अरे भैया! रणजी ट्रॉफी के दूसरे राउंड में जो हुआ, उसे देखकर तो क्रिकेट प्रेमियों की आंखें फटी की फटी रह गईं। कहीं बल्ले में दीमक लग गई थी या गेंदबाजों ने कोई तंत्र-मंत्र कर दिया था, ये तो समझना मुश्किल है। कुल मिलाकर मामला ऐसा हो गया कि "स्टार्स आए, खेले और चले गए!"
8 इंटरनेशनल बैट्समैन, 93 बॉल्स और 41 रन
BCCI ने सोचा था कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में बेज्जती के बाद हमारे हीरो रणजी में अपना जलवा दिखाएंगे, पर हुआ उल्टा! इन्हें देखकर तो गेंदबाज भी सोच रहे थे, "भाई, इतना आसान तो नेट प्रैक्टिस में भी नहीं होता।"
मुंबई का मैच या कॉमेडी शो?
रोहित शर्मा ने 19 गेंदों में 3 रन बनाकर साबित कर दिया कि उनके बल्ले में अब सिर्फ नाम ही बचा है, काम नहीं। उधर, यशस्वी जायसवाल 8 गेंदों में 4 रन बनाकर ऐसा भागे, जैसे किसी मीटिंग में देर हो गई हो। अजिंक्य रहाणे 12 रन बना कर थोड़ी उम्मीद जगा ही रहे थे कि गेंदबाजों ने उनका भी भ्रम तोड़ दिया।
गिल-पंत का बल्ला खामोश, रहाणे-पुजारा की भी बोलती बंद!
शुभमन गिल की कप्तानी में पंजाब की टीम 55 रन पर ऑल-आउट हो गई, और गिल खुद 4 रन बनाकर पवेलियन वापस आ गए। ऋषभ पंत भी दिल्ली के लिए सिर्फ 1 रन बनाकर यह बता गए कि अब उन्हें रील्स बनाने पर ही ध्यान देना चाहिए। पुजारा तो ऐसा खेले कि विपक्षी टीम भी कहने लगी- "भाई, थैंक यू।"
क्रिकेट फैन्स बोले- रणजी ट्रॉफी है या क्रिकेटर का SWOT Analysis
सोशल मीडिया पर मीम्स की बारिश हो रही है। एक फैन ने लिखा- "रणजी में ये हाल है, तो चैंपियंस ट्रॉफी में बॉलर्स कैच पकड़ेंगे या हंसी?" तो दूसरे ने सुझाव दिया कि BCCI को इन खिलाड़ियों को IPL में कम और रणजी में ज्यादा भेजना चाहिए।
टीम इंडिया के सितारे, अब रणजी में भी मारे!
जिन बल्लेबाजों को विपक्षी टीम का काल बनना था, वो खुद अपनी टीम के लिए मुसीबत बन गए हैं। कहीं ऐसा न हो कि अगले सीजन में ये रणजी में भी ट्रायल पर खेलने को मजबूर हो जाएं।
सिर्फ विज्ञापन में नहीं, मैदान में भी प्रदर्शन चाहिए!
क्रिकेट फैंस का गुस्सा भी जायज है, क्योंकि जब मैदान पर खिलाड़ी रन की जगह रनआउट होते दिखें, तो निराशा लाजमी है। अगर जल्द फॉर्म में नहीं लौटे, तो विज्ञापन में 'मौका-मौका' वाला विज्ञापन इनके लिए ही बन सकता है। तो भाइयों, रणजी ट्रॉफी का आनंद लीजिए, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा टूर्नामेंट है, जहां बैट्समैन का बल्ला कम और गेंदबाजों की हंसी ज्यादा सुनाई देती है!
✍️... रघुनाथ सिंह
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