शेयर बाजार का ‘महाकाल’ महीना:
9 दिनों में 33 लाख करोड़ का छंटाकरण और रिटेल इन्वेस्टर्स की ‘क़ुर्बानी कथा’
नई दिल्ली, 17 जनवरी: भारत के शेयर बाजार में इस जनवरी ऐसा बवाल मचा है कि हर्षद मेहता की आत्मा भी इसे देखकर दोबारा "बचाओ बचाओ" चिल्लाने लगती। 1 जनवरी से 13 जनवरी तक बाजार में केवल 9 दिन कारोबार हुआ, लेकिन इन 9 दिनों में 33.28 लाख करोड़ रुपये का वाष्पीकरण हो गया।
इतनी रकम का नुकसान सुनकर कई लोगों के सपने भी 'रिफ्रेश' हो गए होंगे। इसे आसान भाषा में समझें तो इतने पैसों से चंद्रयान-3 जैसे 3000 मिशन लॉन्च किए जा सकते थे, या पूरे देश को सालभर के लिए मुफ्त पानी-पुरी पार्टी दी जा सकती थी। लेकिन नहीं, ये सारे पैसे शेयर बाजार के बियाबान जंगल में कहीं गायब हो गए।
कहानी का पहला अध्याय: रिटेल इन्वेस्टर और उनकी ‘घिस्से की गाथा
रिटेल इन्वेस्टर यानी हमारे आस-पास के वे लोग, जिनके सपने 9 से 5 की नौकरी में दम तोड़ने लगते हैं और फिर वे शेयर बाजार को स्वर्ग का दरवाजा समझकर अपनी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई उसमें लगा देते हैं।
लेकिन बाजार में आते ही इन मासूम रिटेल इन्वेस्टर्स की कहानी बदल जाती है। उनके सपने ‘ब्लू चिप’ बनते-बनते ‘लोअर सर्किट’ में चले जाते हैं।
बाजार के बड़े-बड़े मगरमच्छ (FII, DII, HNI) मिलकर इन्हें ऐसे लपेटते हैं जैसे गुलाब जामुन को रस में डुबोते हैं। अब सोचिए, रिटेल इन्वेस्टर की स्थिति ऐसी है कि उन्हें 'ड्रीम गर्ल' दिखाने के बाद ‘ड्रीम क्रशर’ बनकर बाजार उनका मजाक उड़ाता है।
सेबी की भूमिका: तैरने का तरीका या डूबने की सलाह?
अब बात करते हैं शेयर बाजार के धार्मिक गुरू – सेबी (SEBI) की। सेबी का कहना है, "तालाब में मगरमच्छ हैं, तो छोटी मछलियों को चाहिए कि वे बैंकों के FD नाम के एक्वेरियम में चली जाएं। यह सुझाव सुनने में ऐसा लगता है, जैसे किसी ने गहरी खाई के सामने खड़े व्यक्ति को कहा हो, “भाई, कूद मत, वापस घर जाकर सुलझे हुए इंसान बनो।”
सेबी का असल काम तालाब को सुरक्षित बनाना है, लेकिन यहां सेबी अपने नियमों से रिटेल इन्वेस्टर्स को ही बेबस करने में लगी है।
दूसरा अध्याय: बाजार का फूड चेन और रिटेलर का आखिरी स्थान
अब जरा बाजार की फूड चेन को समझते हैं।
- इस चेन के सबसे ऊपर हैं FII (Foreign Institutional Investors), जो बाजार को अपनी पूंजी से हिलाते हैं।
- इनके बाद आते हैं DII (Domestic Institutional Investors), जो FII के छोड़े हुए टुकड़ों पर निर्भर रहते हैं।
- इनके नीचे हैं म्यूचुअल फंड, जो हर महीने SIP के नाम पर लोगों से पैसे जमा करते हैं।
- और इस पूरी चेन के सबसे आखिरी पायदान पर आते हैं रिटेल इन्वेस्टर, जिनका काम है "सबसे ज्यादा मार खाना।"
रिटेलर क्यों फंसता है?
बाजार में जब तेजी चलती है, तब ब्रोकरेज हाउस और एनालिस्ट रिटेल इन्वेस्टर्स को ऐसे बुलाते हैं जैसे मंदिर के पुजारी भक्तों को प्रसाद के लिए।
“भाई, 2 महीने में ये स्टॉक 40% रिटर्न देगा।”
“अभी नहीं खरीदा तो पछताओगे।”
और रिटेल इन्वेस्टर, जो हमेशा "FOMO (Fear of Missing Out)" से ग्रसित रहता है, तुरंत अपनी कमाई लेकर बाजार में कूद पड़ता है।
लेकिन जैसे ही बाजार पर भालू (बियर्स) का हमला होता है, ये सारे ब्रोकरेज हाउस गायब हो जाते हैं। उनका कहना होता है,
“भाई, यह तो हल्की वोलैटिलिटी है। मार्केट जल्द ही रिकवर कर लेगा।”
और तब तक रिटेल इन्वेस्टर्स का पोर्टफोलियो आईसीयू में भर्ती हो चुका होता है।
तीसरा अध्याय: फोरेज फिश और मधुमक्खियों से सीख
अब सवाल उठता है कि रिटेल इन्वेस्टर्स बाजार के बड़े मगरमच्छों से कैसे जीत सकते हैं?
इसका जवाब है – Forage Fish Tactic (FFT) और Honey Bee Strategy।
फोरेज फिश Forage Fish Tactic
फोरेज फिश (जैसे हेरिंग) हजारों-लाखों की संख्या में एकसाथ तैरती हैं। वे एक बड़े आकार में इस तरह मूव करती हैं कि शार्क और व्हेल जैसे बड़े प्रिडेटर्स भी उनसे बचकर निकल जाते हैं।
Honey Bee Strategy
मधुमक्खियां जब अपने छत्ते पर हमला करने आए ततैये से लड़ती हैं, तो वे एक साथ उसे घेर लेती हैं। ततैया, जो ताकतवर होता है, कई मधुमक्खियों को मार देता है, लेकिन मधुमक्खियां अपने पंख लगातार फड़फड़ाती रहती हैं।
इस फड़फड़ाहट से 50℃ से अधिक तापमान उत्पन्न होता है। मधुमक्खियां यह तापमान सहन कर सकती हैं, लेकिन ततैया नहीं।
और आखिर में, ततैया जलकर खत्म हो जाता है।
रिटेलर्स के लिए सबक
रिटेल इन्वेस्टर्स को भी "झुंड की ताकत" का इस्तेमाल करना सीखना होगा।
- वे मिलकर पूलिंग कर सकते हैं।
- बड़ी मछलियों की चाल को समझने के लिए डाटा एनालिसिस का सहारा ले सकते हैं।
- और सबसे जरूरी, बाजार में धैर्य रखना सीखें।
चौथा अध्याय: बाजार की पुरानी कहावतें
बाजार में "पाप" का फल जल्दी मिलता है: बाजार में अगर आपने लालच किया, तो नुकसान तय है। बाजार उन लोगों को माफ नहीं करता, जो बिना सोचे-समझे ट्रेडिंग करते हैं।
बड़े खिलाड़ियों के संकेतों को समझें: ब बड़े FII और DII सेलिंग कर रहे हों, तो रिटेल इन्वेस्टर्स को खरीदारी से बचना चाहिए।
सब्र का फल मीठा होता है: बाजार में "Buy and Hold" की रणनीति सबसे बेहतर है। उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय, लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
बाजार, महासागर और जंगल का संगम
शेयर बाजार असल में एक महासागर है, जहां बड़ी मछलियां हमेशा छोटी मछलियों पर हावी रहती हैं। यह जंगल जैसा है, जहां कमजोर को कुचलने का नियम चलता है। और यह छत्ते जैसा है, जहां सामूहिकता ही ताकत है। रिटेल इन्वेस्टर्स को सीखना होगा कि वे इस महासागर-जंगल-छत्ते में कैसे सर्वाइव करें।
अगर आप हेरिंग फिश हैं, तो झुंड में रहें।
अगर आप मधुमक्खी हैं, तो सामूहिक चेतना से जुड़ें।
और अगर आप अकेले हैं,
तो बाजार से कुछ दूर रहकर सिर्फ तमाशा देखें।
✍️... रघुनाथ सिंह
Nice article
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