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क्या नेतन्याहू 7 अक्टूबर 2023 के हमले से पहले राजनीतिक संकट में फंस चुके थे?


इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नेतृत्व एक बार फिर चर्चा में है, खासकर अक्टूबर 7, 2023 को हुए हमले के बाद जो आज भी गाज़ा में जारी युद्ध का मुख्य कारण बना हुआ है। यह युद्ध केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि नेतन्याहू के नेतृत्व के भविष्य को भी निर्धारित करने वाला साबित हो रहा है। इससे पहले नेतन्याहू राजनीतिक अस्थिरता, न्यायिक सुधारों को लेकर विवाद, और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे थे, जो उनके प्रधानमंत्री पद को लगातार कमजोर कर रहे थे। इस विश्लेषणात्मक लेख में हम देखेंगे कि कैसे बेंजामिन नेतन्याहू का राजनीतिक जीवन 07 अक्टूबर 2023 के हमले से पहले एक संकट में था और क्या युद्ध ने उनके नेतृत्व को मजबूत किया या उन्हें और अधिक विभाजित कर दिया।

परिचय: नेतन्याहू की राजनीतिक चुनौतियां
बेंजामिन नेतन्याहू इज़राइल के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री है, जिन्होंने इज़राइल की राजनीति में लगभग तीन दशकों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो  7 अक्टूबर 2023 के हमले से पहले ही गंभीर राजनीतिक संकटों का सामना कर रहे थे। यह हमला, जिसने इज़राइल-हमास युद्ध की शुरुआत की और पूरे मध्य पूर्व को संकट में डाल दिया, नेतन्याहू के राजनीतिक कैरियर के लिए एक निर्णायक क्षण साबित हुआ। लेकिन, क्या इस हमले के पहले नेतन्याहू पहले से ही मुश्किलों में थे? क्या युद्ध की स्थिति ने उनकी सत्ता को मजबूत किया या उनकी राजनीतिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया? 

नेतन्याहू का लंबा शासन और पतन (2021)
बेंजामिन नेतन्याहू, जिन्हें प्यार से "बिबी" कहा जाता है, ने 12 साल (2009-2021) तक लगातार इज़राइल के प्रधानमंत्री पद पर रहकर सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखी। लेकिन 2021 में उनका यह लंबा शासन समाप्त हो गया, जब एक नए गठबंधन ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। यह गठबंधन जिसे "परिवर्तनकारी सरकार" कहा गया. गठबंधन ने नफ्ताली बेनेट को प्रधानमंत्री पद पर बैठाया। इस सत्ता परिवर्तन ने इज़राइल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ दिया, क्योंकि नेतन्याहू ने तीन बार चुनाव करवाए थे, फिर भी वे स्थिर सरकार बनाने में असफल रहे थे। 

नेतन्याहू के पतन के कारण क्या थे?
नेतन्याहू की हार का मुख्य कारण केवल उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ही नहीं थे, बल्कि उनके अपने गठबंधन सहयोगियों का भी असंतोष था। उनके लंबे शासनकाल के दौरान न केवल वामपंथी और मध्यमार्गी दल, बल्कि दायें पंथ के कुछ दल भी उनके नेतृत्व से असंतुष्ट हो गए थे। नेतन्याहू की सत्ता बनाए रखने की जद्दोजहद ने उनके विरोधियों को एकजुट कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप यायर लापिड और उनके सहयोगी दलों ने नेतन्याहू को सत्ता से बाहर करने में सफलता पाई। 

वर्ष 2022 में नेतन्याहू की वापसी: क्या यह एक नई शुरुआत थी?
हालांकि साल 2021 में सत्ता से बाहर होने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने हार नहीं मानी। नवंबर 2022 के चुनावों में, नेतन्याहू फिर से सत्ता में लौट आए और दिसंबर में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि उनकी वापसी उत्साहजनक थी, लेकिन यह स्पष्ट था कि उनके शासन में अब पहले जैसा स्थायित्व नहीं था। 

बेंजामिन नेतन्याहू की सत्ता में वापसी के तुरंत बाद, जनवरी 2023 में उनके न्याय मंत्री यारिव लेविन ने एक न्यायिक सुधार की योजना की घोषणा की, जिसने देश में राजनीतिक विवादों की आग को और भड़काया। इस योजना के अंतर्गत, सरकार को न्यायपालिका में अधिक हस्तक्षेप का अधिकार मिल जाता और न्यायालय की स्वतंत्रता सीमित हो जाती। इस फैसले ने नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। 

नेतन्याहू और न्यायिक विवाद: क्या यह अंत का संकेत था?
बेंजामिन नेतन्याहू का यह कदम कई इज़राइली नागरिकों को नाराज़ कर गया, क्योंकि उनका मानना था कि नेतन्याहू न्यायिक प्रणाली को कमजोर कर रहे हैं और लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे और नेतन्याहू की सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाज़ी करने लगे। यह विरोध केवल जनता तक ही सीमित नहीं था। इज़राइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने चेतावनी दी कि आंतरिक कलह देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि इस विवाद ने इज़राइल की सेना और सुरक्षा बलों को भी विभाजित कर दिया था।

बेंजामिन नेतन्याहू ने गैलेंट को बर्खास्त करने की कोशिश की, लेकिन जनता के भारी विरोध और दबाव के चलते उन्हें अपना यह निर्णय वापस लेना पड़ा। यह नेतन्याहू के नेतृत्व के खिलाफ एक बड़ा झटका था और यह संकेत दे रहा था कि उनके शासन में दरारें आ चुकी थीं।

भ्रष्टाचार के आरोप: क्या नेतन्याहू की लोकप्रियता में गिरावट हो रही थी?
नेतन्याहू की मुश्किलें केवल नीतिगत विवादों तक ही सीमित नहीं थीं। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए गए थे। जनवरी 2020 में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई शुरू हुई थी। नेतन्याहू पर आरोप था कि उन्होंने अमीर व्यापारियों से महंगे उपहार लिए और बदले में सरकारी नीतियों में उन्हें फायदा पहुंचाया। इसके अलावा, उन पर आरोप था कि उन्होंने मीडिया कवरेज को प्रभावित करने के लिए अपने प्रभाव का दुरुपयोग किया। 

नेतन्याहू ने इन आरोपों को "साजिश" करार दिया और इसे देश के उदारवादी गुटों और मीडिया द्वारा उनकी सरकार को गिराने की कोशिश बताया। लेकिन, इन आरोपों ने उनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर डाला और उनकी लोकप्रियता में कमी आई। 

7 अक्टूबर 2023 का हमला: क्या यह एक बड़ा मोड़ था?
7 अक्टूबर 2023 को, हमास ने इज़राइल पर एक बड़ा हमला किया, जिसे देश के सुरक्षा बल पहले से भांपने में विफल रहे। इस हमले ने इज़राइल को हिला कर रख दिया, क्योंकि सैकड़ों इज़राइली नागरिक मारे गए और कई लोग बंधक बना लिए गए। इस हमले ने नेतन्याहू की सरकार को एक गंभीर संकट में डाल दिया। 

हमले के तुरंत बाद देशभर में नेतन्याहू की आलोचना शुरू हो गई। लोग यह सवाल उठाने लगे कि इज़राइल की खुफिया एजेंसियों ने इस हमले की योजना का पता क्यों नहीं लगाया। साथ ही, नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ पहले से चल रहे न्यायिक और राजनीतिक विवादों के कारण, जनता का उनके प्रति विश्वास कम हो चुका था। 

युद्ध के बाद नेतन्याहू की स्थिति: क्या उन्होंने अपनी स्थिति को मजबूत किया?
हालांकि, हमास के नेताओं को खत्म करने और हिज़्बुल्लाह के प्रमुखों पर हमले के बाद नेतन्याहू की छवि एक बार फिर मजबूत होने लगी। देश के कुछ हिस्सों में उन्हें एक नायक के रूप में देखा जाने लगा, जो इज़राइल की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रहे थे। उन्होंने हमास के कई प्रमुख ठिकानों को नष्ट कर दिया और हजारों लड़ाकों को मार गिराया। लेकिन सवाल यह था कि क्या यह युद्ध इज़राइल के दीर्घकालिक हितों की सेवा कर रहा था? क्या नेतन्याहू का युद्ध के माध्यम से अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास सफल होगा? 

एहुद ओल्मर्ट की चेतावनी: क्या नेतन्याहू को पद छोड़ देना चाहिए?
पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट, जो कभी नेतन्याहू के करीबी सहयोगी थे, ने 2024 में नेतन्याहू के खिलाफ एक तीखा बयान दिया। ओल्मर्ट ने नेतन्याहू को चेतावनी दी कि वह अब सत्ता छोड़ दें और किसी अन्य सक्षम नेता को देश का नेतृत्व करने का मौका दें। ओल्मर्ट का मानना था कि नेतन्याहू देश की सुरक्षा में विफल हो चुके हैं और उनके शासन में इज़राइल को केवल नुकसान हुआ है।
ओल्मर्ट की चेतावनी ने इज़राइल के राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक विभाजित कर दिया। एक तरफ जहां नेतन्याहू के समर्थक थे, जो मानते थे कि उनका कठोर रवैया देश के लिए आवश्यक है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोग भी थे जो मानते थे कि नेतन्याहू का समय समाप्त हो चुका है। 

आगे का रास्ता: क्या नेतन्याहू सत्ता में बने रहेंगे?
अब सवाल यह है कि नेतन्याहू की राजनीतिक यात्रा का अंत किस दिशा में जाएगा? क्या वह इज़राइल की राजनीति में फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर पाएंगे या उनका राजनीतिक जीवन इस युद्ध के बाद समाप्त हो जाएगा? युद्ध के पहले नेतन्याहू की जो राजनीतिक चुनौतियां थीं, वे युद्ध के बाद भी बनी हुई हैं। न्यायिक विवाद, भ्रष्टाचार के आरोप, और उनके खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन उनके नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इसके अलावा, इज़राइल की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि युद्ध के बाद क्या होगा? क्या इज़राइल एक स्थिर और शांतिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ेगा या नेतन्याहू का कठोर नेतृत्व देश को और अधिक संकटों में धकेल देगा? 

नेतन्याहू की भविष्यवाणी
बेंजामिन नेतन्याहू की राजनीतिक यात्रा में 7 अक्टूबर 2023 का हमला एक निर्णायक क्षण था, जिसने उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। हालांकि युद्ध के बाद उनकी स्थिति में कुछ हद तक सुधार हुआ, लेकिन उनके नेतृत्व के खिलाफ उठ रही आवाज़ें अब भी जोर पकड़ रही हैं। नेतन्याहू के समक्ष अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इज़राइल की जनता और राजनीति को कैसे संभालते हैं।


✍️... रघुनाथ सिंह

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