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Showing posts from January, 2025

केवल धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना उचित: गुरु गोबिंद सिंह का प्रेरक जीवन

"जब सभी प्रयास विफल हो जाएँ, तब ही शस्त्र उठाना उचित है।” यह महान संदेश गुरु गोबिंद सिंह जी का है, जिनका जीवन सत्य, शौर्य और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक है। उनका व्यक्तित्व केवल एक योद्धा का नहीं, बल्कि एक कवि, दार्शनिक, और धर्मप्रवर्तक का भी था। उनकी शिक्षाएँ और उनके कार्य आज भी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह लेख उनके जीवन की घटनाओं और उनके आदर्शों को रेखांकित करता है।   गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ। उनका बचपन का नाम गोबिंद राय था। बचपन से ही वे असाधारण प्रतिभा के धनी थे। मात्र 7 वर्ष की आयु में उन्होंने गुरमुखी सीख ली और संस्कृत, ब्रज, फारसी में निपुणता प्राप्त की। इसके साथ-साथ उन्होंने शस्त्रकला में भी प्रवीणता हासिल की।   उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी, ने कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। यह घटना गुरु गोबिंद सिंह के जीवन में धर्म और मानवता की रक्षा का बीज बन गई।   गुरु गोबिंद सिंह जी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान खालसा पंथ की स्थापना है। 16...

स्कूली शिक्षा में सुधार: फेल न करने से गुणवत्ता और समग्र विकास की ओर

केंद्र सरकार का निर्णय: फेल न करने की नीति खत्म, अब गुणवत्ता की ओर कदम बढ़े वर्षों से चल रही विसंगतियों का समाधान: अब बच्चों को मिलेगा परीक्षा का अवसर शिक्षा की असली तस्वीर: स्कूलों में सुधार और बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान शिक्षा केवल ज्ञान का प्रसार नहीं है, यह समाज के विकास का आधार है। एक बेहतर शिक्षा प्रणाली न केवल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास करती है, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देती है। इसी सोच के साथ, भारत में वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) लागू किया गया था। इस कानून का उद्देश्य सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना था। परंतु इस कानून की एक बड़ी खामी, जिसे 'फेल न करने की नीति' के नाम से जाना गया, ने शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को कमजोर कर दिया।   यह नीति 2010 से लागू की गई थी, जिसके तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को बिना किसी परीक्षा में फेल किए, अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। नीति के पीछे यह तर्क दिया गया कि फेल होने से बच्चों का मनोबल गिरता है और वे स्कूल छोड़ देते हैं। हालांकि यह तर्क सीमित रूप से सही हो सकता है, लेकिन इ...

ताज महल या फरेब का जाल? शाहजहाँ की मोहब्बत का काला हाल: एक शेक्सपियरियन व्यंग्य

Image Source: Google  विलियम शेक्सपियर William Shakespeare (1564–1616) के प्रेम के काव्य और शाहजहाँ (1592–1666) के संगमरमर के महलों के बीच एक दिलचस्प तुलना है। शेक्सपियर ने प्रेम को कविताओं में अमर किया, जबकि शाहजहाँ ने उसे पत्थर में तराश दिया। सपनों में ताज, असलियत में राज शेक्सपियर ने अपने सोननेट 18 में "Shall I compare thee to a summer’s day?" में यह प्रेम पंक्तियाँ लिखीं, लेकिन अगर शाहजहाँ से पूछा जाए, तो जवाब शायद कुछ ऐसा होगा, “क्यों न इसे एक हजार औरतों के हरम से तुलना करूँ?” शाहजहाँ की कहानी किसी प्रेम कथा से कम नहीं, लेकिन शेक्सपियर होते, तो इसे "हवस की त्रासदी" कहते। लेकिन क्या ताजमहल वास्तव में प्यार का प्रतीक है या एक स्वार्थी सम्राट की खुद की प्रशंसा का म्यूजियम? आइए, इस "प्रेम की इमारत" को शेक्सपियर की पंक्तियों के जरिए व्यंग्यात्मक रूप से देखते हैं। All that glitters is not gold (Merchant of Venice)   विलियम शेक्सपियर  के "Merchant of Venice" की यह लाइन "All that glitters is not gold" शाहजहाँ और मुमताज की कहानी पर पूरी तर...

Happy New Year 2025: नव चेतना का दीप जलाएँ, नव वर्ष को मंगलमय बनाएँ

नव चेतना का दीप जलाएँ, नव वर्ष को मंगलमय बनाएँ वर्ष 2025 की पावन शुभकामनाएँ नव वर्ष 2025 हमारे समक्ष नई आशाओं, उपलब्धियों, उपहारों और सृजनात्मक प्रेरणाओं के साथ आया है। जैसे नया वस्त्र, नया घर, या कोई उपहार हमारे हृदय को उमंग और आनंद से भर देता है, वैसे ही यह नव वर्ष ईश्वर द्वारा समय का एक दिव्य उपहार है। यह हमें अपनी गलतियों को सुधारने, आत्म-चिंतन करने और पवित्र भावनाओं के साथ नए उत्साह से आगे बढ़ने का संदेश देता है। नव वर्ष का अर्थ केवल समय का परिवर्तन नहीं है; यह हमारे जीवन में एक नई शुरुआत का अवसर है। यह हमें हमारे अनुभव, मेहनत और संकल्पों के माध्यम से आत्म-उन्नति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह वर्ष हमें सिखाता है कि हर असफलता सीखने का एक अध्याय है और हर नई सुबह अपने साथ अनंत संभावनाएँ लेकर आती है। नव वर्ष 2025 एक नई चेतना का संचार है। यह हमें हमारे जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं की ओर उन्मुख करता है, जहाँ हम केवल बाहरी सफलता ही नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मा की प्रसन्नता का अनुभव कर सकें। यह समय है जब हम नए विचारों और सृजनात्मक ऊर्जा से अपने जीवन को धन्य करें। आइए, इ...