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ताज महल या फरेब का जाल? शाहजहाँ की मोहब्बत का काला हाल: एक शेक्सपियरियन व्यंग्य

Image Source: Google 
विलियम शेक्सपियर William Shakespeare (1564–1616) के प्रेम के काव्य और शाहजहाँ (1592–1666) के संगमरमर के महलों के बीच एक दिलचस्प तुलना है। शेक्सपियर ने प्रेम को कविताओं में अमर किया, जबकि शाहजहाँ ने उसे पत्थर में तराश दिया।

सपनों में ताज, असलियत में राज
शेक्सपियर ने अपने सोननेट 18 में "Shall I compare thee to a summer’s day?" में यह प्रेम पंक्तियाँ लिखीं, लेकिन अगर शाहजहाँ से पूछा जाए, तो जवाब शायद कुछ ऐसा होगा, “क्यों न इसे एक हजार औरतों के हरम से तुलना करूँ?” शाहजहाँ की कहानी किसी प्रेम कथा से कम नहीं, लेकिन शेक्सपियर होते, तो इसे "हवस की त्रासदी" कहते। लेकिन क्या ताजमहल वास्तव में प्यार का प्रतीक है या एक स्वार्थी सम्राट की खुद की प्रशंसा का म्यूजियम?

आइए, इस "प्रेम की इमारत" को शेक्सपियर की पंक्तियों के जरिए व्यंग्यात्मक रूप से देखते हैं।

All that glitters is not gold
(Merchant of Venice)  
विलियम शेक्सपियर  के "Merchant of Venice" की यह लाइन "All that glitters is not gold" शाहजहाँ और मुमताज की कहानी पर पूरी तरह फिट बैठती है। मुमताज, जिनका असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था, को प्रेम की देवी बना दिया गया, लेकिन सच्चाई यह है कि शाहजहाँ के हरम में 8,000 महिलाएँ थीं।  

मुमताज शाहजहाँ की चौथी पत्नी थीं, और उनकी सुंदरता का इतना बखान किया गया कि पहली पत्नी इशरत बानो का जिक्र इतिहास में खो गया।  

क्या यह प्रेम था, या हरम का एक और शिकार? ताजमहल की चमक के पीछे छिपा यह सच बताता है कि जो चमकता है, वो सोना नहीं होता।  

Frailty, thy name is woman
(Hamlet)  
William Shakespeare ने अपने Play "Hamlet" में यह पंक्ति महिलाओं के लिए कही थी, लेकिन शाहजहाँ की कहानी में यह बदलकर कुछ ऐसा हो जाता है: Frailty, thy name is Shah Jahan.

मुमताज की मौत के सात दिनों के भीतर ही शाहजहाँ ने उनकी बहन फरजाना से शादी कर ली। अगर मुमताज से इतना ही प्यार था, तो उनकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने इतनी जल्दी दूसरी शादी क्यों कर ली?  

इतिहासकारों के अनुसार, मुमताज का पहला पति शेर अफगान खान था। शाहजहाँ ने उनकी हत्या कर मुमताज को अपनी पत्नी बना लिया। यह प्रेम था, या हवस? शेक्सपियर इसे "त्रासदी का आरंभ" कहते।  

Hell is empty, and all the devils are here
(The Tempest)  
शेक्सपियर के अंतिम नाटक "The Tempet" की यह लाइन "Hell  is empty, and all the devil's are here" शाहजहाँ के हरम पर सटीक बैठती है। 8,000 औरतों के साथ हरम का यह दृश्य शायद शेक्सपियर को भी हैरान कर देता। शाहजहाँ का हरम महिलाओं के लिए एक "नरक" था, जहाँ उनकी इच्छा की कोई कदर नहीं थी।  

मुमताज भी इस "नरक" का हिस्सा थीं। उनके 14 बच्चों में से आखिरी बच्चे के जन्म के दौरान उनकी मौत हुई। यह कोई प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक क्रूरता की दास्तां थी।  

To be, or not to be, that is the question
(Hamlet)  
William Shakespeare के "Hamlet" की पंक्ति शाहजहाँ और उनकी बेटी जहाँआरा के रिश्ते पर पूरी तरह लागू होती है। मुमताज की मौत के बाद शाहजहाँ ने अपनी बेटी जहाँआरा को अपनी "प्यारी पत्नी" के रूप में देखा।शाहजहाँ का सबसे घिनौना चेहरा उनकी बेटी जहाँआरा बेगम के साथ सामने आता है। मुमताज की मौत के बाद, शाहजहाँ ने अपनी बेटी को ही मुमताज का विकल्प बना लिया।

इतिहासकारों के मुताबिक, जहाँआरा अपनी माँ की हूबहू परछाईं थीं। यही वजह थी कि शाहजहाँ ने उनका निकाह नहीं होने दिया। कहा जाता है कि एक बार जब जहाँआरा अपने प्रेमी से मिलने गईं, तो शाहजहाँ को पता चल गया। उस बेचारे ने डरकर तंदूर में छुपने की कोशिश की, लेकिन शाहजहाँ ने तंदूर जलवा दिया और उसे जिंदा भून डाला।

जहाँआरा की सुंदरता की तुलना उनकी माँ से की गई, और शाहजहाँ ने किसी और को उनकी जिंदगी में आने नहीं दिया। मुल्लाओं ने इसे जायज ठहराने के लिए कहा, "माली को अपने पेड़ का फल खाने का अधिकार है।"

आज यदि शेक्सपियर होते, तो कहते, “क्या यह रिश्ते के अस्तित्व का सवाल है, या पितृसत्ता की पराकाष्ठा?”  

The course of true love never did run smooth
(A Midsummer Night’s Dream)  
अगर शाहजहाँ का "सच्चा प्रेम" इतना ही पवित्र था, तो क्यों उन्होंने मुमताज की मौत के बाद फरजाना से शादी की? क्यों उन्होंने जहाँआरा को शादी करने नहीं दी?  

इतिहास बताता है कि जहाँआरा के एक प्रेमी को शाहजहाँ ने तंदूर में जिंदा जला दिया। यह किस प्रकार का प्रेम था, जो दूसरों की जिंदगी को तबाह कर देता है?  

What's in a name?
(Romeo and Juliet)  
Shakespeare के एक Romantic Play की प्रसिद्ध पंक्ति "What's in name?" भी  यहां फिट बैठती हैं। मुमताज का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। लेकिन शाहजहाँ ने उन्हें "मुमताज महल" का नाम दिया, ताकि उनका "प्रेम" अमर हो सके। लेकिन अगर नाम बदलने से सच्चाई बदल जाती, तो क्या यह कहानी इतनी क्रूर होती?  

शेक्सपियर कहते हैं कि नाम में क्या रखा है। लेकिन यहाँ नाम के पीछे छिपी कहानी बताती है कि यह नाम केवल इतिहास को ढकने के लिए रखा गया था।  

Et tu, Brute?
(Julius Caesar)  
मुमताज की आत्मा अगर आज ताजमहल से झाँक सकती, तो शायद वह यही कहती। शाहजहाँ ने मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया, लेकिन यह मकबरा उनकी "गिल्ट" का स्मारक है।  

शेक्सपियर की इस पंक्ति का अर्थ है विश्वासघात का चरम। मुमताज के साथ भी वही हुआ। उनकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने उनकी बहन से शादी कर ली, और उन्हें केवल एक बच्चे पैदा करने की मशीन बना दिया।  

Much ado about nothing
(Much Ado About Nothing)  
ताजमहल की यह प्रेम कहानी वास्तव में "Much ado about nothing" है। शाहजहाँ की हवस को प्रेम की चाशनी में डुबोकर प्रस्तुत किया गया।  

ताजमहल केवल शाहजहाँ की हवस, क्रूरता और पाखंड का स्मारक है। अगर इसे "प्रेम की निशानी" कहा जाए, तो यह इतिहास का सबसे बड़ा झूठ होगा।  

Love looks not with the eyes, but with the mind
(A Midsummer Night’s Dream)  
शेक्सपियर की यह पंक्ति शाहजहाँ के "प्रेम" पर सवाल उठाती है। अगर शाहजहाँ का प्रेम मुमताज के लिए इतना गहरा था, तो क्यों उन्होंने सात शादियाँ कीं? क्यों मुमताज को अपनी आखिरी साँस तक केवल बच्चों की फैक्ट्री बना कर रखा?  

The he fault, dear Brutus, is not in our stars, but in ourselves
(Julius Caesar)  

इतिहासकारों ने शाहजहाँ को प्रेम का प्रतीक बनाया, जबकि सच्चाई कुछ और थी।  शाहजहाँ का हरम, मुमताज की त्रासदी, और जहाँआरा का शोषण—यह सब शाहजहाँ की हवस का नतीजा था।  

To love or to lust?"
शेक्सपियर की पंक्तियाँ और शाहजहाँ की कहानी एक बात पर सहमत हैं: यह प्रेम नहीं, बल्कि सत्ता और वासना का खेल था।  ताजमहल प्रेम का नहीं, बल्कि शाहजहाँ की क्रूरता और पाखंड का स्मारक है। तो अगली बार जब आप ताजमहल देखें, तो यह सोचिए: "Is this a monument to love, or a tomb of lust?"

शेक्सपियर के शब्दों में, “All the world’s a stage” (सारी दुनिया एक रंगमंच है)। लेकिन इस रंगमंच पर शाहजहाँ जैसे किरदारों को दर्शक क्या, इतिहास भी सवाल करता रहेगा। 

ताजमहल: एक हवेली जहाँ प्यार कम, अहंकार ज़्यादा है।

बस-यूंही-रघुनाथ


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