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Showing posts from January, 2025

Donald Trump का फरमान, बांग्लादेश हैरान: USAID फंडिंग पर लगा विराम

  ट्रंप का ट्रैप: बांग्लादेश के सपनों पर USAID का लॉकडाउन जब दुनिया अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का जश्न मना रही थी, तब बांग्लादेश में सरकारी गलियारों में मातम का माहौल था। कारण? एक झटके में USAID फंडिंग पर रोक लगाने वाला ट्रंप का नया 'मास्टरस्ट्रोक'। मानो व्हाइट हाउस से एक फरमान नहीं, बल्कि बांग्लादेश के विकास सपनों पर सीधी 'सर्जिकल स्ट्राइक' कर दी गई हो।   काम बंद, पैसा बंद, और सपने भी बंद!" ट्रंप साहब ने राष्ट्रपति पद की शपथ लिए पांच दिन ही हुए थे कि उन्होंने तुरंत 'एक्सक्यूटिव ऑर्डर' जारी कर दिया। नतीजा? USAID का बजट बांग्लादेश के लिए एकदम ठप्प। आदेश में सख्त लहजे में कहा गया– " जो भी फंडिंग के भरोसे था, अब खुद को संभाले। और हां, नया ऑर्डर आने तक एक भी डॉलर की उम्मीद न करे!"   USAID ने भी कोई देरी नहीं की। सभी एनजीओ, संस्थाओं और परियोजनाओं को पत्र भेज दिया गया– " जितना काम हुआ, बहुत हुआ। अब अपने बस्ते बांधिए और तब तक इंतजार कीजिए, जब तक ट्रंप जी का दिल पिघल न जाए!"    बांग्लादेश: अमेरिका की ‘सहायता’ लत से ‘स्वतंत्रता’ संघर्ष तक...

Satire: घोषणाओं का अचार, सत्ता का व्यापार, जनता करे हर बार इंतजार

  लोकतंत्र के रंगमंच पर नेता नामक कलाकार (राजनीति पर एक व्यंग्यात्मक विवेचन) हमारे देश की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहाँ हर गली, नुक्कड़, चाय की दुकान और सोशल मीडिया पोस्ट पर राजनीति की गूंज सुनाई देती है। हम बातों में इतना दम रखते हैं कि अमेरिका का राष्ट्रपति भी हमारे ज्ञान को सुन ले, तो अपने सलाहकारों को नौकरी से निकाल दे। मगर सवाल ये है कि हम केवल बात करते हैं, निर्णय लेना हमारी संस्कृति में फिट नहीं बैठता। इस मामले में हम ठहरे आदर्श लोकतांत्रिक प्राणी—विवेक का उपयोग मत करो, भीड़ में रहो, और जिसे ज्यादा चिल्लाते देखो, उसी का समर्थन करो। राजनीति: सेवा या सेठों की दुकान? राजनीति कभी जनसेवा हुआ करती थी, लेकिन आज यह एक "मुनाफा कमाओ, पद पाओ" स्कीम बन गई है। पुराने ज़माने में राजा प्रजा की रक्षा के लिए होते थे, आज नेता प्रजा की रक्षा से ज्यादा अपनी तिजोरी की सुरक्षा में जुटे हैं। एक जमाना था जब राजा अपने राज्य को परिवार समझते थे, अब नेता राज्य को "फैमिली बिजनेस" मानते हैं—"पापा सांसद, बेटा विधायक, दामाद पी.ए., और नाती आगे चलकर मेयर बनेगा।" संविधान की किताब और न...

Life Positive: छोटी-छोटी खुशियों में ही है असली ज़िंदगी का आनंद

  आज की डिजिटल दुनिया में हम सब एक ऐसी भागदौड़ में फंसे हैं, जहाँ ज़िंदगी मानो एक रेस बन गई है। Gen Z, Gen Alpha और Gen Beta की इस दुनिया में हर कोई अपने लक्ष्यों को पाने के लिए दिन-रात भागमभाग कर रहा है। सुबह से शाम तक काम, पढ़ाई, सोशल मीडिया और ढेरों दूसरी ज़िम्मेदारियाँ लोगों को इस कदर उलझा देती हैं कि वे अपने आसपास की खूबसूरती को देखने और महसूस करने का वक्त ही नहीं निकाल पाते।   24 घंटे भी कम लगते हैं और इसी तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हम उन छोटे-छोटे लम्हों को अनदेखा कर देते हैं, जो हमारी ज़िंदगी को खूबसूरत बना सकते हैं। जैसे सुबह की पहली ड्रिंक (गुनगुना पानी में नींबू-शहद) की चुस्की, बारिश की बूंदें, सूरज की हल्की रोशनी, पंछियों की चहचहाहट– ये सभी छोटी चीज़ें हमारी ज़िंदगी में आनंद भर सकती हैं, बस हमें इन्हें महसूस करने की ज़रूरत है। छोटी-छोटी चीज़ों में छुपी है असली खुशियां कभी सोचा है कि खुशियां सिर्फ बड़ी उपलब्धियों या महंगे सामान में ही नहीं होतीं? बल्कि वे तो उन छोटे-छोटे पलों में छुपी होती हैं, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। चाहे वह किसी दोस्त के साथ एक हंसी...

फ्रेंच फ्राई क्रांति: स्वाद में हिंदुस्तानी ठाठ, निर्यात में रचे नए आयाम

फ्रेंच फ्राइज़, जो दुनिया भर में लाखों लोगों की पसंदीदा कुरकुरी स्नैक है, ने भारत में एक अप्रत्याशित सफलता पाई है। पिछले तीन दशकों में इस लोकप्रिय खाद्य पदार्थ की यात्रा ने एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है। एक समय में जमी हुई फ्रेंच फ्राइज़ का प्रमुख आयातक रहने वाला भारत अब वैश्विक निर्यातक बन चुका है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में भारत ने 1,35,877 टन फ्रेंच फ्राइज़ का निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत 1,478.73 करोड़ रुपये थी। भारत ने वैश्विक फ्रेंच फ्राई बाजार में यह परिवर्तन कैसे हासिल किया? भारत में जमी हुई फ्रेंच फ्राइज़ की शुरुआत  वर्ष 1992 में अमेरिकी खाद्य कंपनी लैम्ब वेस्टन द्वारा हुई। शुरुआत में इन्हें उच्च श्रेणी के होटलों और रेस्तरां को लक्षित किया गया था, लेकिन जल्द ही इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। 1996 में, कनाडाई बहुराष्ट्रीय कंपनी मैकेन फूड्स भारतीय बाजार में आई और मैकडॉनल्ड्स की अनन्य आपूर्तिकर्ता बन गई। वर्ष 2000 के दशक के मध्य तक, भारत में जमी हुई फ्रेंच फ्राइज़ का आयात सालाना 5,000 टन से अधिक हो गया था और 2010-2011 में यह 7,863 टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह बढ़ती मांग पश्...

रणजी के रण में स्टार्स का धाराशायी हिट विकेट शो!

रणजी के रण में स्टार्स का धाराशायी हिट विकेट शो! अरे भैया! रणजी ट्रॉफी के दूसरे राउंड में जो हुआ, उसे देखकर तो क्रिकेट प्रेमियों की आंखें फटी की फटी रह गईं। कहीं बल्ले में दीमक लग गई थी या गेंदबाजों ने कोई तंत्र-मंत्र कर दिया था, ये तो समझना मुश्किल है।  कुल मिलाकर मामला ऐसा हो गया कि "स्टार्स आए, खेले और चले गए!" 8 इंटरनेशनल बैट्समैन, 93 बॉल्स और 41 रन BCCI ने सोचा था कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में बेज्जती के बाद हमारे हीरो रणजी में अपना जलवा दिखाएंगे, पर हुआ उल्टा! इन्हें देखकर तो गेंदबाज भी सोच रहे थे, "भाई, इतना आसान तो नेट प्रैक्टिस में भी नहीं होता।" मुंबई का मैच या कॉमेडी शो? रोहित शर्मा ने 19 गेंदों में 3 रन बनाकर साबित कर दिया कि उनके बल्ले में अब सिर्फ नाम ही बचा है, काम नहीं। उधर, यशस्वी जायसवाल 8 गेंदों में 4 रन बनाकर ऐसा भागे, जैसे किसी मीटिंग में देर हो गई हो। अजिंक्य रहाणे 12 रन बना कर थोड़ी उम्मीद जगा ही रहे थे कि गेंदबाजों ने उनका भी भ्रम तोड़ दिया। गिल-पंत का बल्ला खामोश, रहाणे-पुजारा की भी बोलती बंद! शुभमन गिल की कप्तानी में पंजाब की टीम 55 रन पर...

Waqf Dispute: इमामबाड़ा, मकबरा और वक्फ का पिटारा: योगी सरकार बोली, दस्तावेज़ कहाँ है तुम्हारा?

योगी आदित्यनाथ सरकार का सख्त रुख—वक़्फ़ बोर्ड के फर्ज़ी दावों पर अब चलेगा सच का बुलडोजर! वक़्फ़ का 1.3 लाख संपत्तियों का झूठा दावा, 78% पर सरकार का मालिकाना हक। कागज़ी घोड़े दौड़ाए वक़्फ़ बोर्ड ने, योगी सरकार ने दिखाए असली दस्तावेज। इमामबाड़ों से अस्पतालों तक, हर सरकारी जमीन पर वक़्फ़ की नज़र। JPC की जांच में खुला सच, वक़्फ़ के फर्जी दावों का होगा खेल खत्म। योगी सरकार का सख्त संदेश– सरकारी संपत्तियों पर नहीं चलेगा अतिक्रमण। उत्तर प्रदेश में वक़्फ़ बोर्ड का ज़मीन पर दावा ऐसे है, जैसे कोई बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्री का रेलवे स्टेशन पर कब्ज़े का ऐलान। योगी सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को बताया कि वक़्फ़ बोर्ड ने जिन 1.3 लाख संपत्तियों पर अधिकार जताया है, उनमें से 78% सरकारी ज़मीनें हैं। हैरानी की बात ये है कि इन दावों को सही ठहराने के लिए वक़्फ़ बोर्ड के पास काग़ज़ का एक  वैध  पर्जा भी नहीं है। सरकारी राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, वक़्फ़ बोर्ड जिन जमीनों पर दावा कर रहा है, वे श्रेणी 5 और 6  के अंतर्गत आती हैं। इन श्रेणियों में सरकारी और ग्राम सभा की जमीनें आती हैं। लेकि...

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी, नए सपनों की आस या सख्ती का एहसास?

Donald Trump arrives ahead of the 60th inaugural ceremony Monday at the Capitol. Image Source: The Washington Post अमेरिका की नीति में नया रंग, क्या दोस्ती-दुश्मनी का बदलेगा ढंग? क्या भारत-अमेरिका के रिश्तों की बहेगी धारा, बढ़ेगा सहयोग या फिर दोबारा किनारा? वैश्विक मंच पर बढ़ी हलचल भारी, नीतियों पर टिकी दुनिया सारी। थर्ड जेंडर खत्म, घुसपैठियों के लिए बॉर्डर सील, WHO से अलग: राष्ट्रपति बनते ही एक्टिव हुए Donald Trup, भारत के लिए ‘प्रीमियम’ सीट, कई देशों के प्रमुख बैठे पीछे। संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक नए नेता का स्वागत किया है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने देश के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कैपिटल रोटुंडा में आयोजित एक भव्य समारोह में शपथ ली। इस समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में शामिल हुए। ट्रंप ने सत्ता में आते ही तेजी से निर्णय लेना शुरू कर दिया, जिसमें मेक्सिको सीमा पर आपातकाल लागू करना और अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर करना शामिल है। शपथ ग्रहण समारोह में भारत की भागीदारी शपथ ग्रहण समारोह ...

भारत की लूट: ऑक्सफैम रिपोर्ट ने खोली ब्रिटिश साम्राज्य की सच्चाई

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से इतनी अपार धनराशि लूटी गई कि ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 50 पाउंड के नोटों से पूरे लंदन शहर को चार बार ढका जा सकता है। यह रिपोर्ट उस लंबे समय से प्रचारित धारणा को खारिज करती है कि ब्रिटिश शासन ने भारत के विकास में योगदान दिया था। इसके विपरीत, रिपोर्ट बताती है कि कैसे योजनाबद्ध तरीके से भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया गया और ब्रिटेन की समृद्धि को बढ़ाया गया। भारत से लूटी गई 65 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति ऑक्सफैम की रिपोर्ट Takers not makers   (लूटने वाले, ना कि बनाने वाले) के अनुसार, 1765 से 1900 के बीच, ब्रिटेन ने भारत से लगभग 64.82 ट्रिलियन डॉलर (₹5525 लाख करोड़) की संपत्ति लूटी। यह राशि इतनी अधिक थी कि आज के 10 शीर्ष देशों की कुल अर्थव्यवस्था को मिलाकर भी इसकी बराबरी नहीं की जा सकती। इस अपार दौलत में से 33.8 ट्रिलियन डॉलर (₹2873 लाख करोड़) ब्रिटेन के 10% सबसे धनी लोगों के पास चला गया, जो इस लूट के 52% के स्वामी बने।   रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संपत्ति इतनी अधिक थी कि लंदन शहर के 1572 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 50 पाउंड के नोटों की...

Weekend Explainer: भारत की इन बड़ी खबरों ने पूरी दुनिया का ध्यान किया आकर्षित...आइए जाने

पाकिस्तानी शादी, भारतीय नौकरी और फर्जी डिग्री: मुस्लिम महिला शुमायला खान की दिलचस्प कहानी

क्या कभी सोचा है कि एक व्यक्ति की ज़िंदगी में इतना ट्विस्ट हो सकता है? अगर नहीं, तो मुस्लिम महिला शुमायला खान की कहानी पढ़िए। पाकिस्तान के सिवगत अली से शादी करके पाकिस्तान की नागरिकता हासिल करने वाली शुमायला ने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन वह भारत लौट कर शिक्षक बन जाएंगी। लेकिन जब वापस भारत लौटीं, तो क्या हुआ? यह तो अब एक किताब का हिस्सा बन चुका है! शिक्षा का क्षेत्र ऐसा माना जाता है, जहां नैतिकता और ईमानदारी सबसे अहम होती है। लेकिन अगर शिक्षक ही धोखाधड़ी पर उतर आएं, तो सोचिए आने वाली पीढ़ी का भविष्य कैसा होगा? शुमायला खान की कहानी इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। उनकी कहानी में सबकुछ है– पाकिस्तान, फर्जी दस्तावेज़, नौकरी, और प्रशासनिक लापरवाही का घालमेल। आइए इस पूरे प्रकरण पर एक नजर डालते हैं। एक फिल्मी शुरुआत: शादी, नागरिकता, और भारत वापसी शुमायला खान ने पाकिस्तान के सिवगत अली से शादी की और वहां की नागरिकता बड़े शौक से हासिल की। लेकिन किस्मत का खेल देखिए, शादी और पाकिस्तान की नागरिकता के बाद भी उनके सपनों का "इंडिया कनेक्शन" खत्म नहीं हुआ। भारत की नौकरी का सपना लेकर वह लौट...

शेयर बाजार का स्वर्गलोक: जहां उम्मीदें मरती हैं और मगरमच्छ जीते हैं

शेयर बाजार का ‘महाकाल’ महीना: 9 दिनों में 33 लाख करोड़ का छंटाकरण और रिटेल इन्वेस्टर्स की ‘क़ुर्बानी कथा’   नई दिल्ली, 17 जनवरी:   भारत के  शेयर बाजार  में इस जनवरी ऐसा बवाल मचा है कि  हर्षद मेहता  की आत्मा भी इसे देखकर दोबारा "बचाओ बचाओ" चिल्लाने लगती। 1 जनवरी से 13 जनवरी तक बाजार में केवल 9 दिन कारोबार हुआ, लेकिन इन 9 दिनों में 33.28 लाख करोड़ रुपये का वाष्पीकरण  हो गया।   इतनी रकम का नुकसान सुनकर कई लोगों के सपने भी 'रिफ्रेश' हो गए होंगे। इसे आसान भाषा में समझें तो इतने पैसों से चंद्रयान-3 जैसे 3000 मिशन  लॉन्च किए जा सकते थे, या पूरे देश को सालभर के लिए मुफ्त पानी-पुरी पार्टी  दी जा सकती थी। लेकिन नहीं, ये सारे पैसे शेयर बाजार के बियाबान जंगल में कहीं गायब हो गए।  कहानी का पहला अध्याय: रिटेल इन्वेस्टर और उनकी ‘घिस्से की गाथा रिटेल इन्वेस्टर यानी हमारे आस-पास के वे लोग, जिनके सपने 9 से 5 की नौकरी में दम तोड़ने लगते हैं और फिर वे शेयर बाजार को स्वर्ग का दरवाजा  समझकर अपनी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई उसमें लगा देते ...

Kumbhfluencer: महाकुंभ मेले की ‘सबसे खूबसूरत साध्वी’ Harsha Richhariya की कहानी

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला आस्था और आध्यात्म का अद्वितीय संगम है। यह आयोजन, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत और जिज्ञासु एकत्र होते हैं, पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं।  साधु-संतों की इस भीड़ में, एक नाम ऐसा है जिसने आध्यात्मिकता के साथ आधुनिकता का एक नया आयाम प्रस्तुत किया है—Harsha Richhariya ‘सबसे खूबसूरत साध्वी’ और ‘वायरल साध्वी’ के रूप में प्रसिद्ध हर्षा ने महाकुंभ मेले में और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। 30 वर्षीय हर्षा सोशल मीडिया पर अपनी सुंदरता के लिए वायरल हुईं, जहां उन्हें 'सुंदर साध्वी' और 'वायरल साध्वी' जैसे उपनाम मिले। हालांकि, हर्षा ने इस बारे में साफ किया कि वह एक इन्फ्लुएंसर और निरंजन अखाड़े की शिष्या हैं, जो कुछ आध्यात्मिक पहलुओं का पालन करती हैं।  लेकिन Harsha Richhariya कौन हैं, और उनका आध्यात्मिक जीवन अपनाने का यह सफर कैसा रहा? आइए जाने। महाकुंभ मेला: आस्था और परंपरा का पवित्र उत्सव हर 12 साल में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित महाकुंभ मेला, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के...

केवल धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना उचित: गुरु गोबिंद सिंह का प्रेरक जीवन

"जब सभी प्रयास विफल हो जाएँ, तब ही शस्त्र उठाना उचित है।” यह महान संदेश गुरु गोबिंद सिंह जी का है, जिनका जीवन सत्य, शौर्य और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक है। उनका व्यक्तित्व केवल एक योद्धा का नहीं, बल्कि एक कवि, दार्शनिक, और धर्मप्रवर्तक का भी था। उनकी शिक्षाएँ और उनके कार्य आज भी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह लेख उनके जीवन की घटनाओं और उनके आदर्शों को रेखांकित करता है।   गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ। उनका बचपन का नाम गोबिंद राय था। बचपन से ही वे असाधारण प्रतिभा के धनी थे। मात्र 7 वर्ष की आयु में उन्होंने गुरमुखी सीख ली और संस्कृत, ब्रज, फारसी में निपुणता प्राप्त की। इसके साथ-साथ उन्होंने शस्त्रकला में भी प्रवीणता हासिल की।   उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी, ने कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। यह घटना गुरु गोबिंद सिंह के जीवन में धर्म और मानवता की रक्षा का बीज बन गई।   गुरु गोबिंद सिंह जी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान खालसा पंथ की स्थापना है। 16...

स्कूली शिक्षा में सुधार: फेल न करने से गुणवत्ता और समग्र विकास की ओर

केंद्र सरकार का निर्णय: फेल न करने की नीति खत्म, अब गुणवत्ता की ओर कदम बढ़े वर्षों से चल रही विसंगतियों का समाधान: अब बच्चों को मिलेगा परीक्षा का अवसर शिक्षा की असली तस्वीर: स्कूलों में सुधार और बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान शिक्षा केवल ज्ञान का प्रसार नहीं है, यह समाज के विकास का आधार है। एक बेहतर शिक्षा प्रणाली न केवल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास करती है, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देती है। इसी सोच के साथ, भारत में वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) लागू किया गया था। इस कानून का उद्देश्य सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना था। परंतु इस कानून की एक बड़ी खामी, जिसे 'फेल न करने की नीति' के नाम से जाना गया, ने शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को कमजोर कर दिया।   यह नीति 2010 से लागू की गई थी, जिसके तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को बिना किसी परीक्षा में फेल किए, अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। नीति के पीछे यह तर्क दिया गया कि फेल होने से बच्चों का मनोबल गिरता है और वे स्कूल छोड़ देते हैं। हालांकि यह तर्क सीमित रूप से सही हो सकता है, लेकिन इ...