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Showing posts from November, 2024

Sony Photography Workshop: कैमरे की कला में समीर अशरफ का योगदान, NIU के छात्रों ने सीखा प्रकाश और शटर का समाधान

Sony Photography Workshop कैमरे की कला में समीर अशरफ का योगदान, NIU के छात्रों ने सीखा प्रकाश और शटर का समाधान पत्रकारिता विभाग में हुआ ज्ञान का संचार, समीर ने दिया फोटोग्राफी का शानदार आधार कैमरे के शटर से लेकर लाइट की चाल, छात्रों ने सीखा हर एक तस्वीर का असली कमाल फोटोग्राफी में नैतिकता-कला का मेल, विद्यार्थियों ने जाना हर क्लिक में छिपे जादू का खेल ग्रेटर नोएडा: नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एनआईयू) के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने मंगलवार को एक नई पहल की शुरुआत की है। यहां आयोजित "सोनी फोटोग्राफी कार्यशाला" में सोनी कैमरा कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ समीर अशरफ ने फोटोग्राफी की कला और विज्ञान को समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य छात्रों को फोटोग्राफी के तकनीकी पहलुओं से परिचित कराना और उन्हें रचनात्मकता की दिशा में मार्गदर्शन करना था। फोटोग्राफी का तकनीकी रहस्य: समीर अशरफ की सलाह कार्यशाला की शुरुआत फोटोग्राफी के मूलभूत सिद्धांतों से हुई। समीर ने कैमरे के विभिन्न पहलुओं जैसे लेंस, शटर स्पीड, अपर्चर और आईएसओ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने वि...

प्रेरणा विमर्श 2024: पंच महाभूत के बिना सृष्टि अधूरी, डॉ.चिन्मय पंड्या ने बताई प्रकृति की मजबूरी

  पांच महाभूतों की पुकार, संतुलन से बचे संसार: डॉ. चिन्मय पंड्या नोएडा (रघुनाथ सिंह):  पंच महाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) सृष्टि और जीवन के आधारभूत तत्त्व हैं, जो न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी आवश्यक हैं। पृथ्वी स्थिरता और पोषण का प्रतीक है, जल जीवन की प्रवाहशीलता को दर्शाता है, अग्नि ऊर्जा और परिवर्तन का स्रोत है, वायु जीवनदायिनी प्राणवायु है, और आकाश अनंतता का प्रतीक है, जो सभी को स्थान प्रदान करता है। इन तत्त्वों का संतुलन प्राकृतिक सामंजस्य और मानव अस्तित्व की कुंजी है। इनके असंतुलन से पर्यावरणीय संकट और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उक्त विचार विचार देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज, हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने नोएडा के सेक्टर-12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित ‘प्रेरणा विमर्श 2024’  के "पर्यावरणीय संतुलन और पंच महाभूतों की महत्ता" पर गहन चर्चा के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा , “आज जब वायु प्रदूषण से मृत्यु दर युद्धों से अधिक हो चुकी है और हमारी बारिश का 34 प्रतिशत हिस्सा एसिडिक हो गया है, य...

व्यंग्य: "अगड़म अकादमी" के बगड़म छात्रों का "साहित्य परसो तक" का सफरनामा

कहते हैं साहित्य से व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है, लेकिन जब "अगड़म अकादमी" के बगड़म छात्रों ने  “साहित्य परसो तक”  का दौरा किया, तो ऐसा प्रतीत हुआ कि यात्रा में ही उन्होंने साहित्य का  "लोकप्रिय संस्करण"  तैयार कर दिया। दिल्ली तक के सफर ने यह स्पष्ट कर दिया कि साहित्य के प्रति उनकी समझ  "टिंकू जिया" और "चिकनी चमेली"  के बोलों में ही सिमट गई है। यात्रा शुरू होते ही माहौल सामान्य था। लेकिन जैसे ही बस ने गति पकड़ी, एक उत्साही छात्र ने मोबाइल निकालकर सीधे ड्राइवर को सौंप दिया। उसकी मासूमियत देख ऐसा लगा कि मानो ड्राइवर को पता हो कि साहित्य की इस यात्रा का असली उद्देश्य क्या है। बस में बजा पहला गाना बलमा, बलमा, तेरी चाल निराली रे!  इस गाने के साथ बस का माहौल वैसा हो गया जैसे जेल में बंद कैदियों को अचानक नशा करने का मौका मिल गया हो। पूरा  “जनरेशन Z”   अपनी जगह से खड़ा होकर ऐसे नाचने लगा मानो यह उनकी आज़ादी का दिन हो। यह नृत्य सिर्फ मनोरंजन नहीं था, यह उस दबे हुए विद्रोह का प्रतीक था जो 12वीं तक माता-पिता की जेलर जैसी निगरानी में दम तोड़ रहा था। ...

Dehradun Accident: सनरूफ में ठिठोली, मौत की बोली, गाड़ी बनी जिंदगी की डोली...खूनी रफ्तार, एक डरावनी दास्तान

रात के 12 बज रहे थे। शहर के बाजार बंद हो चुके थे। सड़कों पर सन्नाटा था। हर कोई अपने घरों में आराम कर रहा था, लेकिन सात दोस्तों की टोली ने उस रात कुछ अलग करने की ठानी थी। देहरादून की घटना न तो पहली है, न अंतिम। छह मित्र, नई इनोवा कार, पार्टी, दारू, लॉन्ग ड्राइव की चर्चा और फिर ‘दारू पीने से कन्सनट्रेशन बढ़ता है’ जैसे निरर्थक उपहास को सत्य मानने वाले लाखों बच्चों की तरह, अल्कोहल के नशे में सड़क पर। कुणाल कुकरेजा (23), अतुल अग्रवाल (24), ऋषभ जैन (24), नव्या गोयल (23), कमाक्षी (20), और गुनीत (19)—ये छह युवा, जो अपने जीवन के सबसे अच्छे समय में थे, रात की मस्ती और नशे के जाल में फंसे थे। उनकी दोस्ती और मस्ती के आगे कोई रुकावट नहीं थी। उन सभी के पास थी एक नई इनोवा गाड़ी और दिलों में था नशे का जुनून। "आज की रात यादगार बनेगी!" कुणाल ने शराब की बोतल खोलते हुए कहा।  "भाई, ये गाड़ी तो ऐसी दौड़ाऊँगा कि सब देखते रह जाएँगे!" अतुल ने ठहाका लगाते हुए कहा। उनके लिए ये मज़ाक था। गाड़ी में संगीत की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि उनके अपने दिल की धड़कनें भी सुनाई नहीं दे रही थीं।   एक घंटे बाद, ...

व्यंग्य: फिजाओं में जहर, मोहब्बत का कहर – दिल्ली की हवा, बस आह और कहर

दिल्ली, ओ दिल्ली! वह शहर जहाँ प्रदूषण और रोमांस हाथों में हाथ डाले चलते हैं, जैसे दो प्रेमी जो धुएं और धुंध के बीच अपने प्रेम गीत गा रहे हों। यह शहर जहाँ प्यार और प्रदूषण एक-दूसरे के साए की तरह हैं, और हर सांस, जैसे एक प्रेमी के गले लगने जैसा, खतरनाक और प्यारा दोनों है। यह धुंध सिर्फ मौसम का हिस्सा नहीं, बल्कि दिल्ली के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। जैसे शेक्सपीयर ने अपनी नायिकाओं से प्रेम किया था, वैसे ही दिल्ली ने प्रदूषण से प्रेम किया। मगर यह प्रेम कहानी कुछ खास नहीं है—यह एक जटिल, कष्टप्रद और अक्सर बेमरीज़ रिश्ता है। दिल्ली और प्रदूषण के बीच प्रेम का रिश्ता काफी पुराना है, यह कभी आसान था लेकिन अब चलते रहने वाले रिश्ते में बदल गया है। पहले हवा में थोड़ा कोहरा था और लोग इस पर ध्यान नहीं देते थे। लेकिन समय के साथ प्रदूषण के प्रति प्रेम गहराता गया। अब दिल्ली वालों को इस स्मॉग के साथ जीने की आदत हो गई है. याद कीजिए वह पुराना वक्त जब शेक्सपीयर का प्रसिद्ध संवाद "Shall I compare thee to a summer's day?" था। लेकिन अब, दिल्ली के लोग शायद कहें, "Shall I compare thee t...

व्यंग्य: राजधानी दिल्ली की हवा हुई और खराब, राजनेताओं की बातों में कुछ नहीं 'खरा' अब

देश की राजधानी  दिलवालों की   दिल्ली  आजकल  किसी और  के लिए ही जानी जा रही है - वो है यहां की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स । यहां की हवा में अब ऐसा जहर घुल चुका है कि सांस लेना किसी कारनामे से कम नहीं लगता। ख़राब एयर क्वॉलिटी से हालात इतने दयनीय हैं कि लोग गहरी सांस लेने की बजाय William Shakespeare के “Hamlet” की तरह सोच रहे हैं- "To breathe or not to breathe, that is the question." यहां की वायु में घुला यह धुआं किसी त्रासदी से कम नहीं, लेकिन सफेद कुर्ताधारियों के लिए यह बस राजनीति का नया मुद्दा ही अपितु एक पॉलिटिकल डायलॉग और लफ्फाजी का अखाड़ा बन चुका है। दिल्ली की ज़हरीली हवा में अब सांस लेना किसी बॉलीवुड के फिल्मी विलेन से लड़ने जैसा हो गया है। यहां के हालात देखकर “Hamlet” का एक अन्य संवाद याद आती है- "Something is rotten in the state of Denmark." बस, ‘डेनमार्क’ की जगह आप दिल्ली लिख लें, बाकी सब वैसा ही है। देश राजधानी की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स का हाल पूछिए, तो जवाब आता है—जहांगीरपुरी 458, मुंडका 452, और आनंद विहार 456। अब यह AQI नहीं, जैसे कोई IPL Cricket Match का...

AMU का अल्पसंख्यक दर्जा पर सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच करेगी फैसला, जानिए आर्टिकल 30A और पुराना विवाद

                                  Supreme Court  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे पर सवाल भारतीय कानूनी और राजनीतिक बहस का विषय रहा है। सुप्रीम कोर्ट का ताजा निर्णय, जो 1967 के अपने फैसले को पलटते हुए आया है, इस मुद्दे पर फिर से चर्चा को ताजा कर दिया है। आज़िज़ बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह निर्णय लिया था कि कानून द्वारा स्थापित संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा नहीं मिल सकता। हालांकि, 8 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की नई सुनवाई के लिए सात जजों की बेंच गठित की है, जिसमें चार के मुकाबले तीन जजों ने इस फैसले को पलटते हुए AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने की बात की है। इस फैसले के एएमयू और अन्य समान संस्थाओं पर गहरे प्रभाव होंगे और संविधान में अल्पसंख्यक संस्थाओं के अधिकारों की व्याख्या को फिर से परिभाषित किया जाएगा। कानूनी संदर्भ: आर्टिकल 30A क्या है एएमयू के मामले से पहले यह समझना आवश्यक है कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 30  क्य...

पानी का किनारा, छठ का सहारा बिहार से विदेशों तक छठ का नजारा

पानी का किनारा, छठ का सहारा – बिहार से विदेशों तक छठ का नजारा  सूर्य को अर्घ्य देने की ये परंपरा, विदेशों में भी छठ का अनोखा नज़ारा बिहार की आस्था अब दुनियाभर में छाई, हर देश में छठ ने अपनी छवि बनाई संस्कृति की ये धारा अब सीमाओं को पार, छठ ने जोड़ा हर दिल, हर घर और द्वार दिल्ली से दून, न्यूयॉर्क से लंदन- छठ का त्यौहार, हर जगह रोशन छठ  पूजा, सूर्य देव की आराधना का ऐसा पर्व है जो गहरी श्रद्धा और भक्ति से भरा हुआ है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह पर्व अपने सांस्कृतिक रंग में रचा-बसा है। इस पर्व में व्रत, स्नान और उगते व डूबते सूर्य को अर्घ्य देने जैसी परंपराएँ शामिल हैं। यह त्योहार न केवल प्राचीन परंपराओं की याद दिलाता है, बल्कि इसमें आधुनिक जीवन से जुड़े अनुशासन और संयम के मूल्य भी समाहित हैं। आज यह पर्व केवल क्षेत्रीय आयोजन नहीं रह गया है; यह एक सांस्कृतिक सेतु बन चुका है जो भारतीय प्रवासी समुदाय को जोड़ता है। इस लेख में हम छठ पूजा के पवित्र और आस्था से भरे इस पर्व के मूल, इसके अनुष्ठानों और इसके वैश्विक विस्तार को समझेंगे। छठ पूजा की उत्पत्ति और महत्व की एक झलक छ...

व्यंग्य: सपनों का पेट, हकीकत का गिटार? कब बजेगी फिटनेस की तार?

सपनों का पेट, हकीकत का गिटार? कब बजेगी फिटनेस की तार? सुबह उठे थे जिम जाने का इरादा लिए, शाम तक बहानों की गठरी में खुद को छिपाए हुए! डाइटिंग के वादों में रातें कटती हैं, पेट फिर भी बढ़ता है और फिटनेस सपनों में ही सिमटती है! फिटनेस का जज़्बा लेकर निकलते हैं हर रोज़, शाम तक आलस्य की गोद समा जाते हैं बेहोश!  हमारे समाज में फिटनेस अब एक नए 'संस्कार' के रूप में लोगों के दिमाग बैठ चुकी है। हर व्यक्ति इस राह पर चलने लगा है, जहां "प्रोटीन शेक्स" को आशीर्वाद की तरह लिया जाता है और वजन घटाने वाले डाइट प्लान को किसी शास्त्र की तरह माना जाता है। लेकिन हम सब जानते हैं कि फिटनेस की इस धारणा में कुछ बातें इतनी सरल नहीं हैं जितनी कि ये दिखती हैं। । खासकर जब हम 'पेट' जैसे जटिल विषय पर बात करें। तो आज हम इसी पेट के इर्द-गिर्द एक मजेदार और व्यंग्यपूर्ण यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें फिटनेस की बात होगी, लेकिन चुटीले अंदाज में!  बढ़ता हुआ पेट और समाज का प्यारभरा आशीर्वाद सबसे पहले तो एक सवाल– क्या आपने कभी सोचा है कि पेट बढ़ता क्यों है? यह हमारे समाज का आशीर्वाद है। हां, यही बात है...

भारत-कनाडा संबंधों में दरार: चरमपंथ और राजनीति का खेल

हाल के दिनों में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तनाव का केंद्र बिंदु कनाडा में सक्रिय कट्टरपंथी और अलगाववादी ताकतों का उभार है, जिन्हें भारत के खिलाफ माहौल बनाने का अवसर मिल रहा है। हाल ही में ब्रैंप्टन के हिन्दू सभा मंदिर में कथित खालिस्तानी समर्थकों द्वारा तोड़-फोड़ और हमला, इस मुद्दे को और गंभीर बना गया है। यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि एक लंबे समय से चले आ रहे विवाद का प्रतीक बन गई है, जिसमें कनाडा की चरमपंथियों के प्रति नर्म नीति, भारत पर आरोपों का सिलसिला और दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ते मतभेद शामिल हैं। आज जब दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट अपने चरम पर है, ऐसे में यह समझना जरूरी है कि कनाडा में मौजूद राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियाँ कैसे इन संबंधों पर असर डाल रही हैं। इसके साथ ही, यह जानना भी आवश्यक है कि इन परिस्थितियों का भारत-कनाडा के व्यापार, शिक्षा, पर्यटन और दोनों देशों के नागरिकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। ब्रैंप्टन मंदिर हमला: एक गंभीर चेतावनी 3 अक्टूबर, 2024 को ब्रैंप्टन के हिन्दू सभा मंदिर के बाहर झड़पें हुईं, जिसमें खालिस्तानी झ...