इसराइल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष में एक और अहम मोड़ आया है। इजरायल ने एक हवाई हमले में हिज़बुल्लाह के नए नेता हाशिम सैफिद्दीन को मार गिराया है। सैफिद्दीन की मौत ठीक एक सप्ताह बाद हुई, जब इजरायल ने हिज़बुल्लाह के पूर्व नेता हसन नसरल्लाह को भी एक हवाई हमले में मार दिया था।
यह हमला 4 अक्टूबर 2024 को बेरूत में हुआ, जहां सैफिद्दीन एक बंकर में अपने कमांडरों के साथ बैठक कर रहा था। इस हमले ने पूरे लेबनान और क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
बेरूत में हिज़बुल्लाह के नेतृत्व पर हमला
4 अक्टूबर 2024 की रात को इजरायल की वायु सेना ने बेरूत के भीतर एक बड़े हवाई हमले को अंजाम दिया। इस हमले में हिज़बुल्लाह के नए नेता हाशिम सैफिद्दीन को मार दिया गया। सैफिद्दीन अपने कमांडरों के साथ एक बंकर में बैठक कर रहा था, जब इजरायली लड़ाकू विमानों ने उस जगह को निशाना बनाया। रिपोर्टों के अनुसार, तीन इजरायली विमानों ने इस हमले में भाग लिया और सटीक बमबारी से सैफिद्दीन की मौत हुई।
हालांकि, इस हमले की आधिकारिक पुष्टि अभी तक इजरायली सुरक्षा बलों (IDF) या हिज़बुल्लाह की ओर से नहीं की गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर साझा किए गए कई वीडियो में बेरूत के रिहायशी इलाके में बड़े पैमाने पर आग और विस्फोट होते देखे गए हैं। यह हमले इजरायल की उस रणनीति का हिस्सा हैं, जो हिज़बुल्लाह के नेतृत्व को कमजोर करने और उसके आतंकी नेटवर्क को समाप्त करने पर केंद्रित है।
हाशिम सैफिद्दीन, जिसे हसन नसरल्लाह का उत्तराधिकारी माना जा रहा था, की मौत से हिज़बुल्लाह को बड़ा झटका लगा है। इजरायल लंबे समय से हिज़बुल्लाह के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान चला रहा है, और यह हवाई हमला उसी अभियान का हिस्सा था। इजरायल के अधिकारियों ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वे हिज़बुल्लाह के किसी भी नेता को सुरक्षित नहीं रहने देंगे, चाहे वह लेबनान के किसी भी हिस्से में हो।
हाशिम सैफिद्दीन: उभार और पतन
हाशिम सैफिद्दीन, 60 वर्ष के शिया इमाम, हिज़बुल्लाह के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक था और हसन नसरल्लाह के ममेरे भाई थे। उनका जन्म लेबनान में हुआ था, और वह हिज़बुल्लाह की शूरा कमिटी के प्रमुख सदस्यों में शामिल थे। यह कमिटी संगठन की सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण इकाई है, जो हिज़बुल्लाह की रणनीतियों और निर्णयों को नियंत्रित करती है।
सैफिद्दीन, हिज़बुल्लाह की एग्जीक्यूटिव कमिटी और जिहाद काउंसिल के भी प्रमुख था, जो संगठन की आतंकी गतिविधियों और अन्य संचालन संबंधी मामलों की देखरेख करती है। उनके नेतृत्व में हिज़बुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाया और संगठन की राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव को भी मजबूत किया। माना जाता है कि वह हिज़बुल्लाह के अगले नेता बनने की तैयारी में थे, और उनकी भूमिका को ईरान का भी समर्थन प्राप्त था।
हिज़बुल्लाह में सैफिद्दीन की भूमिका केवल संगठन के भीतर सीमित नहीं थी। उनके व्यक्तिगत संबंध भी क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण थे। सैफिद्दीन के बेटे की शादी कुद्स फ़ोर्स के प्रमुख कमांडर कासिम सुलेमानी की बेटी से हुई थी। यह संबंध हिज़बुल्लाह और ईरान के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाता है। ईरान लंबे समय से हिज़बुल्लाह को आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता आ रहा है, और सैफिद्दीन इस संबंध का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
2017 में, अमेरिका ने हाशिम सैफिद्दीन को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। उन पर आरोप था कि वह हिज़बुल्लाह के लिए आतंकी हमलों की योजना बनाने और संगठन को ईरान से वित्तीय सहायता दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाते थे। सैफिद्दीन की लंबे समय से हिज़बुल्लाह का नेता बनने की तैयारी की जा रही थी, और उनके नेतृत्व में संगठन को और मजबूत करने की योजना बनाई जा रही थी। लेकिन इजरायल के इस हवाई हमले में उनकी मौत ने हिज़बुल्लाह की योजनाओं पर पानी फेर दिया है।
इजरायल का हिज़बुल्लाह और हमास पर बढ़ता दबाव
इजरायल पिछले कुछ महीनों से हिज़बुल्लाह और हमास के खिलाफ अपने हमलों को तेज कर रहा है। इजरायल की सुरक्षा रणनीति का मुख्य उद्देश्य इन दोनों संगठनों के नेतृत्व और उनकी सैन्य क्षमताओं को नष्ट करना है। सैफिद्दीन की मौत के साथ ही, इजरायल ने हिज़बुल्लाह के रॉकेट और मिसाइल विशेषज्ञ मुहम्मद यूसुफ अनीसी को भी मार गिराया है। अनीसी एक मैकेनिकल इंजीनियर थे, और वह इजरायल पर हमले के लिए रॉकेट और मिसाइल तैयार करने में माहिर थे।
इसके अलावा, इजरायल ने वेस्ट बैंक में हमास के कमांडर यासिर अब्दुलरज्जाक को भी मार गिराया। अब्दुलरज्जाक हाल ही में इजरायल पर एक आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था, और उसकी मौत से हमास को भी एक बड़ा झटका लगा है। इजरायल की सेना (IDF) लगातार ऐसे ऑपरेशनों को अंजाम दे रही है, जिनका उद्देश्य आतंकवादियों को निशाना बनाना और उन्हें खत्म करना है।
इजरायल की यह रणनीति न केवल हिज़बुल्लाह और हमास के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों के लिए एक चेतावनी है। इजरायल स्पष्ट रूप से यह संदेश देना चाहता है कि वह किसी भी आतंकी संगठन को अपनी सीमाओं के पास पनपने नहीं देगा, चाहे वह लेबनान में हो, गाजा में हो, या वेस्ट बैंक में हो।
हिज़बुल्लाह की कमजोर होती शक्ति और अनिश्चित भविष्य
हिज़बुल्लाह, जो एक समय में लेबनान और पूरे मध्य पूर्व में एक शक्तिशाली संगठन माना जाता था, अब लगातार कमजोर हो रहा है। सैफिद्दीन और नसरल्लाह जैसे शीर्ष नेताओं की मौत से संगठन की सैन्य और राजनीतिक शक्ति को बड़ा झटका लगा है। हिज़बुल्लाह अब एक नेतृत्वहीन स्थिति में है, और संगठन को फिर से खड़ा करने में उसे भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सैफिद्दीन जैसे अनुभवी नेता की मौत से हिज़बुल्लाह के भीतर एक नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता है। सैफिद्दीन, जो कि हिज़बुल्लाह की रणनीतिक दिशा तय करते थे, अब नहीं हैं, और उनके बिना संगठन के लिए अपनी आतंकी गतिविधियों को जारी रखना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, हिज़बुल्लाह को ईरान से मिलने वाले वित्तीय और सैन्य समर्थन पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि ईरान खुद आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं से जूझ रहा है।
हालांकि, हिज़बुल्लाह पूरी तरह से खत्म नहीं होगा। संगठन की जड़ें लेबनान के शिया समुदाय में गहरी हैं, और इसकी सैन्य उपस्थिति अभी भी मजबूत है। लेकिन, भविष्य में हिज़बुल्लाह की क्षमता इजरायल के खिलाफ बड़े हमले करने की कम हो सकती है, खासकर अगर इजरायल अपने हमले जारी रखता है और हिज़बुल्लाह के बचे हुए नेतृत्व और संरचनाओं को निशाना बनाता है।
ईरान की भूमिका और क्षेत्रीय नतीजे
हिज़बुल्लाह के शीर्ष नेताओं की मौत का असर न केवल संगठन पर, बल्कि पूरे क्षेत्रीय परिदृश्य पर पड़ेगा। हिज़बुल्लाह लंबे समय से ईरान का प्रमुख सहयोगी रहा है, और इसके माध्यम से ईरान ने लेबनान और सीरिया में अपनी पकड़ मजबूत की है। लेकिन सैफिद्दीन और नसरल्लाह की मौत से ईरान की रणनीति पर भी असर पड़ेगा।
ईरान, जो पहले से ही अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों और आंतरिक आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है, हिज़बुल्लाह के कमजोर होने से और अधिक दबाव में आ सकता है। यह देखा जाना बाकी है कि ईरान इस नुकसान का कैसे जवाब देगा।
हाशिम सैफिद्दीन की मौत इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सैफिद्दीन की हत्या से यह स्पष्ट होता है कि इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ आक्रामक रवैया जारी रखेगा और हिज़बुल्लाह के किसी भी नए नेता को उभरने का मौका नहीं देगा।
इस हमले के बाद क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है, खासकर जब ईरान जैसे देश अपने महत्वपूर्ण सहयोगी को खोते जा रहे हैं। हिज़बुल्लाह का भविष्य अब अनिश्चित है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि संगठन अपने नए नेता का चयन कैसे करता है और अपने अस्तित्व को कैसे बनाए रखता है।
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