानमंत्री मोदी से मिलते हैं, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।"  

सीएनएन की इस रिपोर्ट ने वैश्विक व्यापार, राजनीतिक प्रभाव और सरकारी नीति से जुड़े मुद्दों को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया, जिससे यह बहस छिड़ गई कि क्या निजी कंपनियों के प्रमुखों का सरकारी नीतियों में प्रभाव उचित है या नहीं। 

NY Post की विस्तृत रिपोर्ट
NY Post ने अपने हालिया लेख में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं। इस सहयोग में स्टील्थ फाइटर जेट F-35 की संभावित बिक्री और रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी जैसे अहम पहलू शामिल हैं।
PM मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बैठक में अगले दस वर्षों के लिए एक व्यापक रक्षा साझेदारी फ्रेमवर्क तैयार करने की बात कही गई। इस योजना के तहत, भारत और अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास, उन्नत हथियार प्रणालियों की साझेदारी, साइबर सुरक्षा सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लिए F-35 फाइटर जेट की खरीद एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है, क्योंकि यह उन्नत स्टील्थ तकनीक से लैस है और आधुनिक युद्धक क्षमताओं से युक्त है। साथ ही, अमेरिका भारत को अन्य रक्षा तकनीकों, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम उपलब्ध कराने पर भी विचार कर रहा है।
रक्षा सहयोग के साथ-साथ, भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव की भी चर्चा हुई। NY Post के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ़  लागू करने की घोषणा से भारत, जापान और यूरोपीय संघ में चिंता देखी जा रही है। ट्रंप का दावा है कि यदि व्यापार घाटे को कम किया जाए, तो अमेरिका हर साल एक ट्रिलियन डॉलर तक बचा सकता है।
PM मोदी से मुलाक़ात से पहले ही ट्रंप ने संकेत दिया था कि वह भारतीय बाज़ार में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ़ कम करने की मांग करेंगे।ट्रंप का कहना था कि अमेरिका लंबे समय से व्यापार घाटे का सामना कर रहा है, और यह नीति इसे संतुलित करने में मदद करेगी।
NY Post की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने भारत समेत कई देशों से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर 25% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी, जिससे वैश्विक व्यापार समुदाय में असंतोष बढ़ा। भारत इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक है, क्योंकि अमेरिका भारतीय स्टील और एल्यूमीनियम उद्योगों के लिए एक बड़ा बाज़ार है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि अमेरिकी उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए टैरिफ़ बढ़ाना जरूरी है, जबकि भारत सहित कई देशों का मानना है कि यह नीति वैश्विक व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचा सकती है।

भारत और अमेरिका के बीच यह मुलाक़ात सिर्फ रक्षा और व्यापार तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें तकनीकी और ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। NY Post की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका भारत को उन्नत सैन्य ड्रोन, AI आधारित हथियार प्रणाली और स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी सहयोग देने के लिए तैयार है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत और अमेरिका मिलकर काम करने पर सहमत हुए। भारत और अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग पर भी चर्चा हुई। 

NY Post की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत-अमेरिका रक्षा और व्यापारिक संबंधों में एक नया मोड़ आने वाला है। जहां रक्षा साझेदारी में नई संभावनाएं दिख रही हैं, वहीं व्यापारिक तनाव और टैरिफ़ विवाद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इन मुद्दों को कैसे सुलझाते हैं और क्या रणनीतिक साझेदारी और व्यापार को संतुलित करने का कोई ठोस समाधान निकलता है।

✍️... रघुनाथ सिंह

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